Dhar : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की दो दिवसीय खंडपीठ धार जिले में आयोजित की गई। यह बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनके हितों की निगरानी करने वाली सांविधिक पीठ है। यहां आयोजित इस खंडपीठ में आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो और सदस्यों ने दो दिन 8 और 9 सितंबर को बच्चों के अधिकारों से जुड़े करीब 331 प्रकरणों की सुनवाई कर उनका निराकरण किया। खंडपीठ ने समक्ष उपस्थित प्रत्येक बच्चे और उसके अभिभावक से समस्याएं समझी गई और उनका निराकरण किया गया
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऑडिटोरियम में आयोजित इस खंडपीठ में शुक्रवार को बच्चों से जुड़े 207 मामलों का निराकरण बच्चों के पाठकों की मौजूदगी में किया गया। इस खंडपीठ ने कई मामलों में अधिकारों से वंचित बच्चों की सुनवाई के बाद उन्हें उनके हक दिलवाए। किसी को योजनाओं के माध्यम से जोड़ा गया तो किसी को साधन मुहैया करवाकर उनकी समस्याओं का निराकरण किया गया। खंडपीठ के दौरान किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य श्रीमती एकता शर्मा एवं राकेश दुर्गेश्वर के अलावा बाल कल्याण समिति के सदस्य पंकज जैन, संदीप कुमार कानूनगो, प्रेम विजय पाटिल एवं श्रीमती मिताली प्रधान ने प्रकरणों में सुनवाई में सहयोग दिया।
इसके एक दिन पहले गुरुवार को कोविड में अपने माता-पिता को खोने वाले 124 बच्चों को आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने सुना और वहीं अधिकारियों को उन्हें योजनाओं से जोड़ने के निर्देश दिए। इस दो दिवसीय दौरे में प्रियंक कानूनगो ने पीडियाट्रिक वार्ड, एसएनसीयू वार्ड, आंगनवाड़ी केंद्र और शासकीय विद्यालय नालछा का भी दौरा किया। वहां उन्होंने बच्चों को उपलब्ध कराई जा रही शासन की योजनाओं को देखा।
ऐसी कोमल कलियों को भी संरक्षण
शुक्रवार को बड़ी संख्या में बच्चे अपने परिजनों के साथ खंडपीठ की सुनवाई में पहुंचे। इस दौरान कई तरह की समस्याओं से जूझते बच्चों को आयोग से संबल मिला और पालक और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान दिखाई दी। धार शहर की एक महिला अपनी नन्ही बेटी को लेकर पहुंची थी। बेटी निजी स्कूल में पढ़ती है। पिता का पिछले साल में निधन हो गया और घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। स्कूल की फीस भरने की भी दिक्कत है। खंडपीठ ने बच्चे की समस्या की सुनवाई करने के साथ स्कूल से फीस में रियायत करवाने सहित अधिकारियों को स्पॉन्सरशिप योजना के माध्यम से आर्थिक संबल देने के लिए भी निर्देशित किया।
तुरंत व्हीलचेयर दिलवाई
धार की ही एक दिव्यांग बालिका को लेकर उसके पालक खंडपीठ में लेकर पहुंचे थे। बच्ची को आयोग ने सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग के माध्यम से तुरंत व्हीलचेयर दिलवाई। साथ ही उसे दिव्यांगों को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ जल्द देने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। इस तरह कई अलग-अलग मामलों का आयोग ने सक्षम सुनवाई के माध्यम से निराकरण किया।
किसी को योजनाओं से जोड़ा, किसी को सीधे मदद
खंडपीठ में शुक्रवार को अपने अधिकारों के लिए कई बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ पहुंचे। मनावर क्षेत्र के एक गांव से ही करीब दर्जन भर बच्चे अलग-अलग समस्याओं को लेकर आयोग के सामने उपस्थित हुए। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता उन्हें खंडपीठ में उन्हें लेकर पहुंचे थे। इनमें कई लोग ऐसे भी थे, जो सीधे योजनाओं के दायरे में नहीं आ रहे थे।
परिवार को सहारा देकर खड़ा किया
आयोग ने बच्चों के हितों का ध्यान रखते हुए उनके पालकों को उससे संबंधित योजनाओं के माध्यम से जोड़कर परिवार को संबल प्रदान करने के निर्देश दिए। एक बुजुर्ग अपने साथ 3 साल के पोते को लेकर पहुंचे। बच्चे के पिता का निधन हो गया था और मां किसी और के साथ चली गई। बच्चा सीधे किसी योजना के दायरे में नहीं आ रहा था। आयोग ने दादा की पेंशन चालू करवाई और बच्चे को स्पॉन्सरशिप के माध्यम से लाभ देने के लिए निर्देशित किया।