चलो इसी बहाने सही, तिरंगा की चर्चा तो हो रही …

भारतीय जनता पार्टी के “घर-घर तिरंगा अभियान” ने पूरे देश में तिरंगा पर चर्चा का वातावरण बना दिया है। भाजपा इस अभियान को लेकर जो गतिविधियां कर रही है, कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी उन पर बराबरी से आ रही है…पर सबकी जुबान पर तिरंगा बार-बार आ रहा है, यह अमृत महोत्सव के साल में विशेष उपलब्धि है। वैसे तो देशवासियों को तिरंगा बस राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन ही याद आता रहा है और दूसरे दिन ही फिर सभी अपने-अपने कामकाज में लगकर तिरंगा को भुला देते हैं। इस साल अभियान का महत्व यह है कि हर घर में तिरंगा तो लहराएगा, लेकिन कम से कम एक पखवाड़ा तक तिरंगा सबकी जुबान पर रहेगा। चलो इसी बहाने सही, हम तिरंगा की पूरी जानकारी भी साझा कर लेते हैं। सामान्यतः देशवासियों को यह तो पता रहता है कि राष्ट्रध्वज तिरंगा है, लेकिन इस ध्वज की लंबाई-चौड़ाई, रंगों और इसके राष्ट्रध्वज बनने के इतिहास से लोग अनभिज्ञ ही रहते हैं। तो तिरंगा चाहे कांग्रेस विधायक नि:शुल्क वितरित करें या फिर इसका शुल्क जमा कर तिरंगा अपने घर पर फहराना पड़े, पर हर देशभक्त को अपने घर पर तिरंगा लगाकर इसके सम्मान में सहभागी जरूर बनना चाहिए।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई, 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है, बीच में श्वेत पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है और नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाती है।ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 आरे (तीलियां) होते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत निरंतर प्रगतिशील है। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व इसका रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप में ही भारत की एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादी में ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता है।भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है।
गांधी जी ने सबसे पहले 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी। इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इसमें दो रंग थे लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए। बीच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए सफेद रंग जोड़ा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया। इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली जो कि भारत के संविधान निर्माता डॉ॰ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने लगवाया। इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की।
आज जो घर-घर तिरंगा अभियान की बात हो रही है, वह 26 जनवरी 2002 के बाद ही संभव हो पाया। 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के 55 वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों आदि संस्थानों में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है, बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कड़ाई से पालन करें और तिरंगे के सम्मान में कोई कमी न आने दें। तो तिरंगा के सम्मान में क्या-क्या होना चाहिए, यह बात भी हमें विस्तार से पता होना चाहिए। इसके लिए भारतीय ध्वज संहिता का अध्ययन जरूर होना चाहिए। पर रोज नहीं, तो राष्ट्रीय पर्व पर हर घर पर तिरंगा जरूर फहराया जाए, देशभक्त होने के नाते यह हम देशवासियों का कर्तव्य है। तिरंगा अभियान पर भले ही राजनीति होती रहे, लेकिन तिरंगा के प्रति दिल से सम्मान बरकरार रहे। यह खुशी की बात है कि तिरंगा अभियान के चलते ही सही पूरा देश तिरंगामय तो हो रहा है। तिरंगा पर चर्चा तो हो रही है।
वैसे 1993 में “तिरंगा” नाम से फिल्म भी बनी थी। इसमें एक गीत के बोल हैं-“यह आन तिरंगा है।” यह गीत संतोष आनंद ने लिखा है। मोहम्मद अजीज ने गीत गाया है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत है। राजकुमार अभिनीत गीत है। इस गीत का अंतिम स्टेंजा है – इसके खातिर कसम है हमको,अपना शीश कटा देंगे। जितना भी इस जिस्म में बाकी, सारा लहू बहा देंगे। इसके खातिर जो हम ठानेंगे,करके हम दिखला देंगे। अपनी धरती के आगे हम,सारा गगन झुका देंगे। ईमान तिरंगा है, भगवान तिरंगा है, मेरी जान तिरंगा है,मेरी जान तिरंगा है…। तो आइए हम सब तिरंगामय हो राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगकर आजादी के 75 साल पूरे होने अपने-अपने घर पर तिरंगा फहराते हैं।
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khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।