भोपाल: प्रदेश में नगर निगम परिषद सभापति, नगरपालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों के लिए जोड़तोड़ के बीच जिलों में भाजपा नेताओं के लिए पार्टी के पार्षद भी परेशानी खड़ी कर रहे हैं। कई जिलों में कतिपय पार्षदों द्वारा संगठन नेताओं से अनैतिक डिमांड की जा रही है। ऐसे में कई जिलों में स्थानीय संगठन ने रायशुमारी के लिए प्रदेश संगठन से भेजे जाने वाले नेताओं पर निर्णय छोड़ दिया है और रायशुमारी में तय होने वाली पार्टी लाइन के आधार पर ही पार्टी के पार्षदों का भविष्य तय करने की सलाह देकर उन्हें साधने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस भी जोड़तोड़ में जुटी है, इसलिए भाजपा पार्षद स्थानीय संगठन ने खुद की अनदेखी नहीं करने की बातें कह रहे हैं।
प्रदेश में अभी दर्जन भर नगर निगमों में नगर निगम परिषद सभापति का चुनाव होना है और सत्तर से अधिक नगरपालिकाओं व ढाई सौ नगर परिषदों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए आंकड़े जुटाने की कोशिश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। भाजपा की नगर सरकार बनाने के लिए मंत्री, विधायक, बीजेपी के पार्टी पदाधिकारी व अन्य नेताओं की टीम जुटी है। इस बीच कई जिलों में भाजपा जिला अध्यक्षों व अन्य संगठन नेताओं के समक्ष पार्टी के पार्षदों द्वारा ही सभापति, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के पद की दावेदारी करने के साथ यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी का निर्णय मानेंगे पर उनकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए। अपना खयाल रखने के पार्टी पार्षदों के दावों से परेशान जिला अध्यक्षों और संगठन पदाधिकारियों ने इससे पार्टी द्वारा नियुक्त निकाय प्रभारी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को अवगत भी करा दिया है।
रायशुमारी में दावों के बीच तय होगा अंतिम नाम
पार्षदों की दावेदारी के बीच सभापति, नगर परिषद व नगरपालिका अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के पद के लिए प्रदेश संगठन द्वारा नियुक्त नगर निगम, नगरपालिका प्रभारी व स्थानीय मंत्री, विधायक व अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों के साथ रायशुमारी का रास्ता पार्टी ने निकाला है। इस रायशुमारी के दौरान दावेदारी करने वालों के नाम पर विचार करने के साथ पार्टी हित में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। इस बीच सभी पार्टी पार्षदों को एकजुट रहने और कांग्रेस के बहकावे में नहीं आने की नसीहत दी जा रही है।
जहां मामूली अंतर वहां दोनों दलों ने लगा रखी है ताकत
जिन नगर निगम, नगरपालिका व नगर परिषद में भाजपा और कांग्रेस के निर्वाचित पार्षदों के बीच संख्यात्मक अंतर ज्यादा नहीं है, उन्हींं निकायों में सबसे अधिक तोड़फोड़ हो रही है और इसी को देखते हुए पार्षदों की बाड़ेबंदी भी की जा रही है। ऐसे पार्षदों को भोपाल लाकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उनकी मुलाकात का दौर भी जारी है।