World Suicide Prevention Day;तनाव ही नहीं ये भी बन सकते हैं आत्महत्या के कारण

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World Suicide Prevention Day;;तनाव ही नहीं ये भी बन सकते हैं आत्महत्या के कारण

10 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने के पीछे लोगों को आत्महत्या के प्रति जागरूक करना है ताकि लोग ऐसे कदम ना उठाएं. जिस तरह हमारे आसपास आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, इसके प्रति जागरूकता और जरूरी बनती जा रही है. क्यों आता है आत्महत्या का ख्याल- सुसाइड अपने आप में कोई मानसिक बीमारी नहीं है. इसके पीछे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, अचानक किसी घटना का मानसिक असर और तनाव जैसी कई वजहें हैं. इस समस्या से जूझने वाले लोग अक्सर उदास रहते हैं और उसके मन में हर समय नकारात्मक ख्याल आते रहते हैं. कई बार ये अपने आप को परिस्थितियों के सामने इतना असहाय महसूस करते हैं कि उनके मन में आत्महत्या का ख्याल आने लगता है.’
आत्महत्या का भी है मनोविज्ञान आत्महत्या के मानसिक, सामाजिक, साइकोलॉजिकल, बायोलॉजिकल एवं जेनेटिक कारण होते हैं। जिन परिवारों में पहले भी आत्महत्या हुई है, उनके बच्चों द्वारा यह रास्ता अपनाने की आशंका है। रिसर्च में सामने आया कि जिनमें आत्महत्या के जीन होते हैं, उनमें बायोकेमिकल परिवर्तन हो जाते हैं। इससे बच्चे या व्यक्ति का मानसिक संतुलन अव्यवस्थित हो जाता है। इसके कई कारण होते हैं जैसे तनावपूर्ण जीवन, घरेलू समस्याएं, मानसिक रोग इत्यादि। जिन बच्चों में आत्महत्या के बारे में सोचने की आदत (सुसाइडल फैंटेसी) होती है, वही आत्महत्या ज्यादा करते हैं। निजात के लिए आत्महत्या के कारण उससे ग्रसित मरीज के लक्षण एवं भविष्य में उसकी पुनरावृति न हो, इसका भी ध्यान रखा जाए।आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता या विपन्नता से कोई संबंध नहीं है। इन दिनों तो हर आयु वर्ग में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

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आत्महत्या का किसी व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं है। आए दिन आप ऐसी खबरें पढ़ते-देखते होंगे कि परिवार के सदस्यों ने सामूहिक रूप से सुइसाइड कर लिया या फिर किसी व्यक्ति ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। जानते हैं इस लेख में कि आत्महत्या के कारण क्या हैं और ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है?

आत्महत्या से पहले व्यक्ति में क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

ये संकेत बताते हैं कि एक व्यक्ति गंभीर खतरे में हो सकता है और उसे तत्काल मदद की आवश्यकता है।

मरने या खुद को मारने की इच्छा के बारे में बात करना
खुद को मारने का रास्ता खोजना
निराशाजनक या बिना किसी उद्देश्य के जीने की बात करना
दूसरों पर बोझ होने की बात करना
शराब या ड्रग्स का उपयोग बढ़ाना
चिंतित, उत्तेजित या लापरवाह होना
बहुत कम या बहुत अधिक सोना
अलग-थलग महसूस करना
अत्यधिक गुस्सा करना या बदला लेने की बात करना
हद से ज्यादा मूड स्विंग्स होना

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लुएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर वर्ष दुनिया में 800000 लोग आत्महत्या करते हैं। जिसके अनुसार लगभग हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में वर्ष 2005 से 2015 के बीच में आत्महत्या करने वालों में 17.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
विश्व में लगभग एक मिलियन लोग अब तक सुइसाइड कर चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी के रुप में सामने आएगा, जिससे लोगों की जान को सबसे ज्यादा खतरा है।
वैश्विक स्तर पर 15-29 वर्ष के बच्चों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है।
आत्महत्या एक वैश्विक घटना है। 2016 में 79% आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं। आत्महत्या के कारण दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का 1.4% है, जो 2016 में मृत्यु का 18 वां प्रमुख कारण बना।

इन छोटी-छोटी बातों पर करें अमल-आत्महत्या के विचारों से बचने के लिए शारीरिक, मानसिक स्तर पर कुछ सुझावों पर अमल करने की जरूरत होती है। जैसे-
इसके लिए समय पर सोना और एक निश्चित समय पर उठना जरूरी है।
नियमित रूप से व्यायाम करें और संतुलित पौष्टिक आहार ग्रहण करें।
शराब और स्मोकिंग से बचें।
परिजनों के साथ वक्त बिताएं। उनके साथ अपनी बातों को साझा करें। इसी तरह अपने प्रियजनों और दोस्तों के लिए भी वक्त निकालें।
साथ ही मेडिटेशन और योगा को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
कोई हॉबी विकसित करें।
संगीत सुनें या फिर खेलकूद से संबंधित गतिविधियों में भाग लें।
समस्या के बारे में ज्यादा विचार न करके उसके समाधान के बारे में सोचें। ऐसी सोच से आप समस्या को सकारात्मक तरीके से देखकर उसका समाधान कर सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।
इन ऊपर बताई गईं छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर किसी भी नकारात्मक विचारधारा से बचा जा सकता है।