New opium policy announced
*मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की ख़ास ख़बर*
मंदसौर । बहुप्रतीक्षित अफ़ीम उत्पादन निति की आधिकारिक घोषणा बीती रात केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा की गई । वर्ष 2021 – 22 के लिये मोटेतौर पर अधिक बदलाव नहीं हुआ है ।
अफ़ीम उत्पादन में न्यूनतम मार्फिन प्रतिशत 4.2 से 5. 9 औसत प्रति हेक्टेयर माना गया है । पिछले वर्ष भी इसके आधार पर काश्तकारों को अफ़ीम उत्पादन लायसेंस दिये गए थे ।
नई नीति अनुसार गत वर्ष अधिक औसत मार्फिन अफ़ीम देने वाले किसानों को प्रोत्साहित करते हुए अधिक आरी के लाइसेंस मिलेंगे ।
वित्त मंत्रालय की नारकोटिक्स विंग द्वारा निति में प्रति हेक्टेयर न्यूनतम
5. 9 मार्फिन मात्रा तय की गई , इसमें
न्यूनतम औसत 4.2 किलोग्राम मार्फिन देने वालों को भी अफ़ीम पट्टे मिल सकेंगे । खराब फसल के कारण
पिछले साल विभाग की निगरानी में उपज हंकवाने वाले किसानों को भी पट्टे दिये जायेंगे ।
इसके साथ ही साल
2018 -19, 2019 – 20 , 2020-21
में अफ़ीम जुताई की हो परन्तु साल
2017 – 18 में अफ़ीम जुताई नहीं की हो उन किसानों को भी पट्टा दिया जाएगा ।
नई नीति में बताया गया है कि एनडीपीएस एक्ट अंतर्गत किसी पर प्रकरण हो और सक्षम न्यायालय द्वारा
31 जुलाई 2021 तक ऑर्डर में बरी किया गया है तो उन पात्र किसानों को अन्य शर्तें पूर्ण होने पर लायसेंस मिलेंगे ।
वर्गीकरण अनुसार न्यूनतम 5 आरी , 6 आरी , 10 आरी और अधिकतम 12 आरी के पट्टे जारी होंगे ।
मंदसौर – नीमच – जावरा , रतलाम , चित्तौड़गढ़ , प्रतापगढ़ , कोटा , झालावाड़ , उदयपुर आदि क्षेत्रों में ही देश की कुल अफ़ीम उत्पाद की 80 फीसदी उपज होती है । कोई 30 से 50 हजार किसान अफ़ीम पैदावार लेते हैं ।
किसानों के लिये अफ़ीम उत्पादन का पट्टा प्रतिष्ठा सूचक माना जाता है ।
वहीं अफ़ीम और इसके बायप्रोडक्ट
तस्करी और नशे कारोबार के साथ अपराध गतिविधियों को बढ़ाने में अंचल का सामाजिक तानाबाना प्रभावित कर रहे हैं ।
हालांकि नारकोटिक्स विभाग के पास अनुमानित 700 – 800 मीट्रिक टन अफ़ीम का बम्पर स्टॉक संग्रहित है ।
उसके बाद भी नये सत्र के लिये अफ़ीम उत्पादन की नीति जारी की गई है । किसानों की मूल्य वृद्धि की मांग भी ठंडे बस्ते में रखी गई है ।