बदलता भारत -4 आत्म निर्भर भारत के अश्व मेध का घोड़ा सरपट दौड़ रहा है

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कांग्रेस के कर्मों से जनता ने देश का ताज तो भारतीय जनता पार्टी के सिर पर रख दिया, लेकिन यह हीरे-मोती जड़ा नहीं था। इसमें कांटे थे,  भाले थे, दिवाले थे और हवाले भी थे। जिधर निगाह दौड़ाओ उस तरफ ही हताशा, निराशा, लूट, बेरूखी और बेबसी पसरी पड़ी थी। कहीं शोरगुल था तो कहीं सन्नाटा। ऐसे हालात में जब सत्ता मिले तो दो संभावनायें प्रबल रहती हैं। पहली,व्यक्ति उसी व्यवस्था को आगे बढ़ाये। दूसरी, बुरी तरह से विफल और कुंठित हो जाये। नरेंद्र मोदी के साथ ये दोनों ही नहीं हुआ।

वजह थी, देश की बागडोर संभालने के बाद की तयशुदा योजना का खाका बनाने के बाद ही नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक समंदर की गहराई में गोता लगाने का जोखिम उठाया था। उनके सामने न दुविधा थी, न किंकर्तव्यमूढ़ता। वे निश्चिंत थे, स्पष्ट थे और लक्ष्य भेदन में महारत भी थी ही।

यदि उनके पास सत्ता संचालन की समग्र संरचना न होती तो जनता उन्हें 2019 के चुनाव में ही इतिहास के कूड़ेदान में कहां फेंक देती, पता ही नहीं चलता, क्योंकि पूर्ववर्ती सरकारों के 67 वर्षीय कार्यकाल का इतना कूड़ा व्यवस्था के ऊपर जमा था कि किसी साधारण झाड़ू-पोंछे से सफाई असंभव थी।

यूं देखा जाये तो मोदी सरकार केवल कांग्रेस सरकार को कोसकर भी अपना काम चला सकती थी,किंतु मोदी उस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संस्कारित सिपाही हैं, जहां राष्ट्र धर्म, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता सर्वोपरी है। राजनीतिक तौर पर वे जहां कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर सकते थे, बखूबी किया भी, लेकिन अपनी लकीर बड़ी करने पर ज्यादा ध्यान दिया । पिछले आठ बरस में भाजपा सरकार ने जो और जितने काम किये हैं, वे पूर्व के सात दशक में प्रारंभ हो गये होते तो नि:संदेह देश आज दुनिया में सिरमोर होता।

हर क्षेत्र में हजारों-लाखों करोड़ों के घोटालों की गूंज वाली कांग्रेस सरकार के बिदा होने के बाद क्या यह कम बडी उपलब्धि है कि मोदी सरकार के एक भी मंत्री पर एक भी आरोप नहीं लगा, न किसी घोटाले का शोर सुना गया। मोदी सरकार के ऐतिहासिक, जनप्रिय, जन हितैषी और उल्लेखनीय कामों में सबसे पहले स्वच्छ भारत अभियान की ही बात कर लें। कितनी बड़ी त्रासदी माने कि मोदी सरकार को सबसे पहले देशवासियों को शौच जाने का सही तरीका सिखाना पड़ा। खुले में शौच कितनी बड़ी विडंबना थी, जरा सोचकर देखिये।

10 फरवरी 2022 को सदन में सरकार ने बताया कि फरवरी 2019 तक देश में 10.9 करोड़ निजी शौचालय बन चुके थे। जन धन खाते किसी क्रांति से कम नहीं । ये पहले साल में ही 17.90 करोड़ खाते खुल गये थे।

ये उन गरीब,कमजोर तबके के लोगों के खाते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से अलग-अलग मदों में नियमित और आपातकालीन अवस्था में नकद रकम सहायता के तौर पर डाली जाती है। इस तरह के खातों से बड़ी रकम पहले कमीशनखोर बाबू बिरादरी और दलाल बाले-बाले हड़प लिया करते थे। मोदी सरकार ने तमाम सब्सिडी, अनुदान, सहायता राशि बैंक खातों में ऑनलाइन जमा कर सबकी दुकान-गुमटियों पर ताले डाल दिये।

अभी तक कुल 29.54 करोड़ जन धन खाते खुल चुके हैं, जिसमें से 24.61 करोड़ खाते महिलाओं के हैं। याने गृहिणियों की तादाद ही ज्यादा है, जो हर हाल में बचत करना जानती है। किसान सम्मान निधि के तौर पर करीब 12 करोड़ किसानों के खाते में सालाना 75 हजार करो़ड़ रुपये जमा किये जा रहे हैं। इनमें 9 करोड़ किसान 2 बीघा या उससे कम जमीन वाले हैं, जिन्हें न्यूनतम 6 हजार रुपये सालाना मिलते ही हैं।

रक्षा क्षेत्र में देश को लगभग आत्म निर्भर बना दिया गया है, जो सदी की बड़ी उपलब्थि है। रक्षा के लिये 2014 में 37.15 बिलियन डॉलर का बजट था, जो 2021 में दुगने से अधिक 76.6 विलियन डॉलर कर दिया गया। यह देश के कुल बजट 527.36 बिलियन डॉलर (39.45 लाख करोड़ भारतीय रुपये) का सातवां हिस्सा है। इससे बढ़कर गर्व करने लायक बात तो यह भी है कि जिस स्वीडन राष्ट्र की बोफोर्स तोप खरीद कर राजीव गांधी की सरकार 20 करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप में गिर गई थी, उसी स्वीडन ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स से 400 सारंग तोप खरीदी का फैसला किया है।

साथ ही बोफोर्स के लिये लगने वाले गोले हजारों की तादाद में खरीद रही है। भारतीय वायु सेना ने 23 साल बाद लडाकू विमान खऱीदी का ऑर्डर दिया। भारत ने 36 राफेल का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 26 मिल चुके हैं। साथ ही आत्म निर्भर भारत योजना के तहत वायु सेना 96 लड़ाकू विमान देश से ही खरीदेगा, जबकि केवल 18 विमान विदेश से लेगी। जिस सेना के पास कभी सियाचीन की माइनस 50 डिग्री तापमान में पहनने लायक कपड़े और जूते नहीं होते थे, उन्हें अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

लद्दाख और अरुणाचल से लगी चीन की सीमा तक उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। पहले कश्मीर और लद्दाख का संपर्क बर्फबारी के मौसम में करीब तीन महीने टूट जाता था। अब सीमा सड़क संगठन(बीआरओ) ने हिमाचल के रास्ते रोहतांग दर्रे से लद्दाख को जोड़ दिया, जिससे बारहों महीने यातायाट चालू रहता है। चीन व पाक के मद्देनजर यह बेहद महत्व की सामरिक सड़क है।

सड़कों के मामले में तो जैसे अब कहने को कुछ बचा ही नही है। इतना काम नितिन गडकरी कर रहे हैं। 2014 तक देश में प्रतिदिन औसत 11.7 किलोमीटर राजमार्ग बनते थे, जो अब 28.16 कि.मी. हो गया है। 21 राज्यों से गुजरने वाले 30 एक्सप्रेस वे 11 हजार किमी लंबे बन रहे हैं तो भारतमाला योजना के तहत 13 एक्सप्रेस वे प्रस्तावित हैं, जो 4500 किमी लंबे होंगे।

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 340 किमी, मेरठ-दल्ली एक्सप्रेस वे 14 लेन,दिल्ली-नोएडा 8 लेन एक्सप्रेस वे के सा्थ ही दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे देश को शानदार तोहफा साबित होगा। यह 1350 किमी लंबा रास्ता 12 घंटे में पूरा किया जा सकेगा, जो अभी 8 लेन होगा तो भविष्य में 12 लेन किया जाने वाला है। याद कर लीजिये कि स्वाधीनता के बाद से देश में कितनी सड़कें,एक्सप्रेस वे बने और बीते 8 साल में कितने बने तो विकास की गति और नीयत दोनों का खुलासा हो जायेगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना का बड़ा लाभ बेघर लोगों को और खुद के घर की चाहत के बावजूद धन की कमी के चलते निम्न और मध्यमवर्गीय व्यक्ति मन मसोस कर रह जाते थे। इस योजना में साढ़े तीन आवास बनाये जा चुके हैं। इसके तहत शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में डेढ़ लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।

मोदी सरकार की उपलब्धियों में समूची दुनिया को चमत्कृत कर देने वाला काम कोरोना काल में भी हुआ, जब विज्ञान, तकनीक और संसाधन में हमसे कहीं आगे रहने वाले देश देखते ही रहे और भारत ने 205 करोड़ टीकों का उत्पादन कर डंका बजा दिया।

देश की 94 प्रतिशत आबादी को एक, 86 प्रतिशत को दोनों डोज लग चुके हैं और 18 से 59 साल तक के लोगों को बूस्टर निशुल्क कर देने के बाद इसमें भी तेजी आई है। पीपीई कीट,मास्क और सेनेटाइजर का तो निर्यात भी किया गया। टीके भी बड़ी तादाद में बाहर भी भेजे और बेचे भी।

एक और बड़ी बात। 2017 में पाकिस्तान में एअर स्ट्राइक करने के बाद याद नहीं पड़ता कि पाक सेना ने कभी आतंकवादियों को कवर फायर कर कश्मीर में घुसपैठ करने में मदद की हो। पहले कोई दिन ऐसा नहीं जाता था जब पाक सेना की ओर से फायरिंग न होती हो। घर में घुसकर निपटाने से उसे अंदाज हो गया कि भारतीय सेना क्या कर सकती है।

यही वजह है कि आतंकवादी घटनायें काफी कम हुई हैं। हालांकि पाक इतना शरीफ तो कभी हो ही नहीं सकता कि हरकतें न करें तो अब उसने कश्मीर में स्थानीय युवाओं के जरिये कभी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर तो कभी सशस्त्र बलों पर हमले करवा रहा है।

बेशक भाजपा के सत्ता में आने के बाद उस पर जबरदस्त दबाव इस बात के लिये रहा कि वह कश्मीर से धारा 370 व 35 ए खत्म करे,राम मंदिर बनाये और समान नागरिकता कानून भी लाये। क्या 6 अगस्त 2019 से पहले पूरी दुनिया में कोई सोच भी सकता था कि 370 व 35 ए हट सकती है?

मोदी सरकार ने यह इतनी खामोशी, सावधानी और तैयारी से किया कि परिंदा भी पर नहीं मार सका। जहां इस तरह के किसी भी क्रियाकलाप को लेकर खून खराबे की आशंका हो, वहां पत्ता भी न खड़के तो मानना चाहिये कि सब कुछ संविधान के दायरे में रहकर भी किया जा सकता है, बशर्ते आपमें साहस और नैतिक बल हो।

जिस कश्मीर में कभी एक तिरंगा नही फहराया जा सकता था, वहां पर तिरंगा रैली निकले और शिकारे डल झील में तिरंगा लहराते हुए लहरों पर पर्यटकों को सैर करा रहे हैं। राम मंदिर बनाने का रास्ता तो उच्च न्यायालय ने साफ किया और यह देश हित में सबसे अहम रहा कि राजनीतिक फैसले की बजाय अदालत ने इसमें पहल की।

(क्रमश:)