एमपी से झारखंड तक बाघों के फ्री मुवमेंट के लिए बनेगा कॉरिडोर

बनाई गई कार्ययोजना, सर्वे शुरु

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भोपाल. एक जंगल से दूसरे जंगल तक बाघ फ्री मूवमेंट कर सकें इसके लिए एमपी से झारखंड के बीच एक टाइगर कॉरिडोर विकसित किया जाएगा। इसमें इन दोनों राज्यों के साथ ही तीसरे व पडोसी राज्य छत्तीसगढ को भी जोडा जाएगा। ताकि बाघों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए कोई असुविधा न हो और वे एक राज्य के जंगल से दूसरे राज्य के जंगल तक आ जा सकें। इसके लिए झारखंड के इकलौते टाइगर रिजर्व-पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में सर्वे का काम भी शुरु कर दिया गया है। सर्वे रिपोर्ट नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर कारिडोर का रेखांकन होगा। एनटीसीए प्रत्येक पांच वर्ष में टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार करता है। इसी प्लान के माध्यम से बाघों के संरक्षण का कार्य किया जाता है।

ये हो रहा सर्वे
पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के जंगल छत्तीसगढ़ से लगे हैं और छत्तीसगढ़ के जंगल मध्य प्रदेश तक फैले हैं। देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में ही हैं। क्या झारखंड और मध्य प्रदेश के बीच बाघों का मूवमेंट होता है? तीनों राज्यों के बीच टाइगर कारिडोर की कितनी संभावना है? इन सब सवालों के जवाब तलाशने के लिए सर्वे चल रहा है। करीब एक महीने से ये सर्वे चल रहा है। टाइगर कारिडोर के सर्वे को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टिट््यूट देहरादून के रिसर्च बायोलाजिस्ट रोहण देसाई यहां पर अपनी पूरी टीम के साथ कैंप कर रहे हैं। इस काम में कई लोगों की मदद ली जा रही है।

ये होगा लाभ
बाघ विशेषज्ञों के अनुसार देश में बाघों की संख्या बढ़ रही है। आबादी के लिहाज से सामान्य वन क्षेत्रों को वन्य प्राणी क्षेत्र बनाने की जरूरत है। मध्यप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ लगा हुआ है। छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व बनने वाला है। पीटीआर से लेकर एमपी के बांधवगढ़ तक जंगल मिलते हैं। बाघों के मूवमेंट के दौरान मानव का हस्तक्षेप न हो, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कारिडोर बनाया जा रहा है।