पुस्तक विमोचन की सराहना और सीख सब स्वीकार्य है…

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14 सितंबर 2022 का दिन मेरी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण दिन बन गया। मेरी पुस्तक ‘द बिगेस्ट अचीवर शिवराज’ का विमोचन विधानसभा परिसर स्थित विधान परिषद सभागार में संपन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन जुलाई में होना तय था, लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के चलते सत्र की तारीख आगे बढ़कर सितंबर में चली गई। और इस बीच ऐसी आपाधापी कि पूरा प्रदेश चुनावमय हो गया। अंततः फिर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम जी की सहमति से 14 सितंबर को पुस्तक का विमोचन होना तय हुआ। पुस्तक का शीर्षक ‘द बिगेस्ट अचीवर शिवराज’ था, सो लग नहीं रहा था कि विपक्ष के नेता भी विमोचन अवसर पर उपस्थित होने की हामी भरेंगे। पर मैंने उनके सामने जब पुस्तक की वस्तुस्थिति रखी, तब उन्होंने न केवल इसमें उपस्थित होने की हामी भरी, बल्कि अपनी उपस्थिति से विमोचन कार्यक्रम को गरिमामयी बना दिया। वह विमोचन कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण बन गए। साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश के वरिष्ठतम विधायक एवं लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव, गृह,जेल,विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, लोक निर्माण विभाग राज्य मंत्री सुरेश धाकड़ के साथ ही पत्रकारिता के स्तंभ पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर की गरिमामयी उपस्थिति में हुए पुस्तक के विमोचन ने मुझे ऊर्जा से भर दिया। इस आयोजन में मेरे पिताजी श्री स्वामी प्रसाद चतुर्वेदी की उपस्थिति मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा देती रही। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित मेरे अग्रज, मित्र और स्नेहीजनों ने इसे गरिमामयी बना दिया।
कार्यक्रम पुस्तक विमोचन का था, सो लेखक के बतौर मैंने अपनी बात सीमित शब्दों में रख यह बताया कि पुस्तक शिवराज की चौथी पारी के दो साल 23 मार्च 2020 से 23 मार्च 2022 के सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर केंद्रित है। और इन दो साल में शिवराज मध्यप्रदेश में चार बार और 15 वर्ष 17 दिन के सीएम तो बने ही थे, साथ ही पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के सर्वाधिक समय के सीएम बन चुके थे। और मेरा एक आलेख बिगेस्ट अचीवर बने शिवराज…ही इस पुस्तक का शीर्षक बन गया। वैसे पुस्तक में मेरे दो वर्ष के 98 आलेख संग्रहित हैं। इसमें दो आलेख विधानसभा चुनाव 2018 के पहले के हैं, जिसमें यह वस्तुस्थिति भी समाहित है कि 2018 का परिणाम कांग्रेस के लिए लाभदायी हो सकता है और हुआ भी वही था। भले ही मत प्रतिशत भाजपा के खाते में ज्यादा था, लेकिन सीटों के बहुत कम अंतर ने भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बना दी थी। खैर मैं अपनी बात संक्षिप्त में रख अपने स्थान पर बैठ चुका था। और सबकी निगाहें नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह पर थीं।
डॉ. सिंह ने अपनी बात मंच से रख यह साबित कर दिया कि राजनीति में मंझे हुए सह्रदय नेता ही अपराजेय बन पाते हैं। उन्होंने लेखक की भरपूर तारीफ की, शिवराज को भी सर्वाधिक समय के सीएम के बतौर अचीवर माना। लेकिन एक वाक्य में यह भी जता दिया कि शिवराज के कार्यकाल के दूसरे पक्ष पर भी लेखक को कुछ लिखना चाहिए। फिर पुस्तक की तारीफ कर और लेखक को आगे बढ़ने की शुभकामनाएं देकर वह अपने स्थान पर बैठ गए। डॉ. सिंह की सीख मन को छू गई। इसके बाद बारी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की थी। निश्चित तौर से उन्होंने लेखक के नजरिये को सराहा और पुस्तक के साथ ही शिवराज की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। लेखक के बतौर बेहतर भविष्य की उनकी शुभकामनाओं ने संबल दिया और हौसला बढ़ाया। इसके बाद वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर जी ने पुस्तक और लेखक को सराहा भी और बड़ी सीखें भी दीं। हिंदी दिवस पर पुस्तक के शीर्षक “बिगेस्ट अचीवर” का विमोचन न कर, एक दिन आगे पीछे करने की बात कही। तो यह भी बताया कि शीर्षक ‘ द बिगेस्ट अचीवर’ भी अपने आप में पूर्ण था। तो सजग प्रहरी के तौर पर दो वर्ष की मेहनत की प्रशंसा भी की। वरिष्ठतम मंत्री गोपाल भार्गव जी ने भी लेखन की कड़ी में इस पुस्तक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। तो शिवराज सहित नेताओं के जीवन की कड़ी चुनौतियों की बात सबके सामने रखी। और अंत में अध्यक्षीय भाषण में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने पुस्तक की तारीफ की, तो लेखक के प्रयास को सराहा। उन्होंने कहा कि हर पुस्तक इतिहास का हिस्सा होती है। जिससे कौन सहमत है और कौन असहमत, यह मायने नहीं रखता। बल्कि भविष्य में यह जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत बन जाती है। तो डॉ. गोविंद सिंह की नेता प्रतिपक्ष के बतौर भी शिवराज के नाम की पुस्तक के विमोचन में सहभागिता की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
संचालन वरिष्ठ नाड़ी वैद्य प्रदीप त्रिपाठी कर रहे थे, जो रेडक्रास के सचिव के साथ ही राजनीति में कुशल प्रबंधक के तौर पर विशेष पहचान रखते हैं। इंद्रा पब्लिशिंग हाउस के एमडी मनीष गुप्ता ने आभार जताते हुए जब यह कहा क् हिंदी दिवस पर हमने अंग्रेजी शब्द को भी हिंदी लिपि में शामिल कर लिया। तब मंच पर अतिथिगण संतुष्ट नजर आए। उनकी पत्नी दीपाली गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया।
तो पुस्तक विमोचन का यह दिन मेरे जेहन में ताउम्र जिंदा रहेगा। सीखें स्वीकार्य हैं और तारीफ आशीर्वाद के तौर पर मुझे और बेहतर लिखने की प्रेरणा देती रहेगी। परिवार और सभी अपनों की उपस्थिति हौंसला बढ़ाती रहेगी।