दिग्गी-वीडी विवाद के पीछे कौन?

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दिग्विजय सिंह यूं ही किसी से व्यक्तिगत विवाद मोल नहीं लेते। दिग्विजय सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच शुरू हुआ राजनीतिक विवाद अब व्यक्तिगत हो गया है। खबर है कि दिग्विजय सिंह ने वीडी शर्मा के खिलाफ शिकायत करने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से समय मांगा है। दूसरी ओर वीडी शर्मा के इशारे पर दिग्विजय सिंह के दामाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि पन्ना में वीडी शर्मा का बंगला बनाने के लिए गरीबों की जमीन हड़पी जा रही है।पन्ना जिला भाजपा अध्यक्ष ने दिग्विजय के दामाद रंजीत सिंह पर आदिवासियों की जमीन हड़पने के आरोप लगाए हैं। इस बीच पन्ना जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। प्रशासन ने दिग्विजय सिंह समर्थक दिव्यारानी सिंह का कथित अतिक्रमण हटा दिया गया है। भोपाल में यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर दिग्विजय सिंह ने किसके इशारे पर वीडी शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोला है?

*केके ने क्यों माना सीएम का आभार!*
मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के खिलाफ आग उगलने वाले कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मीडिया केके मिश्रा ने अचानक एक संदेश भेजकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया है और उनके प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त की है। दरअसल पिछले दिनों अचानक पता चला कि केके मिश्रा की पत्नी को कैंसर के लक्षण हैं। मुख्यमंत्री को इसकी भनक लगी तो उन्होंने श्रीमती मिश्रा का इलाज सरकारी मदद से करने का प्रस्ताव भेजा। मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव ने केके मिश्रा को भावुक कर दिया। उन्होंने फिलहाल इस प्रस्ताव को तो स्वीकार नहीं किया है। लेकिन मुख्यमंत्री को जवाबी संदेश भेज कर इस विषाक्त राजनीतिक माहौल में अपने कट्टर विरोधी के प्रति इतनी सद्भावना दिखाने के लिए उनका आभार व्यक्त किया है और संकट की इस घड़ी में मुख्यमंत्री की इस पहल के लिए कृतज्ञता व्यक्त की है।

*डिप्रेशन में आईएएस*
मप्र में एक सीधी भर्ती के युवा आईएएस आजकल डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं। कई जिलों में कलेक्टर रहे इस आईएएस अधिकारी के खिलाफ पिछले 10 साल में इतनी शिकायतें आ चुकी हैं कि सरकार ने इन्हें लूप लाईन में डाल दिया है। शिकायतों की जांच और उनके जवाब देने के चक्कर में आईएएस अधिकारी लूप लाईन में भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दिनों उनके व्यवहार को लेकर उनके साथी भी परेशान है। अधिकांश का मानना है कि सरकार की उपेक्षा और अनेक जांच एक साथ खुलने से युवा आईएएस डिप्रेशन में चले गए हैं। उनके परिवार वाले भी उनके व्यवहार से परेशान हैं। बताया जाता है कि लगभग यही हाल युवा आईएएस लोकेश जांगिड का भी है। सरकार से भिडंत के बाद वे पूरी तरह उपेक्षित कर दिये गये हैं।

*भूपेन्द्र पर भरोसा है*
शिवराज सरकार के वरिष्ठ मंत्री भूपेन्द्र सिंह को प्रदेश भाजपा में अनिल दवे के विकल्प के तौर पर पहचाना जाने लगा है। अनिल दवे और उनके सहयोगी विजेश लुणावत के अचानक निधन के बाद भाजपा में चुनाव मैनेजमेंट विशेषज्ञ की कमी महसूस की जा रही थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनिल दवे के विकल्प के रूप में भूपेन्द्र सिंह को आगे किया है। पिछले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में मिली सफलता के बाद भूपेन्द्र सिंह को दमोह उपचुनाव का प्रभारी बनाया गया। दमोह में बेशक सफलता नहीं मिली लेकिन सत्ता और संगठन का भूपेन्द्र पर विश्वास बरकरार है। मौजूदा 3 विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव का प्रबंधन भी भूपेन्द्र सिंह को सौंपा गया है।

*वरिष्ठ मंत्री को फटकार*
शिवराज सरकार के एक मंत्री खुद की छवि बनाने के चक्कर में संघ और संगठन के निशाने पर आ गए हैं। खबर है कि संगठन और संघ के पदाधिकारियों ने मंत्री को जमकर फटकार लगाई है और हिदायत दी है कि भविष्य में खुद की छवि चमकाने के बजाए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की छवि का ध्यान रखें। दरअसल पिछले दिनों इन मंत्री के क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के गृह प्रवेश के अवसर पर मंत्रीजी ने प्रधानमंत्री और अपने बड़े-बड़े फोटो के पोस्टर, बैनर लगवा दिए। इन पोस्टर बैनर पर मुख्यमंत्री का फोटो बहुत ही छोटा लगाया गया था। इसके अलावा पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने इन मंत्री के क्षेत्र में एक कार्यक्रम को ऑनलाईन संबोधित किया था। इस दौरान भी मंत्री का पूरा फोकस स्वयं की छवि चमकाने पर केंद्रित था। संघ और संगठन ने मंत्री को थोड़ा धीमे और संभलकर चलने की हिदायत दे दी है।

*खुली बगावत की चेतावनी*
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खंडवा लोकसभा उपचुनाव में आखिर दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह चौहान को टिकट क्यों नहीं दिला पाए? भाजपा कार्यालय की दीवारों से बाहर आ रही खबरों पर विश्वास किया जाये तो पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस की खुली बगावत की धमकी से संगठन सहम गया था। बंद कमरे में हर्ष और अर्चना के बीच समझौता कराने का प्रयास किया, लेकिन अर्चना ने दो टूक कह दिया कि हर्ष को टिकट दिया तो वे खुलकर विरोध करेंगीं। हर्ष और अर्चना के झगड़े से ज्ञानेश्वर पाटिल की लाॅटरी लग गई। टिकट न मिलने से नाराज हर्ष सिंह को भवन में चले गये थे, लेकिन मुख्यमंत्री व संगठन की समझाइश पर बेशक चुनाव प्रचार में लग गये हैं, लेकिन निमाड में अर्चना व नन्दू भैया के बीच चलने वाला विवाद अब हर्ष बनाम अर्चना हो गया है।

*और अंत में…*
प्रदेश भाजपा की दोनों भगवाधारी साध्वियां प्रदेश सरकार और संगठन के लिए फिलहाल सिरदर्द बनी हुई हैं। वरिष्ठ साध्वी उमा भारती मप्र की सक्रिय राजनीति में लौटना चाहती हैं। लेकिन संगठन उन्हें खास तवज्जों नहीं दे रहा है। उमा भारती ने फैसला कर लिया है कि  अगले साल की शुरूआत में वे मप्र में शराब बंदी के बहाने सार्वजनिक रूप से सक्रिय होंगी। उन्होंने अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि 15 जनवरी 2022 तक गुजरात और बिहार की तरह शराबबंदी का फैसला करें वर्ना वे लट्ठ लेकर सड़क पर उतरेंगी। भाजपा की दूसरी जुनियर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बारे में सभी जानते हैं कि वे जब भी मुंह खोलती हैं किसी न किसी नए विवाद को जन्म दे देती हैं। प्रज्ञा सिंह ने बयान दिया है कि मंदिरों पर सरकार का कब्जा है। मंदिर में आने वाला दान सरकार के खजाने में होता हुआ विधर्मियों (मुसलमानों) के पास जा रहा है। उन्होंने इसे रोकने के लिए भोपाल में एक अखाड़े का गठन किया है। यानि दोनों साध्वियां लट्ठ लेकर सरकार के खिलाफ उतरने की तैयारी में हैं।