Silver Screen: ओटीटी का फैलता जाल, सिनेमा हो रहा कंगाल!

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सिनेमा में अमिताभ बच्चन, आमिर, सलमान और शाहरुख़ खान का सिक्का चलता रहा है। दर्शक इनके नाम से खिंचे चले आते थे। कई बार तो वे यह भी पता नहीं करते कि फिल्म अच्छी है या नहीं! उन्हें इनकी फ़िल्में देखना है, इसलिए देखते रहे! इसे कहा जाता है हीरो का जलवा, जिसमें दर्शकों को हीरो के प्रति उनका पागलपन सिनेमाघर तक ले आता था। कई सालों तक ये सब चलता रहा! पर, आज हीरो को लेकर ये पागलपन नहीं बचा! अब तो इन चहेते हीरो की फ़िल्में भी फ्लॉप होने लगी! ये दौर इसलिए आया कि अब दर्शक समझने लगे हैं कि परदे के हीरो से मनोरंजन नहीं होता, असल मनोरंजन तो उसका कंटेंट है, जो दर्शकों को अपने से जोड़कर रखता है।

Silver Screen: ओटीटी का फैलता जाल, सिनेमा हो रहा कंगाल!

देखा जाए तो ये वो अहसास है, जो दर्शकों में ओटीटी का विकल्प सामने आने के बाद आया। उन्हें लगा कि वास्तविक हीरो तो कंटेंट है, जो कलाकार को अपने मुताबिक कठपुतली की तरह नचाता है। यही कारण है कि ओटीटी पर आने वाली वेब सीरीज बिना किसी नामचीन हीरो के पसंद की जाती है। क्योंकि, ओटीटी पर असल हीरो ही वेब सीरीज का कथानक है। ओटीटी पर आने वाली ‘वेब सीरीज!’ बहुत कम समय में दो पीढ़ियों को अपने दायरे में समेत लिया। आज ये सिर्फ युवाओं की ही पसंद नहीं, बल्कि पूरा परिवार इसका दीवाना हो गया। अभी इस बात को सात साल नहीं हुए, जब वेब सीरीज जैसा प्रयोग किया गया था। ये प्रयोग इतना सफल रहा, कि आज फिल्म और टीवी के बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस भी वेब सीरीज बनाने लगे और बड़े एक्टर भी इनमें काम करने के लिए ललचाने लगे।


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कोरोना काल में जब सिनेमाघर बंद थे और सीरियल की शूटिंग भी नहीं हो पा रही थी, उस दौरान दर्शक ‘वेब सीरीज’ की तरफ मुड़े! इसके बाद तो वे फिर पलटे ही नहीं! बीते तीन सालों पर गौर किया जाए, तो डिजिटल प्लेटफॉर्म (ओटीटी) पर वेब सीरीज ने कमाल कर दिया। वजह थी कि कहानियों के साथ कई नए प्रयोग हुए। मनोरंजन के इस नए कंटेंट ने दर्शकों को ऐसा विकल्प दिया, जिसने तहलका मचा दिया। क्योंकि, सिनेमा की घिसी-पिटी कहानियों से दर्शक ऊबने लगे थे और टीवी सीरियल से अलग ओटीटी पर सास-बहू का घिसा-पिटा ड्रामा नहीं दिखाई देता।

Silver Screen: ओटीटी का फैलता जाल, सिनेमा हो रहा कंगाल!

‘वेब सीरीज’ की लोकप्रियता का सबसे बड़ा नुकसान सिनेमा को हुआ। दर्शक इससे बिदकने से लगे। ‘एनी टाइम एनी वेयर’ ही ‘वेब सीरीज’ की सबसे बड़ी ताकत है। साथ ही जिस तरह से ओटीटी का दायरा बढ़ रहा, सबसे बड़ा खतरा सिनेमा को होने लगा। फिल्मों के मुरीद दर्शक अब ‘फर्स्ट डे-फर्स्ट शो’ देखने के बजाए फिल्म के ओटीटी पर आने का इंतजार करने लगे। ऐसे में सवाल उठने लगा कि क्या वेब सीरीज, फिल्मों और सीरियल को खत्म कर देगी। क्योंकि, सिनेमा देखने जाना दर्शक के लिए हर दृष्टि से पैचीदा होने लगा! इसके अलावा भी कई कारण है, जो दर्शकों को सिनेमा से दूर कर रहे हैं। ओटीटी का शौक लॉकडाउन में काफी पनपा और इस वजह से ओटीटी और वेब सीरीज ने दर्शकों को अपने आगोश में ले लिया। दर्शक ओटीटी पर फिल्मों से भी इसलिए जुड़े कि उन्हें लगा टुकड़ों में फिल्म देखना सिनेमाघर में जाकर देखने से ज्यादा बेहतर है।


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बात वेब सीरीज, मूवी और टीवी सीरियल में अंतर की भी है, सामान्य लोग दर्शक इसमें अंतर नहीं करते, जबकि ऐसा नहीं है। तीनों माध्यमों में बहुत फर्क है। फिल्म में एक पूर्व निर्धारित समय पर देखी जाती है, टीवी सीरियल तय समय पर प्रसारित होते हैं। लेकिन, ओटीटी पर वेब सीरीज को कभी भी और कहीं भी देखा जा सकता है। सिनेमा औपचारिक उपक्रम है, जबकि सीरियल देखना अनौपचारिक। इसे खाना खाते, बात करते हुए भी देखा जा सकता है। जबकि, वेब सीरीज इस सबसे अलग है। ओटीटी (ओवर द टॉप) हाथ में थमा मनोरंजन है। यहां सिर्फ वेब सीरीज ही नहीं, फिल्में भी हैं। इसके लिए न तो समय की बंदिश है न जगह की। फिल्म का कथानक तो ‘द एंड’ के साथ कंप्लीट हो जाता है। जबकि, टीवी सीरियल बहुत लंबे चलते हैं, जब तक टीआरपी मिलती रहती है। जबकि, वेब सीरीज 8 से 10 एपिसोड की होती है। जिस तरह फिल्म एक बार में पूरी देखी जा सकती है, उसी तरह वेब सीरीज भी! दर्शक चाहें तो इसके पूरे एपीसोड एक साथ देख सकते हैं। लेकिन, सीरियल के साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए इसे डेली शो का नाम दिया गया।

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बेव सीरीज के कंटेंट ने बता दिया कि इसमें नायक दस-दस गुंडों को पीटने वाला सर्वशक्तिमान कैरेक्टर नहीं होता। कई वेब सीरीज में तो कोई नायक-नायिका होते ही नहीं। अधिकांश वेब सीरीज पर नए चेहरे दिखाई देते हैं। ये वेब सीरीज हिट भी होती है, क्योंकि दर्शकों को कंटेंट लुभाता है। फिल्मों के बारे में कहा जाता है कि लोग इसे मनोरंजन के अलावा टेंशन दूर करने के लिए देखते हैं। लेकिन, ओटीटी के थ्रिलर और डार्क कंटेंट को ज्यादा पसंद किया जाता है। यहां दर्शक ऐसा कंटेंट देखना चाहते हैं, जिसके साथ वे अपने आपको जोड़कर समय बिता सकें। इसीलिए डार्क कंटेंट के एपिसोड का अंत किसी जिज्ञासा के साथ किया जाता है, जो दर्शक में आगे देखने की ललक जगाता है। डार्क कंटेंट पसंद किए जाने का कारण यह है, कि इससे दर्शक बंध जाता है। जब तक दर्शक कथानक से खुद को नहीं जोड़ता, वो उसकी पसंद में शामिल नहीं होता! ओटीटी का मसाला रियलिस्टिक कंटेंट के साथ चलता है। ऐसे में खतरा यह भी कि अगर कुछ भी अनरियलिस्टिक दिखाया, तो दर्शक रास्ता बदल लेगा। यदि कहानी में बांधने का दम नहीं होगा, तो मनोरंजन का कोई भी प्लेटफॉर्म क्यों न हो, दर्शक नहीं जुटेंगे।

Silver Screen: ओटीटी का फैलता जाल, सिनेमा हो रहा कंगाल!

ऐसा भी नहीं कि ओटीटी का हर कंटेंट दूध का धुला होता है। कई ‘वेब सीरीज’ पर उंगलिया भी उठी। ‘मिर्जापुर’ पर आरोप लगा कि इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहर मिर्जापुर की छवि को बदनाम किया गया। इस वेब सीरीज का विरोध करने वालों का कहना है कि मिर्जापुर शहर की पहचान को गलत ढंग से पेश किया गया। इससे धार्मिक, क्षेत्रीय और सामाजिक भावनाओं को बहुत ठेस पहुंची। इस ‘वेब सीरीज’ के दोनों सीजन को लेकर विरोध हुआ, पर इससे इसकी लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ। इससे पहले ‘तांडव’ को लेकर भी बवाल हुआ था। स्थिति यहां तक आ गई थी कि सीरीज के निर्माताओं को माफी तक मांगना पड़ी। ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ को लेकर भी आरोप लगा था कि इससे जनभावनाओं से खिलवाड़ हुआ। आपत्ति जताने वालों का कहना है कि इस ओटीटी फिल्म में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की कहानी दिखाई गई, जिसमें कई आपत्तिजनक और गलत बातें हैं। निर्माताओं का कहा भी कि ये किसी एक नेता के जीवन पर आधारित कहानी नहीं है, कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, पर बात नहीं बनी!

Silver Screen: ओटीटी का फैलता जाल, सिनेमा हो रहा कंगाल!

अब जरा ‘वेब सीरीज’ के इतिहास के पन्ने पलटे जाएं। 2014 में आई ‘परमानेंट रूममेट’ को पहली सफल हिंदी ‘वेब सीरीज’ माना जाता है। इसकी लोकप्रियता इतनी है कि ये सीरीज आज भी देखी जा रही है। इसे देखने वालों की संख्या 50 मिलियन पार कर गई। ये सीरीज इतनी हिट हुई कि 2016 में इसका दूसरा सीजन बनाया गया। इसके बाद तो वेब सीरीज की लाइन लग गई। बेक्ड, ट्रिपलिंग, परमानेंट रूममेट सीजन-2, पिचर, बैंग बाजा बारात, ट्विस्टेड, ट्विस्टेड-2, गर्ल इन द सिटी, अलीशा और महारानी एक और दो जैसी तमाम वेब सीरीज मोबाइल के परदे पर उतर आई। नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, हॉटस्टार और सोनी लाइव जैसे प्रोडक्शन हाउस ने तो भूचाल ला दिया। इन प्रोडक्शन हाउस की सेक्रेड गेम्स, 21-सरफ़रोश सारागढ़ी, दिल्ली क्राइम को पसंद करने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। अब तो इनके दूसरे और तीसरे सीजन बन गए। टीवी की महारानी एकता कपूर ने तो वेब सीरीज बनाने के लिए पूरी कंपनी ही खोल ली! अब एकता कपूर सीरियल से ज्यादा वेब सीरीज पर अपना ध्यान लगा रही है। इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के युग में अब बॉलीवुड के बड़े एक्टर्स भी फिल्मी परदों पर सीमित न रह कर डिजिटल मीडिया का हिस्सा बनने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं। यही तो है कंटेंट का जादू जो सिर चढ़कर बोल रहा है!

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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