vallabh bhawan corridors to central vista:इस सनसनीखेज खबर की सच्चाई यह है!

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इस सनसनीखेज खबर की सच्चाई यह है!

प्रदेश में इन दिनों सियासी मुलाकातों की हलचल ज्यादा है। कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात को नए समीकरण कहा जाता है, तो कभी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ‘ताई’ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जाता है। ‘ताई’ के लिए भोपाल से हेलीकॉप्टर आना सबसे सनसनी वाली खबर बन गई! जबकि, सभी इस सच्चाई से वाकिफ हैं कि अब सुमित्रा महाजन पार्टी में ऐसी पावर सेंटर नहीं रही, कि सीएम को उन्हें साधना पड़े!

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इस मुलाकात में सच्चाई ये है कि सुमित्रा महाजन को अहिल्या ट्रस्ट को लेकर सीएम से मिलना था! उन्होंने इच्छा जाहिर की और अपनी तबियत भी बताई। इस पर मुख्यमंत्री ने सदाशयता के नाते सरकारी हेलीकॉप्टर इंदौर भिजवा दिया। दोनों के बीच लम्बी बातचीत तो हुई, पर लगता नहीं कि किसी सियासी मसले पर चर्चा हुई होगी। दरअसल, इस मुलाकात का मूल मंतव्य इंदौर में अहिल्या स्मारक ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन, जमीन आदि को लेकर था। मुख्यमंत्री ने इंदौर में अहिल्या स्मारक ट्रस्ट बनाने की घोषणा की थी और इसका मुखिया ‘ताई’ को बनाया गया है। इसी को लेकर वे सीएम से चर्चा करना चाहती थी। ये सारा प्रपंच वास्तव में अहिल्या स्मारक के बहाने मराठी वोट बैंक को साधकर रखना है। बताते हैं कि सीएम से भरोसा मिल गया कि जमीन आवंटन का काम जल्द होगा।

मंत्री का काम क्यों कर रहे प्रमुख सचिव?

प्रदेश मंत्रिमंडल में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की सक्रियता को कौन नहीं जानता! विभाग की तरह उनमें भी ऊर्जा की कमी नहीं है। वे विभाग की मीटिंगों में तो क्या कुछ नहीं करते, पर सड़क पर चलते हुए भी कई बार अपनी सक्रियता दिखा चुके हैं। कभी ट्रांसफार्मर के आसपास की झाड़ियां उखाड़ने लगते हैं, तो कभी हाथों-हाथ अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़काने से भी बाज नहीं आते! लेकिन, इन दिनों वे सक्रिय नहीं हैं! ऐसा क्यों हैं यह कारण किसी को पता नहीं! लेकिन, ऐसी स्थिति में प्रमुख सचिव (ऊर्जा) संजय दुबे ज्यादा सक्रिय नजर आने लगे।

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हाल ही में प्रदेश के ऊर्जा मुख्यालय जबलपुर में उन्होंने घोषणा की है कि अब विदेशी कोयले की खरीद नहीं की जाएगी, इससे मध्य प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को राहत मिली। क्योंकि, विदेशी कोयला बहुत महंगा मिलता था। संजय दुबे ने दूसरी घोषणा की है कि बिजली कंपनियों में एक हजार इंजीनियरों की नियुक्ति की जाएगी। प्रमुख सचिव की इन घोषणाओं में कोई कमी नहीं है, पर सामान्यतः इस तरह की घोषणाएं विभाग के मंत्री ही करते रहे हैं, ताकि उनकी कॉलर ज्यादा ऊंची दिखे और सक्रियता का तमगा भी मिले। पर, जब मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर खामोश हैं तो किसी को तो विभाग की जानकारियां जनता तक लाना ही पड़ेगी! किंतु, फिर भी तोमर साहब की चुप्पी पर सवाल तो उठ ही रहे हैं।

बेरोजगार नेता ज्यादा खतरनाक!

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जो कांग्रेस की विधायक भाजपा में शामिल हुए थे, उनके आने के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं पार्टी के 17 विधायक। ये सभी राजनीतिक रूप से बेरोजगार हो गए। क्योंकि, इनकी सीटों पर अब आयातित नेता जो काबिज हो गए। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी इन सीटों पर यही आयातित नेता चुनाव लड़ेंगे। इनमें जयंत मलैया, गौरीशंकर शेजवार और दीपक जोशी जैसे नेताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पार्टी भले ही अपने आपको सांत्वना देने के लिए कहे कि हमारे नेता पार्टी की बुनियाद हैं और हमें पूरा विश्वास है कि वे चुनाव में पार्टी के लिए ही काम करेंगे! लेकिन, जो सच्चाई सामने आ रही है वह इसके विपरीत है।

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17 नेताओं में जयंत मलैया, गौरीशंकर शेजवार और दीपक जोशी की नाराजी तो किसी न किसी रूप में सामने आ भी चुकी है। तीनों इस बात से भी नाराज हैं कि पार्टी ने उनकी सीट दूसरे को सौंप दी और उनको साइडलाइन कर दिया। अब इन सीटों पर आयातित नेताओं का कब्जा हो गया और अगला चुनाव भी वही लड़ेंगे। ऐसी स्थिति में इन नेताओं का भविष्य क्या होगा, यह भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता है। इस चिंता को नजरअंदाज इसलिए नहीं कहा जा सकता कि यह पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्योंकि, बेरोजगार नेता सबसे ज्यादा खतरनाक जो होता है!

लो-प्रोफाइल में क्यों चले गए नरेंद्र सिंह तोमर!

इस बात को सभी ने गौर किया होगा कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इन दिनों लो-प्रोफाइल में हैं। न तो वे ज्यादा दिखाई देते हैं और न उनके बयान ही सामने आते हैं। ये स्थिति दिल्ली में हुए किसान आंदोलन से शुरू हुई थी और मुरैना में भाजपा के महापौर उम्मीदवार की हार के बाद कुछ ज्यादा बढ़ गई! एक वक़्त था जब उन्हें चुनाव जिताऊ नेता कहा जाता था और उनकी इसी काबलियत की खातिर उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां भी मिलीं, पर अब वो बात नहीं रही।

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मुरैना में नगर निकाय चुनाव में पार्टी को जो झटका लगा, उसके बाद तो नरेंद्र सिंह तोमर लो-प्रोफाइल में चले गए। वैसे भी वे कम ही बोलते हैं, पर इन दिनों उनकी ख़ामोशी के अलग मतलब हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद तोमर की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है। लेकिन, अभी यह देखना है कि इस बड़े नेता की ख़ामोशी क्या रंग लाती है!

अनुराग जैन हो सकते हैं नए वाणिज्य सचिव

सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चा पर अगर विश्वास किया जाए तो मध्य प्रदेश काडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन नए वाणिज्य मंत्रालय के सचिव बनाए जा सकते हैं।

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फिलहाल वे औद्योगिक प्रोत्साहन तथा संवर्धन विभाग के सचिव है, जो कि वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आता है। बता दे कि वाणिज्य सचिव बी वी वी सुब्रह्मण्यम इसी महीने रिटायर हो रहे हैं।


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संसद टी वी के पहले CEO रवि कपूर को सरकार ने हटाया

संसद टी वी के पहले सी ई ओ रवि कपूर को हटा दिया गया है। उनसे सरकारी मकान भी इस महीने तक खाली करने को कह दिया है। सत्ता के गलियारों में उनसे सरकार की नाराजगी का पता लगाया जा रहा है। कपूर असम-मेघालय काडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी है। वे कपडा मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर होने के बाद पिछले साल ही संसद टीवी के सी ई ओ बनाए गए थे और संसद टी वी पिछले साल नवंबर मे शुरू हुआ था।

केंद्र सरकार में अब गैर-आईएएस अधिकारियों का दबदबा

केंद्र सरकार में अब गैर-आईएएस अधिकारियों का दबदबा बढ गया है। वर्तमान में लगभग पचास प्रतिशत अधिकारी गैर-आईएएस है जो उप सचिव, निदेशक, संयुक्त सचिव और अपर सचिव के पदों पर तैनात हैं। सूत्रों के मुताबिक एन डी ए सरकार द्वारा अन्य सेवाओं को उचित प्रतिनिधित्व दैनै के फैसले के कारण स्थिति में सुधार हुआ है।

केंद्र मे इस समय सचिवों के दस पद खाली

केंद्र मे इस समय सचिवों के दस पद खाली है। इसी महीने वाणिज्य सचिव बी वी वी सुबमणयम भी रिटायर हो रहे हैं। सबकी निगाहें डी ओ पी टी की ओर है। इस महीने के अंत तक एक दर्जन से अधिक सचिवों की नियुक्ति हो सकती है।

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।