Flood : गंगा का बढ़ता पानी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में घुसा, हालात बिगड़े!

अस्सी-दशाश्वमेध और नमो घाट गंगा के पानी में डूबे 

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  Varanasi : गंगा का बढ़ता पानी रविवार देर शाम श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में प्रवेश कर गईं। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से 61 सेंटीमीटर ऊपर 71.87 मीटर तक पहुंच गया है। गंगा में बढ़ाव की रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रति घंटा बनी हुई है। जलासेन पथ के रास्ते धाम में गंगा की लहरें घुसने के बाद पूरा रैंप पानी में डूब गया। दूसरी तरफ गंगा ने अस्सी घाट को पूरी तरह से डूबो दिया है। अस्सी से नगवां वाली सड़क पर नावें चल रही हैं। जिला प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया गया।

रविवार को गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के कारण श्री काशी विश्वनाथ धाम के जलासेन पथ पर गंगा पहुंच गईं। हालांकि, गंगा द्वार से गंगा के बीच में अभी 10 सीढ़ियों का फासला है। वहीं जलासेन पथ के बगल में लगी हनुमान जी की प्रतिमा के नीचे भी गंगा की लहरें पहुंचने लगी। गंगा गैलरी पर गंगा की बाढ़ का नजारा देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। नदी की धारा में बढ़ाव से पहले ही प्रमुख घाटों के पंडों और तीर्थ पुरोहितों ने अपनी चौकियों को ऊपर कर लिया है।

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गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ना जारी है। अस्सी घाट से नगवां की ओर जाने वाली सड़क पर यातायात को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। वहां रहने वालों ने अपने मकान खाली कर दिए हैं। साकेत नगर, छित्तूपुर सामने घाट मार्ग, नगवां नाला पुल, सामने घाट लंका मार्ग, मदरवां बस स्टैंड और रविदास मंदिर मार्ग पर दोपहर से ही बाढ़ का पानी चढ़ने लगा था।   बढ़ते पानी का असर अब शहर की कॉलोनियों में भी देखने को मिलने लगा है। सामने घाट इलाके में हालात सबसे ख़राब है। 19 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। इसमें 661 परिवार के 3432 बाढ़ पीड़ितों को शरण दी गई। राहत एवं बचाव के लिए 58 नावें लगाई गई हैं। बाढ़ से वाराणसी जनपद के कुल 20 वार्ड, 99 ग्राम सभा सहित 119 ग्राम सभा एवं वार्ड के 15318 लोग प्रभावित हुए हैं। 19 राहत चौकी स्थापित की गई हैं।

दशाश्वमेध सट्टी में अपनी दुकान लगाने वाले दुकानदारों की भी धड़कनें तेज हो गई हैं। घाट की सीढ़ियां चढ़ते ही कई दुकानदार अपनी दुकान खाली कर चुके हैं, तो वहीं कुछ दुकानदार अपना सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे रहे। दशाश्वमेध घाट से पांडेय हवेली जाने वाली गलियों में भी बाढ़ का पानी घुस गया।

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मोक्षदायिनी गंगा के तट पर मुक्ति के लिए लंबी कतार लग रही है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा के कारण मणिकर्णिका घाट पर शवदाह में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट पर गंगा गलियों में प्रवेश करने के साथ ही ऊपरी तल पर होने वाले शवदाह के प्लेटफार्म तक पहुंचे से चंद मीटर दूर है। जगह कम होने के कारण एक शव को जलाने में पांच से छह घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी गलियों में जगह कम पड़ने लगी है।