Radhika Gupta IAS : करोल बाग की वो घटना, जो Turning Point बनी
एक जमाने में एशिया में सबसे ज्यादा अपराधों के लिए कुख्यात रहा मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल आलीराजपुर क्षेत्र, आज जिले से दूसरे IAS बनने का गर्व महसूस कर रहा है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि देश के इस दूरदराज पिछड़े आदिवासी बहुल इलाके में पले और पढ़े दो युवा देश और दुनिया की सबसे कठिन UPSC की परीक्षा Crack कर IAS बन सकते हैं।
यहां आज हम बात कर रहे हैं आलीराजपुर के सामान्य शासकीय स्कूल में हिंदी मीडियम में पढ़ी राधिका गुप्ता(Radhika Gupta IAS )की जिन्होंने इस साल UPSC परीक्षा में 18 वी रेंक हासिल कर ना सिर्फ अलीराजपुर वरन पूरे मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर दिया। राधिका के पहले इसी क्षेत्र के अमित तोमर IAS Crack कर चुके है और इस समय इंदौर में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं।
आइए, जानते है राधिका की कहानी:
MP के आदिवासी जिले आलीराजपुर की राधिका गुप्ता ने इस साल UPSC में 18वीं रैंक हासिल की हैRadhika Gupta की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी ऐसी नहीं है कि उन्हें IAS बनने की प्रेरणा मिलती! एक कारोबारी परिवार की राधिका की शिक्षा भी IAS की तैयारी से मैच नहीं खाती। लेकिन, फिर ऐसा क्या कारण था कि वे अपनी तकनीकी शिक्षा (BE in Mechanical) से हटकर और नौकरी छोड़कर UPSC तैयारी में जुटीं। पहली बार में उन्हें IRS (Indian Railway Service) मिली और दूसरी बार में अपना लक्ष्य पा लिया!
IAS बनने की जिद के पीछे भी एक दिलचस्प कारण रहा, जिसका जवाब खुद राधिका ने दिया। उन्होंने बताया कि इंदौर के SGSITS से BE in Mechanical करने के बाद दिल्ली में Honda Motors में मेरी नौकरी लग गई। अच्छी खासी सैलरी मिलती थी। बढ़िया पैकेज था। मैं अपने काम में रम गई थी! एक दिन में शॉपिंग करने करोल बाग गई थी। इस एरिया का एक हिस्सा शॉपिंग के लिए है, जबकि दूसरे हिस्से में UPSC की कोचिंग इंस्टिट्यूट है। उस दिन संयोग से मैं टैक्सी से उस हिस्से में उतर गई, जो कोचिंग वाला एरिया है। वहाँ लगे कुछ साइन बोर्ड पर मेरी नजर पड़ी और उत्सुकतावश मैं उन्हें देखने लगी।
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वहाँ का नजारा देखकर न जाने क्यों मुझे लगा कि मैं UPSC क्यों नहीं दे सकती! मैंने सवाल भी अपने आपसे किया और जवाब भी अंदर से ही आया कि मुझे UPSC के लिए कोशिश करना चाहिए। राधिका गुप्ता इसे ही अपनी जिंदगी का Turning Point (टर्निंग पॉइंट) मानती है। उन्होंने बताया कि इसके बाद मैंने इसी दिशा में फोकस किया।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राधिका(Radhika Gupta IAS) को अपने स्नातक वर्षों तक सिविल सेवा परीक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। अगर नौकरी के लिए दिल्ली नहीं आती और इस कोचिंग सेंटर को नहीं देखती तो उसके जीवन का रास्ता कुछ और होता।
बहरहाल, एक बार ठान लेने के बाद उसने पहले कुछ महीनों के लिए नोकरी करते हुए तैयारी करने का फैसला किया लेकिन जब मैंने यह महसूस किया कि नौकरी करते हुए इससे पार पाना कठिन होगा, उसी वक्त नौकरी छोड़ने का फैसला किया और इंदौर आकर UPSC की कोचिंग लेना शुरू कर दी। उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है! पहली कोशिश में IRS और दूसरी बार में IAS वाली रैंक पा ली।
इंजीनियर होते हुए भी राधिका ने UPSC में Anthropology (मानव शास्त्र) को अपना मुख्य विषय (Main Subject) बनाया। इसका जो कारण राधिका ने बताया, वो दिलचस्प होने के साथ परिवेश के प्रति उनका लगाव बताता है। Subject के बारे में राधिका का कहना है कि मैं जहाँ से आती हूँ, वो सघन आदिवासी इलाका है।
शुरू से ही मेरी रुचि जनजीवन को जानने की रही है और आदिवासियों की जीवनशैली मैं बचपन से देखती आ रही थी, इसलिए Anthropology के जरिए उन्हें और नजदीक से जानना चाहती थी। इस विषय को गहराई से पढ़ने के बाद मुझे लगा कि हम आदिवासियों को अपने मुकाबले Uncultured (असभ्य) समझते हैं, पर वास्तव में Uncultured तो हम हैं, वो नहीं! वो जिस परिवेश से आते हैं, उसी जीते हैं और प्रकृति के बेहद नजदीक हैं। जबकि, हम Cultured होने के नाम पर बदल गए और अपनी जड़ों से कट गए।
UPSC के लिए तैयारी के बारे में राधिका का कहना था कि उन्होंने फोकस होकर पढाई की। पढाई को लेकर मैंने अपने आपको अनुशासित किया। कितने घंटे पढ़ना है, ये पहले ही तय कर लेती थी। क्योंकि, UPSC के लिए आप कितने घंटे पढ़ते हैं, ये मायने नहीं रखता, आपने क्या पढ़ा और उसे ठीक से समझा या नहीं, ये बात ज्यादा मायने रखती है। मैं खुद पढ़ती थी और फिर अपने आपको पढ़ाती भी थी।
(मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बोलते हुए राधिका)
जो तैयारी करती, उसे कमरे लटके ब्लैक बोर्ड पर इस तरह लिखती, जैसे किसी को पढ़ा रही हूँ। ये मेरे रिवीजन का तरीका भी था। इसका परिणाम ये रहा कि मुझे पढ़ी हुई हर बात याद रहने लगी। UPSC के पहले Attempt में मुझे एक विषय छोड़कर सभी में अच्छे मार्क्स आए थे। जब दूसरी बार UPSC दी, तो उस विषय की पढाई पर ज्यादा ध्यान दिया।
राधिका अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा अपनी दादी को मानती हैं। उन्होंने बताया कि मेरे पिता के सात भाई-बहन थे और तब परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी! मेरी दादी कम पढ़ पायी लेकिन पढाई का महत्व समझती थी। यही कारण था कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी परिवार के हर बच्चे को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उनका कहना था कि Graduate होने से पहले किसी की शादी नहीं होगी। राधिका के मुताबिक, मेरे पिता Businessman हैं, पर उन्होंने परिवार में सभी को उनकी रूचि से पढ़ने की आजादी दी। आज हमारे घर में सभी पढ़े-लिखे हैं।
राधिका के पिता प्रहलाद गुप्ता एक बिजनेसमैन है जबकि मां चंदा गुप्ता गृहिणी है।
राधिका के IAS में चयन के बाद उनके परिवार में नई जागृति आई है। उनका छोटा भाई भी UPSC की तैयारी कर रहा है। वे बताती है कि मुझ पर UPSC देने के लिए सबसे ज्यादा दबाव मेरे भाई ने ही डाला था। जब मैंने करोल बाग में कोचिंग इंस्टिट्यूट देखी और उससे बात की, तो सबसे पहले उसी ने मुझे भरोसा दिलाया कि तुम ये कर सकती हो! मैं क्या कर सकती हूँ, इस बात का भरोसा मेरे से ज्यादा मेरे भाई को है।
IAS बनकर राधिका समाज के सबसे पीछे खड़े व्यक्तियों के लिए कुछ करना चाहती है। वे बताती हैं कि मैं उस बैरियर को तोड़ना चाहती हूं, जो आम लोगों और प्रशासन के बीच में आता है। मैं चाहती हूँ कि लोग खुलकर अपनी बात कह सकें, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अभी दिखाई नहीं देता। मैंने आलिराजपुर में रहकर देखा है कि आम लोग प्रशासन से कितना दूर हैं। उस दूरी को कम करना ही मेरी कोशिश होगी। यदि मैं ऐसा कर सकी, तो ये मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी।