विपिन नीमा की खास रिपोर्ट
इंदौर। शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही शहर की नई शहरी सरकार का सफर शुरू हो गया है। शहर की जनता का “मित्र” बनने की चुनौतियों का आज से ही श्रीगणेश हो गया है। नगर निगम का खजाना तो खाली है और उम्मीदें ढेर सारी है। 85 पार्षदों के साथ नेताओं -रसूखदारों को भी आसान नहीं होगा। अतिरिक्त महाधिवक्ता से महापौर बने पुष्यमित्र भार्गव का सफर तो शुरू हो चुका है लेकिन सफर में कई चुनौतियां है। जिससे उन्हें निपटना भी होगा।
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पार्टी की गुटबाजी खत्म करना होगी
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यहां से शुरू होगी चुनौतियां
भव्य शपथ ग्रहण समारोह के साथ महापौर का कार्यकाल प्रारंभ हो चुका है। सबसे पहले तो महापौर को भाजपा के उन नेताओं को साधना पड़ेगा जो अभी तक टिकिट न दिए जाने से नाराज है, क्योकि पार्टी में टिकिट का मसला सुलझा नहीं है। इसी कारण पार्टी में भीषण गुटबाजी बनी हुई है। गुटबाजी को खत्म करना, ओर निगम को नेताओं-रसूखदारों से बचाने की चुनौती भी महापौर के लिए कम नहीं रहेगी।
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तैयार है मेयर हाउस, कहा रहेंगे
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महापौर के लिए मेयर हाउस तैयार हो चुका है। क्या वे भी अन्य महापौरों की तरह घर पर रहेंगे ? ऐसा बताया गया है की महापौर मेयर हाउस में रहेंगे। उनका ऐसा मानना है की महापौर बनने के बाद समस्याओं को लेकर सुबह से ही लोगों का आना जाना शुरू हो जांएगा। ऐसी स्थिति में घर- परिवार की व्यवस्थाएं प्रभावित होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए महापौर मेयर हाउस पर ही रहेंगे।
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प्रशासनिक क्षमता का आकलन भी होगा
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भार्गव अतिरिक्त महाअधिवक्ता के रूप में भार्गव का कार्यकाल एक साल का रहा। इसमें वे सफल रहे, मगर उनकी प्रशासनिक क्षमता का आंकलन अगले कुछ दिनों-महीनों में स्पष्ट हो जाएगा। भार्गव मप्र उच्च न्यायालय के सबसे युवा अतिरिक्त महाविधवक्ता चुने गए थे । इस पद पर रहते हुए उन्हें करीब एक वर्ष हो चुका था, त्यागपत्र देने के साथ उनकी यह पारी समाप्त हो गई। अब शहर के 24 वें महापौर के रुप में उनकी नई पारी का आगाज हो चुका है।