Rebellion of ‘Jays’ : अगले चुनाव में ‘जयस’ आदिवासियों की ताकत बनेगा, अपने दम पर चुनाव लडेगा!

भोपाल में 'जयस' के युवा सम्मेलन में डॉ हीरालाल अलावा का एलान

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Bhopal : कांग्रेस के टिकट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में धार जिले की मनावर सीट से चुनाव जीते जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा का लगता है कांग्रेस से मोहभंग हो गया। ‘जयस’ के युवा सम्मेलन में डॉ अलावा ने जयस समर्थक आदिवासी युवाओं से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। उन्होंने कहा हम प्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों का स्वतंत्र नेतृत्व खड़ा करके उनकी आवाज विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचाना चाहते हैं।

जयस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए डॉ अलावा ने कहा कि हम किसी पार्टी से टिकट की भीख नहीं मांगेगे। ‘जयस’ स्वतंत्र नेतृत्व की बात कर रहा है। अगले साल चुनाव के समय हमारा संगठन तय करेगा कि हम किसी पार्टी के आगे पीछे नही भागेंगे। पार्टियां हमारे पीछे आएंगी। अलावा ने कहा कि जयस 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव भी लडे़गी। ‘मिशन युवा नेतृत्व 2023’ (एक कदम सामाजिक बदलाव की और) कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक अलावा ने कहा बीजेपी और कांग्रेस में बोलने की आजादी नहीं हैं। बीजेपी-कांग्रेस से जीतकर विधानसभा और संसद में पहुंचे आदिवासी विधायक, सांसद अपने आदिवासियों की आवाज तक नहीं उठा पाते। विधानसभा के 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी क्षेत्र में संतोषजनक सफलता मिली थी। प्रदेश की 47 आदिवासी सीटों में से 30 पर BJP के विधायक चुने गए थे।

जयस के संरक्षक ने कहा कि यह एक सामाजिक संगठन है। हमारे प्रदेश में परंपरागत परिवारवाद की राजनीति चली आ रही है। उसमें पढे़-लिखे नए युवाओं को विधानसभा और लोकसभा में मौका मिलना चाहिए। जयस राजनैतिक दल के तौर पर पंजीकृत संगठन नहीं हैं। लेकिन विधानसभा में आदिवासियों की आवाज उठाने वाले युवाओं का जयस समर्थन करेगा। कांग्रेस, बीजेपी या दूसरे किसी दल से चुनाव लडे़गें या स्वतंत्र लडेंगे ये 2023 में तय करेंगे। लेकिन, जयस स्वतंत्र आदिवासी नेतृत्व चाहता है। हम ऐसा नेतृत्व चाहते हैं जो राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की कठपुतली न बने। वो आदिवासियों की आवाज विधानसभा में दमदारी से उठाए। हमें आदिवासियों को हक और अधिकार देने के लिए पूरे 47 विधायक चाहिए। जिन सीटों पर 50 हजार से एक लाख आदिवासी वोटर्स हैं, उन सीटों पर भी हम आदिवासी विधायक जिताएंगे।

डॉ अलावा ने कहा कि हम किसी जाति, धर्म और दल के विरोधी नहीं हैं। बल्कि, हम जयस के जागरुक युवाओं को चुनाव लड़ाकर स्वतंत्र आदिवासी नेतृत्व खड़ा करना चाहते हैं। ये भी याद किया जाए कि बहुमत होने के बावजूद शिवभानु सिंह सोलंकी को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया गया था। आदिवासियों के साथ 70 साल से बेईमानी हुई है। 70 साल बाद भी बुन्देलखंड में आदिवासियों की एक विधानसभा सीट नहीं है।

विधायक डॉ अलावा ने कहा कि आजादी के बाद परिसीमन तो हुए, लेकिन बुन्देलखंड क्षेत्र में एक भी विधानसभा सीट आदिवासी के लिए आरक्षित नहीं हैं। नए अनुसूचित क्षेत्रों का गठन नहीं हुआ है। आज आदिवासियों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ‘जयस’ ने कई बडे़ आंदोलन किए। जयस की लड़ाई किसी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं है। हम सिर्फ अपनी पहचान और विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की लड़ाई लड़ रहे हैं। आदिवासी क्षेत्रों के स्कूल जर्जर हालत में हैं। जबकि, आदिवासी उपयोजना के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।

जयस नेता ने कहा कि सरकार आउटसोर्स के जरिए ठेकेदारी प्रथा से सरकारी विभागों में कर्मचारी रख रही है। इससे सरकारी नौकरियों के अवसर खत्म हो गए हैं। शिवराज सरकार को तत्काल आउटसोर्स के जरिए होने वाली भर्तियों पर रोक लगानी चाहिए। भाषणों से आदिवासियों का विकास नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने ‘पेसा कानून’ लागू करने की सिर्फ घोषणा की, लेकिन आजतक गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ। सरकार आदिवासियों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती। पूरे मप्र के एक भी जिले में आदिवासी वर्ग का कलेक्टर, एसपी और सीईओ जिला पंचायत नहीं हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज नहीं
डॉ अलावा ने आदिवासी क्षेत्रों पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि आज सरकार सामान्य क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोल रही है। लेकिन, आदिवासी जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं खोले जा रहे। डिंडोरी, मंडला जैसे आदिवासी जिलों में 70 साल बाद भी रेल्वे लाइन नहीं पहुंच सकी। हमारी लड़ाई इसी झूठे विकास के खिलाफ़ है।