जीवन के नौंवे दशक में भी कायम हैं फोटोग्राफी का शौक

चित्रों से इतिहास सहेजने का जुनून है जगदीश कौशल को

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जीवन के नौंवे दशक में भी कायम हैं फोटोग्राफी का शौक

अशोक मनवानी की खास रिपोर्ट

श्री जगदीश प्रसाद कौशल को आज उनकी 90 वीं जन्म वर्षगांठ पर बधाइयां दी गईं।मित्रों,शिष्यों,शुभचिंतकों ने उनकी दीर्घायु की कामना की। आज ही सप्ताह भर चली उनके चित्रों की प्रदर्शनी का भी दुष्यंत संग्रहालय,भोपाल में समापन होगा। कौशल जी ने मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग में लगभग चार दशक कार्य करते हुए जनसम्पर्क के विभिन्न आयामों को छूते हुए अलग पहचान बनाई है। वे करीब तीस बरस पहले अपर संचालक के पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उनका आज भी जनसम्पर्क अधिकारियों और मीडिया के साथियों से संपर्क बना हुआ है। छायाकंन में तो उनकी विशेष दक्षता है। भारतीय साहित्य के आधार स्तंभ सुमित्रानंदन पंत, गोपालदास नीरज, शरद जोशी, राम कुमार वर्मा और बांसुरी वादक रघुनाथ जी के साथ उनके विशेष संबंध रहे।

*जब महादेवी वर्मा ने श्री कौशल की फोटोग्राफी की प्रशंसा की*

महादेवी वर्मा जी के रीवा के पास चचाई जलप्रपात के भ्रमण के दौरान लिये गये छायाचित्रों का संकलन श्री कौशल आज भी संजोए हैं। हिंदी सिनेमा के श्लाका, पुरूष पृथ्वीराज कपूर से भेंट और उनकी तस्वीरें लेने का अवसर भी आपको मिला। जीवन के नौवें दशक में आज कौशल जी स्वयं को युवा महसूस करते हैं।जन्म वर्षगाँठ पर उन्हें मित्रों ने बधाई देते हुए शतायु होने की कामना की ।

जनसम्पर्क विभाग के ही सेवानिवृत्त अपर संचालक और पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक प्रमुख संस्थापक अरविंद चतुर्वेदी जी उनके अरेरा कालोनी के पड़ोसी हैं। प्रतिदिन इनका कुछ समय साथ ही व्यतीत होता है।

राजधानी में होने वाले सांस्कृतिक,साहित्यिक कार्यक्रमों में भी कौशल जी अभी भी इस अवस्था में सक्रिय भागीदारी करते हैं। गत चार पांच वर्ष से अनेक सार्वजनिक स्थानों पर छायाचित्र प्रदर्शनियां भी लगी हैं। इनमें हिंदी भवन, मानस भवन, रविंद्र भवन भोपाल शामिल हैं।इन प्रदर्शनियों में कौशल जी के खींचे चुनिंदा छायाचित्र प्रदर्शित हुए जिन्हें हजारों लोगो ने देखा और पसंद किया । इस वर्ष भी शिवाजी नगर में यह प्रदर्शनी दुष्यंत संग्रहालय में जन आकर्षण का केंद्र बनी। कौशल जी किसी समय बॉक्स कैमरे का भी उपयोग करते थे। सूचना प्रकाशन (जनसम्पर्क ) विभाग में साल 1987 में जब जबलपुर में मैंने जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में काम शुरू किया तो कौशल जी संयुक्त संचालक के रूप में पदस्थ थे। सरकारी नौकरी में प्रथम बॉस आपको क्रिएटिव मिल जाए तो कुछ क्रिएटिविटी आप भी सीख लेते हैं।यही मेरे साथ हुआ। कौशल जी ने मुझे जबलपुर नगर के आसपास के ग्रामीण हाट बाजार ले जाकर और मंडला जिले के बैगाचक,मंडला के कान्हा किसली और डिंण्डौरी के फासिल्स पार्क की सैर करवाई। उन्होंने अपने कैमरे से फोटो क्लिक करने का अवसर भी दिया। श्री कौशल ने महाकौशल क्षेत्र के रामगढ़ की रानी अवन्ती बाई के स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष की गाथा को प्रचारित किया। भोपाल में राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में प्रदर्शित रानी अवन्ती बाई की झाँकी काफी सराही गई।

*इन संस्थाओं ने किया है सम्मान*

श्री जगदीश कौशल का गत दो दशक में प्रदेश की अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं ने सम्मान किया है। इनमें राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पंडित माधव राव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय और शोध संस्थान, हुकुमचंद नारद फाउंडेशन, वेटरन जर्नलिस्ट फेडरेशन, कला समय संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा समिति भोपाल आदि शामिल हैं।

*राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में योगदान*

श्री जगदीश कौशल धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं के भी जुड़े रहे हैं। यही नहीं कादम्बिनी, सारिका, पराग और जनसंपर्क विभाग की पत्रिका *मध्यप्रदेश संदेश* में भी विकास पर केंद्रित छायाचित्रों के साथ ही जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाते उनके छायाचित्र बरसों तक प्रकाशित हुए हैं । इंदौर में जन्मे श्री कौशल को पिता के तबादले के बाद छतरपुर जिले के नौगांव आने पर वर्ष 1945-46 में पहली बार श्री भगवान दयाल श्रीवास्तव के साथ डार्करूम देखने और कैमरे के उपयोग की जानकारी मिली। *काले परदों से कक्ष की खिड़कियों को ढंककर बनाये गये डार्करूम में फोटो डेवलप करने की कला भी उन्होंने सीखी.* इसके बाद वे इस विधा में दिनों-दिन पारंगत होते गये। तरह-तरह के कैमरों का उपयोग भी सीखा। फोटोग्राफी के उस दौर के पुराने फोटो प्रिंट और निगेटिव संभालकर रखने वाले कौशल जी संचालक जनसम्पर्क रहे श्री ईश्वर सिंह परिहार को याद करते हुए बताते हैं कि उन्होंने सूचना प्रकाशन विभाग में फोटोग्राफी के महत्व को समझते हुए रूचि रखने वाले अधिकारियों को भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली से प्रशिक्षण भी दिलवाया था। श्री कौशल रघुराय को फोटोग्राफी में अपना आदर्श मानते हैं। वे किसी भी कार्य में निरंतर साधना को सफलता के लिए आवश्यक मानते हैं। श्री कौशल भोपाल के अरेरा कॉलोनी क्षेत्र में निवास करते हैं। मित्र मंडली के बीच समय बिताते रहते हैं।आज भी फोटोग्राफी करने वाले अनेक युवा आपसे मार्ग दर्शन प्राप्त करते हैं। आप के पोते ने भी कुछ छायाचित्र लिए हैं जो दादा जी के निर्देशन का नतीजा है। इस तरह परिवार में यह कला बनी हुई है जो पल्लवित पुष्पित होती रहेगी। कौशल जी के क्रिएशन की सुरभि लाखों लोगों तक पहुंची है। अनंत शुभकामनाएं।