जिस तरह परंपरागत सूदखोरी का जाल अभी तक कई गरीब, आदिवासी और सूद के दुष्चक्र में फंसे लोगों के गले की फांसी बनता रहा है, ठीक उसी तरह 21 वीं सदी का आगामी समय “एप लोन” के जरिए ऋण लेकर सुकून की सांस लेने का दुस्वप्न देखने वाले लोगों के लिए जानलेवा अभिशाप बनने वाला है। साइबर क्राइम की दुनिया में ‘रहम’ नाम का कोई शब्द नहीं है। साइबर क्राइम की दुनिया अदृश्य रूप से तो निर्दोषों को पीड़ित करती ही है, तो दृश्य-श्रव्य दोनों माध्यम के जरिए भी ब्लैकमेल करने का कोई अवसर नहीं गंवाती। किसी सक्षम व्यक्ति के एकाउंट से लाखों की राशि उड़ाने के बाद जब यह अपराधी गुलछर्रे उड़ाते हैं, तो ठगा हुआ व्यक्ति फिर भी धैर्य रखकर कानूनी कार्यवाही का सहारा लेकर आगे बढ़ जाता है।
लेकिन जब कोई जरूरतमंद और मोहताज इंसान इन अपरिचित कसाईयों की मुट्ठी में कैद होता है, तो अंजाम जानलेवा ही साबित होता है। यही हुआ है इंदौर के अमित यादव के साथ। ऑनलाइन लोन एप के झांसे में आने पर पूरा परिवार ही अपनी जान गवां बैठा। गुनाह यही था कि सूदखोरों की तरह एप लोन के ठग अमित यादव की चमड़ी और दमड़ी खींचते रहे। उस पर धमकाने और बेइज्जत करने में भी पीछे नहीं रहे। जब बात अमित के बर्दाश्त से बाहर हो गई तो परेशान होकर डेढ़ साल के बेटे दिव्यांश, 3 साल की बेटी याना और 29 साल की पत्नी टीना को जहर देकर खुद फांसी लगाकर भरा पूरा परिवार इस दुनिया को अलविदा कह गया। कितने निरंकुश हैं यह बदले जमाने के सूदखोर, उसकी बानगी है इंदौर की यह बेरहम घटना।
पति-पत्नी तो बालिग थे, लेकिन बेचारे मासूम, निर्दोष और दुनिया की दानवी प्रवृत्तियों से अनजान डेढ़ साल के बेटे दिव्यांश और 3 साल की बेटी याना का क्या गुनाह था…? यही कि उन्होंने पिता अमित के परिवार में मां टीना की कोख से जन्म लिया था। जिनकी जिंदगी का फैसला करने का हक बस इसीलिए माता-पिता ने अपने हाथ में लेना बेहतर समझा कि पता नहीं उनके जाने के बाद यह मासूम किस नरक को भोगने पर मजबूर होंगे। दिल को झकझोर देने वाली यह घटना भविष्य के लिए अलार्मिंग है। यह संकेत दे रही है कि कैसी भयावह त्रासदी आने वाली है। बिना डॉक्युमेंट के लोन लीजिए…जैसे मैसेज के झांसे में न आएं। यही ऑनलाइन एप लोन हैं जो साक्षात यमराज के दूत हैं। यह हर हाल में जान लेकर हंसती खेलती देहों को मिट्टी बनाने का जरिया हैं। जो इनके जाल में फंस गया, तो समझ लो मर गया…।
अमित यादव ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिससे पूरा घटनाक्रम सामने आ चुका है। सुसाइड नोट में लिखा है कि उसने मनी व्यू, डी मार्ट क्वाइन, मनी टू बैलेंस, मनी पॉकेट और रुफिलो जैसे ऑनलाइन एप से लोन लिया था। लेकिन मैं लौटा पाने में असमर्थ हूं और इससे मेरी इज्जत ख़राब हो रही है। मुझे धमकियां मिल रही हैं और मेरे एकाउंट में केवल 850 रुपये हैं। इसे मैं अपने भाई और दोस्त को ट्रांसफर कर रहा हूं, जिन्होंने मेरे हर कदम पर साथ दिया है। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने घटना पर दुख जताया है। इंदौर पुलिस कमिश्नर को घटना से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से जांच के निर्देश दिए हैं। भोपाल में साइबर सेल के जरिए लोन एप की प्रक्रिया और तरीके की विस्तृत जांच कराने की बात कही है। पर यह रस्म अदायगियां तो चलती रहेंगीं। अभी तो सरकार परंपरागत सूदखोरों से निपटने का काम भी पूरा नहीं कर पाई है। पैसे के लालची दानव, समाज में अब भी हाथ में खंजर लेकर सूदखोरी के धंधे में अट्टहास करते मौजूद हैं। फिर यह ऑनलाइन सूदखोर तो शिकंजे से अभी बहुत दूर हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस ने लोन एप के जरिए होने वाली धोखाधड़ी को लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसके मुताबिक ठगों द्वारा ऑनलाइन फ्रॉड के तरीके से आम लोगों के साथ ठगी की जा रही है। ठग व्यक्ति को तत्काल लोन देने के नाम पर मोबाइल पर एप डाउनलोड करवाते हैं। ऐसे ठग 2 से 4 हजार का लोन बहुत कम अवधि के लिए देते हैं। उस लोन को चुकाने के बाद भी ठग संबंधित व्यक्ति के पर्सनल कॉन्टैक्ट नंबर पर उसके परिचितों को कॉल कर अपशब्द कहना या अश्लील बातें कर व्यक्ति को पैसे डालने के लिए धमकी देते हैं। और यही धमकियां और बेइज्जती अमित यादव जैसे लोन लेने वालों को उस मुहाने पर खड़ा कर देती है, जहां सामने मौत के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।
यहीं पर समझ में आता है कि समाज किस तरह से ऑनलाइन संसार में हर समय ठगे जाने का एक टूल बनकर रह गया है। जैसा कभी अंधे मोड़ों पर साइन बोर्ड लगाकर चेतावनी दी जाती थी, कि “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” या ” मौत से देर भली”…। तो यह ऑनलाइन एप और दूसरे सभी तरह के साइबर अपराध हाथ में मोबाइल और इंटरनेट के साम्राज्य में अंधा मोड़ बनकर मौजूद हैं। यहां आकर अपनी गलती करने की गति पर ब्रेक नहीं लगा पाए, तो आगे खाई में गिरकर या सामने आने वाले वाहन से टकराकर परिवार सहित मौत के मुंह में समाना ही विकल्प बचता है। पुलिस अपराध नियंत्रण का अपना काम पूरी ईमानदारी और देशभक्ति-जनसेवा संग करती रहेगी, लेकिन पुलिस की इस काबिलियत से मौत के आगोश में समा चुके परिवार को जीवन नहीं मिल पाएगा।
इसलिए जानबूझकर बर्बादी की वही राह मत चुनिए, जिसमें ऑनलाइन मौत मुफ्त में मिल रही हो। नेता दुख जताते रहेंगे, पुलिस कानून-व्यवस्था दुरुस्त करती रहेगी लेकिन जो जिंदगियां मौत के मुंह में समा गईं, उनके परिवार के दूसरे बचे सदस्यों की आंखों में नमी रहेगी और मुंह पर यही बोल बचेंगे कि “ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना…”। तो कृपया कर हर उस ऑनलाइन सुख से बचें, जो 440 बोल्ट के झटके के संग जीवन को खत्म कर सकता है। सरकारों को समय रहते इन ऑनलाइन लोन एप को पूरी तरह प्रतिबंधित कर देना चाहिए, ताकि लोगों की जिंदगी ऑनलाइन लूटमार, धमकी और बेइज्जती के चंगुल में दम तोड़ने को मजबूर न हो सके…। आने वाली त्रासदी का अलार्म है इंदौर की परिवार सहित आत्महत्या की घटना …समय रहते इस दानव को दफन करने की जरूरत है।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।
इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।