Devendra Fadnavis Issue : बीजेपी आखिर फडणवीस की किस गलती की सजा दे रही!

डिप्टी CM की कुर्सी डिमोशन या अनुशासन का संदेश, मंत्रिमंडल में भी दखल नहीं!

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Mumbai : महाराष्ट्र में सारी राजनीतिक उठापटक के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने एक दो सप्ताह हो गया। शिवसेना के हाथ में झंडा थमाकर भाजपा ने यहां अपनी सत्ता स्थापित कर ली। लेकिन, इस सवाल का जवाब अभी भी ठीक से नहीं मिला कि क्या देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी CM बनाकर भाजपा ने सही फैसला लिया! महाराष्ट्र भाजपा के कई कार्यकर्ताओं को अभी भी यह बात पच नहीं रही! जिसे महाराष्ट्र भाजपा का पोस्टर बॉय कहा जाता था, वो नेपथ्य में क्यों चला गया। पार्टी कार्यकर्ता खुद पसोपेश में हैं।

पार्टी के अनुशासन और हाईकमान के आदेश के नाम पर भले ही वे खामोश हों, पर कुछ न कुछ ऐसा जरूर है जो सामने नहीं आया। अभी भी पार्टी फडणवीस को झटके दे ही रही है! शिंदे मंत्रिमंडल में नाम तय करने से भी उन्हें अलग रखा गया है। पहले कहा जा रहा था कि मंत्रिमंडल में उन्हें गृह विभाग मिल सकता है, पर बताते हैं कि वहां से भी उनका पत्ता कट गया।

रिसकर जो ख़बरें बाहर आ रही है, वो बताती हैं कि पार्टी ने देवेंद्र फडणवीस को सबक सिखाने के लिए डिप्टी CM की कुर्सी पर बैठने के लिए मजबूर किया। पहले महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा को अच्छी सीटें मिलने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभारी रूप में भी उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। लेकिन, इससे फडणवीस में अहम् आ गया था। पार्टी नहीं चाहती कि वो महाराष्ट्र में कोई योगी आदित्यनाथ पैदा करे! यही कारण है कि उन्हें ऐन वक्त पर डिप्टी CM की शपथ लेने के लिए कहा गया! यदि वे इंकार करते तो माजरा कुछ और होता।

महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि मुझे पता था कि लोग इस घटना से स्तब्ध होंगे! लेकिन, जो देवेंद्र फडणवीस के साथ हुआ वह अप्रत्याशित नहीं था। भाजपा ने हिंदुत्व की विचारधारा को आगे ले जाने के लिए शिंदे का मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन किया। लेकिन, शिंदे ने स्वयं फडणवीस को मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कहा। इसलिए फडणवीस ने दिल्ली में हमारे नेताओं से अनुमति मांगी। पाटिल ने फडणवीस की प्रशंसा करते हुए कहा कि अपने कनिष्ठ के अधीन काम करने के लिए बड़े दिल की जरूरत होती है। जबकि, 2014-19 में जब राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार थी तब यही शिंदे फडणवीस-सरकार में मंत्री थे।

देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र पूर्व के मुख्यमंत्री तथा फ़िलहाल डिप्टी CM हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र विधानसभा में नागपुर दक्षिण-पश्चिम से MLA है। वे नागपुर नगर निगम के मेयर भी रह चुके हैं। उन्होंने 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और 44 वर्ष की आयु में राज्य के दूसरे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद जब वे रात के अंधेरे में CM बने थे, तब उन्हें 80 घंटे में इस्तीफा देना पड़ा था। तब उन्होंने कहा था ‘ …मैं समंदर हूँ, लौटकर वापस आऊंगा!’ लेकिन, वे जिस तरह लौटे हैं, वो उनके समर्थकों को सहन नहीं हो रहा।

पार्टी अनुशासन के नाम पर भले ही फडणवीस ने सब कुछ स्वीकार कर लिया हो, लेकिन अंदरखाने उन्हें भी इसका मलाल है। फडणवीस के एक करीबी ने बताया कि शपथ ग्रहण के बाद जब वह घर लौटे तो उनकी आंखें भीगी हुई थीं। जब यह तय हो गया था कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की नई सरकार के मुखिया होंगे, तब यह कयास नहीं लगाए गए थे कि फडणवीस को उनके नीचे के पद पर शपथ लेने के लिए कहा जा सकता है।

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भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने खुद ही सरकार से बाहर रहने का ऐलान कर दिया था। लेकिन, अचानक पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ट्वीट्स से मामले में ट्विस्ट आ गया। फडणवीस को डिप्टी CM बनाए जाने का फरमान आ गया। इस फैसले ने आम लोगों के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को भी हैरत में डाल दिया। उन्हें शिंदे के CM बनने की खबर शॉकिंग तो लगी थी, लेकिन फडणवीस के डिप्टी CM बनाए जाने की खबर ने उन्हें डबल शॉक दे डाला।

उन्हें कॉल करके बता तो देते
दक्षिण-मध्य मुंबई के एक कार्यकर्ता ने शुक्रवार को इस डबल शॉक की बात स्वीकार भी की। इस कार्यकर्ता ने बताया कि हम पहले ही इस बात को लेकर सदमे जैसी हालत में थे कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं होंगे। उस जेपी नड्डा और अमित शाह के ट्वीट्स ने हमारी तकलीफ और बढ़ा दी। इस कार्यकर्ता ने कहा कि हाईकमान के फैसले पर कोई सवाल नहीं है। नए गठबंधन के हिसाब से चीजें तय हुई होंगी, लेकिन इस बारे में कम से कम फडणवीस को एक कॉल करके बताया तो जा ही सकता था।

फडणवीस को तीसरा झटका
देवेंद्र फडणवीस को भाजपा ने महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बनाया गया, इसलिए एकनाथ शिंदे की सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे में भी हाईकमान देवेंद्र फडणवीस को फ्री हैंड देने के मूड में नहीं है। भाजपा हाईकमान की राय है कि पार्टी लीडरशिप को न सिर्फ सरकार पर मजबूत पकड़ रखनी चाहिए, बल्कि पार्टी में भी उसका दखल बना रहना चाहिए। हाईकमान ही तय करेगा कि शिवसेना से आए और किन निर्दलीय विधायकों को कौन सा मंत्रालय दिया जाएगा। खासतौर पर मुंबई के विधायकों पर फोकस किया जा रहा है।

पार्टी की राय है कि एकनाथ शिंदे गुट के जरिए उद्धव ठाकरे के प्रभाव को इन इलाकों में कम किया जाए। इसका असर भाजपा की आंतरिक रणनीति पर भी देखने को मिल सकता है। यही नहीं इसे देवेंद्र फडणवीस के लिए दूसरे झटके के तौर पर देखा जा सकता है, जिन्हें मजबूरन पार्टी के आदेश पर डिप्टी सीएम का पद संभालना पड़ा है। महाराष्ट्र के अंदर भी देवेंद्र फडणवीस को लेकर अलग-अलग राय हैं। फडणवीस के विरोधियों को अहम पद देने की तैयारी है।