मध्यप्रदेश के लिए 22 अगस्त 2022 का दिन खास बनने वाला है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह राजधानी भोपाल में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। वह प्रदेश को मिल रही उन “शाही सौगातों” के साक्षी भी बनेंगे, जो इतिहास में शामिल होगीं। बरखेड़ा बोंदर में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी केम्पस का भूमि-पूजन शाह करेंगे। यह यूनीवर्सिटी प्रदेश और देश में अपराधों की विवेचना और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगी और मील का पत्थर साबित होगी। मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, किसान कल्याण, महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध अपराधों की विवेचना, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद एवं नक्सलवाद जैसे विषयों की रोकथाम के लिए व्यापक विचार-विमर्श होगा। इसमें जो भी निष्कर्ष निकलेंगे, उसका लाभ मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ चारों राज्यों को मिलेगा। मध्य क्षेत्रीय परिषद में यही चार राज्य शामिल हैं। इस बैठक में इन चारों राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
शाही सौगात मध्यप्रदेश पुलिस को भी मिलने जा रही है। केन्द्रीय गृह मंत्री शाह 261 करोड़ 69 लाख की लागत वाले 1304 आवासीय भवनों और 67 करोड़ 91 लाख की लागत वाले 54 प्रशासकीय भवनों का लोकार्पण करेंगे। साथ ही 34 करोड़ 68 लाख की लागत के 168 आवसीय भवनों और 51 करोड़ 12 लाख की लागत वाले 54 प्रशासकीय भवनों का शिलान्यास करेंगे। तो शाही सौगात उन पुलिस परिवारों को भी मिलेगी, जिनसे शाह मुलाकात करेंगे। हालांकि यह मुलाकातें निहायत औपचारिक होंगीं, लेकिन मुलाकात के चित्र पुलिस परिवारों के लिए शाही साबित होंगे।
शाम को होटल ताज में कृषि विपणन में सहकारी संस्थाओं की भूमिका विषय पर कार्यक्रम को केंद्रीय गृह मंत्री शाह संबोधित करेंगे। सहकारिता मंत्री के रूप में शाह की मंशा भी यही है कि पंचायत स्तर तक सहकारिता आमजन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करे। हो सकता है कि मध्यप्रदेश शाह की सोच पर अमल करने वाला पहला राज्य बन जाए। इससे पहले मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के जन्म शताब्दी समारोह के तहत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा कर शाह नई दिशा देने का काम करेंगे। मध्यप्रदेश मोदी की महत्वाकांक्षी सोच नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में स्कूल और महाविद्यालय स्तर पर विशेष उपलब्धियां हासिल करने का दावा कर रहा है। तो शाह कुछ प्रेरक का काम कर सकते हैं।
तो शाह जहां मध्यप्रदेश को शाही सौगातें देंगे, तो मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ को भी विचार मंथन से अमृत निकालकर कुछ विशेष सौगात दे सकते हैं। इस महत्वपूर्ण बैठक से थोड़ा तकलीफ हो सकती है, तो छत्तीसगढ़ को…क्योंकि मामला अलग दल और अलग विचारधारा का जो है। पर मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक औपचारिक है, इसलिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी औपचारिक भूमिका में ही रहेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जहां आकर्षण का केंद्र रहेंगे, तो उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी की मौजूदगी खास होगी। खुद चुनाव हार गए, पर पार्टी को पार लगा दिया। तो मोदी भी कहां पीछे हटने वाले थे, हारे को भी बागडोर सौंप दी उत्तराखंड की। शाह के इस दौरे का संयोग ऐसा है कि 21अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बाबूलाल गौर की पुण्यतिथि पड़ गई।
मजदूर से मुख्यमंत्री तक की यात्रा सफलतापूर्वक करने वाले गौर और भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज की मंत्री पद से विदाई 2018 विधानसभा चुनाव से पहले ही हुई थी। तब 75 पार की चर्चा खास रही थी, जो इन दो नेताओं की मंत्री पद से विदाई की वजह बना था। खास बात यह कि गौर भी अंत में गृह मंत्री ही थे। पर शाह जब मध्यप्रदेश पहुंचे थे, तो उन्होंने 75 पार जैसे पार्टी के किसी मापदंड से इंकार कर दिया था। खैर 21 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायक कृष्णा गौर के निवास पर पहुंचकर स्वर्गीय गौर को श्रद्धांजलि दी, तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में गौर को श्रद्धांजलि दी। तो शाह का शाही दौरा शाही सौगातों के लिए मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज हो। किसान कल्याण की दिशा में प्रदेश चार कदम आगे बढ़े, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की रोकथाम की राह निकले और नक्सलवाद-आतंकवाद के खात्मे का मार्ग प्रशस्त हो। सबसे खास अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण को कुछ खास सौगात मिल सके…।