Brahman Politics : प्रीतम लोधी पर कार्रवाई के पीछे ब्राह्मण वोटरों का गणित भी!
Bhopal : भाजपा नेता प्रीतम लोधी की ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी के बाद जो कार्रवाई की गई, वो होना ही थी! उनके माफीनामे के बाद भी पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया, जिसकी उम्मीद की जा रही थी! इसका सबसे बड़ा कारण अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव है। यही कारण है कि उमा भारती की आड़ लेने के बावजूद उन्हें पार्टी से निकालने में देर नहीं की गई! इसलिए कि भाजपा 60 विधानसभा सीटों को प्रभावित करने वाले 40 लाख वोटरों को नाराज करने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
प्रीतम लोधी के बयान का वीडियो वायरल सामने आने के बाद भाजपा के बड़े नेता रुके नहीं! उन्हें तत्काल नोटिस देकर भोपाल बुलाया गया। ब्राह्मणों को देवता तुल्य मानकर माफी मांगने के बाद भी पार्टी ने उनको बक्शा नहीं! अब ये बात अलग है कि क्या इससे ब्राह्मण खुश हो जाएंगे।
2018 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटर बंटने से ही सत्ता भाजपा के हाथ से खिसक गई थी। यही कारण है कि पार्टी एक नेता को साधने की कोशिश में ब्राह्मणों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती! वो भी ऐसी स्थिति में जब पार्टी के कई बड़े पदों पर ब्राह्मण नेता विराजमान हैं। लोधी के बयान के बाद कई ब्राह्मण संगठनों ने विदिशा, ग्वालियर और भिंड में प्रदर्शन भी किए।
प्रदेश में भाजपा ने 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू। ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग के वोटर को लुभाने की कोशिश पार्टी कर ही रही है, ऐसे में ब्राह्मणों का विरोध सहने की स्थिति नहीं थी! ब्राह्मण वोटर प्रदेश में निर्णायक भूमिका में हैं। कुल वोटरों का 10% ब्राह्मण वोटर हैं, जो विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र की 60 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव डालने की स्थिति में हैं।
भाजपा ने चार प्रमुख पदों पर ब्राह्मण नेताओं को बैठाया है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष पद पर गिरीश गौतम और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा सभी ब्राह्मण हैं। प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण समाज के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया, उनके साथ लोधी समाज भी खड़ा नहीं हुआ।