एमपी में 13 सालों में सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों की होगी लिस्टिंग
भोपाल: प्रदेश में सार्वजनिक स्थलों पर पिछले 13 साल में बनाए गए धार्मिक स्थलों की सूची तैयार करने के निर्देश राज्य शासन ने कलेक्टरों को दिए हैं। इसमें अस्पताल, शासकीय परिसर, वन क्षेत्र और सड़कों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बनाए गए धार्मिक स्थल शामिल करने के लिए कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर यह जानकारी दूसरी बार तैयार कराई जा रही है। इसके पूर्व शासन द्वारा 2009 तक की स्थिति में ऐसे स्थलों की जानकारी तैयार की जा चुकी है। अब इसके बाद की अवधि में बनाए गए धर्मस्थलों की जानकारी देना होगी।
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व द्वारा प्रशासित अधिनियम मध्यप्रदेश सार्वजनिक स्थान धार्मिक भवन एवं गतिविधियों के विनियमन संशोधन अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई के निर्देश कलेक्टरों को दिए गए हैं। कलेक्टरों से कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों से इसकी जानकारी लेकर शासन को भेजें। राजस्व अधिकारियों को सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश व अधिनियम के अनुसार वर्ष 2009 के बाद निर्मित ऐसे धार्मिक स्थल जो आवागमन में बाधा हैं या सार्वजनिक स्थलों पर अनाधिकृत रूप से निर्मित किए गए है, उनकी जानकारी जुटानी है। इसके बाद राजस्व अनुविभाग वार ऐसे स्थलों को चिन्हित कर सूचीबद्ध कर सूची शासन को भेजना होगी। इसके आधार पर राज्य शासन सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देगा।
कलेक्टरों से कहा गया है कि जिलों के ग्रामीण व शहरी दोनों ही क्षेत्रों में मौजूद ऐसे धार्मिक स्थल सूचीबद्ध करना है। इसमें शहर की सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्ग, राजमार्ग, जिले के अन्य मार्ग, शैक्षणिक संस्थाओं, शहर की बस्ती की गली, शासकीय चिकित्सालयों व शासकीय परिसर, सार्वजनिक तालाब, नदी के निकट स्थित, वन क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से स्थित धार्मिक स्थल शामिल किए गए हैं।
पूर्व में चिन्हित हुए थे पचास हजार से अधिक धार्मिक स्थल
तेरह साल पहले की स्थिति में राज्य शासन द्वारा जुटाई गई जानकारी के बाद प्रदेश में 50 हजार से अधिक धार्मिक स्थलों को सार्वजनिक स्थानों पर पाया गया था। इसके लिए कई जिलों में अभियान चलाकर आपसी सहमति से ऐसे धार्मिक स्थलों को शिफ्ट करने का काम भी तबके कलेक्टरों ने किया था। अब एक बार फिर इसकी कवायद नए सिरे से हो रही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट हर छह माह में राज्य शासन से नए धार्मिक स्थलों को हटाने के मामले में की गई कार्यवाही का हलफनामा मांगता है। यह हलफनामा मुख्य सचिव की ओर से दिया जाता है।