Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा को सिंधिया के मंत्रियों की हरकतें रास नहीं आ रही!

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भाजपा को सिंधिया के मंत्रियों की हरकतें रास नहीं आ रही!

भाजपा को सिंधिया के मंत्रियों की हरकतें रास नहीं आ रही!

ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर पूरी तरह भाजपामय हो गए! उनका सोच, उनकी भाषा भी भाजपा के रंग में रंग गई। लेकिन, उनके मंत्री अभी भी भाजपा की भगवा विचारधारा में नहीं ढले! बेसिर-पैर की बयानबाजी करना, भ्रष्टाचार के आरोप लगना और अफसरों से उलझना उनकी आदत बन गई! उधर, भाजपा को भी सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया की परवाह है। पार्टी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री तो बनाया ही, उन्हें तवज्जो भी बहुत दी जाती है। कुछ दिनों पहले उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक और महत्वपूर्ण विभाग से नवाजा गया। उन्हें उनके पिताजी के समय का मनचाहा सरकारी बंगला भी वापस लौटा दिया। सिंधिया और बीजेपी तो एक दूसरे में मिक्स हो गए लेकिन, मंत्रियों और समर्थकों की हरकतें जिस तरह देखने और सुनने में आ रही है वह भविष्य के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं है।

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पिछले दिनों सिंधिया समर्थक पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। बाद में जब मुख्यमंत्री ने डपटा तो उस पर लीपा-पोती की गई। इससे पहले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कहीं भी जाते तो ऐसा कुछ बोलकर आते कि वो मजाक का विषय बनता रहा! कई बार सरकारी मीटिंगों और कार्यक्रमों में भी उनकी हरकतें मंत्री को शोभा देने वाली नहीं रही। परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत पर भी परिवारवाद सहित तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं।

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उधर, औद्योगिक नीति और निवेश संवर्धन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की राजशाही की ठसक अभी भी कायम है। उनके क्षेत्र के लोगों को अभी भी यही लगता है कि दत्तीगांव मंत्री नहीं बल्कि उनके राजा हैं, जो लोगों से प्रजा की तरह व्यवहार करते हैं। सिंधिया की ही एक समर्थक इमरती देवी तो अपने काम या राजनीति के बजाए अपनी उल-जुलूल बयानबाजी और हरकतों को लेकर चर्चित हैं। वे कब, कहां, क्या कर दें, कह नहीं सकते! लेकिन, ये सब कहीं न कहीं सिंधिया को ही मुसीबत में डाल रहे हैं।

मंत्रियों और समर्थकों की इन बातों को सिर्फ मीडिया और उनके आसपास के लोग ही इस आदत को समझ रहे हैं ऐसा नहीं है! भाजपा में भी इस बात की गंभीरता से चर्चा है। यह भी गंभीरता से समझा जा रहा है कि ज्यादातर मंत्री भाजपा के बजाए आज भी सिंधिया के प्रति ज्यादा प्रतिबद्धता दिखाते हैं। स्वाभाविक है, उन्हें आज भी लगता है कि भाजपा में उनका जो भी होगा, उसका रास्ता सिंधिया से ही होकर जाता है। लेकिन, भाजपा की अपनी कार्यशैली और विचारधारा है। यदि ये मंत्री और समर्थक भाजपा को रास नहीं आए तो हो सकता है, अगले चुनाव में इनका टिकट कट जाए! ये आश्चर्य की बात इसलिए नहीं कि 2023 में भाजपा सरकार बनाने के लिए कोई रिस्क नहीं लेगी! सिंधिया समर्थक कुछ मंत्रियों के टिकट कट भी जाएं तो ये संभव है और कोई आश्चर्य नहीं सिंधिया भी उनकी मदद नहीं कर पाए या कहा जाए कि मदद के लिए आगे नहीं आए।

इन दिनों खासी चर्चा में है ये कमिश्नर

शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा अपने सकारात्मक कार्यों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। इन दिनों वे फिर ख़बरों की सुर्ख़ियों में हैं। इसके कई कारण हैं। पहला यह कि उन्होंने परिजनों की स्मृति में हर महीने अपने वेतन की 10 फीसदी राशि से मेधावी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की शुरुआत की। ख़ास बात यह कि उन्होंने इसकी शुरुआत श्राद्ध पक्ष में की, जब लोग अपने मृत परिजनों की स्मृति में श्राद्ध करते हैं। चर्चा का दूसरा कारण है कि राजीव शर्मा ने रविवार से गोंडवाना साम्राज्य के वंशज क्रांतिकारी राजा शंकर शाह और उनके कुंवर राजकुमार रघुनाथ शाह की मुक्ति संग्राम यात्रा पर एक किताब लिखना शुरू किया है।

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राजीव शर्मा अपनी इस किताब में दोनों के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं का खुलासा भी करेंगे। क्रांतिकारी राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की गाथा बेहद प्रेरणादायी है। बताते है कि अंग्रेजों ने उनके महल की तलाशी में मिली 8 पंक्तियों की क्रांतिकारी कविता को लेकर पिता-पुत्र दोनों को जबलपुर में तोप से बांधकर विस्फोट से उड़वा दिया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले दिनों जब राजीव शर्मा अपने गृह इलाके भिंड गए, तो उनका हीरो की तरह स्वागत हुआ था। सड़क की दोनों तरह खड़े लोगों ने उन पर पुष्प वर्षा की। दरअसल, ये स्वागत किसी नेता की तरह था तो कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रिटायरमेंट के बाद राजीव शर्मा की अगली पारी राजनीति होगी! पर, फिलहाल इसका इंतजार करना होगा!

शराब तस्करों का IAS एसडीएम पर हमला और प्रशासनिक सन्नाटा

धार जिले में पिछले दिनों शराब तस्करी मामले में जो कुछ घटा, वो नहीं रहा। तस्करों को पकड़ने गए कुक्षी के IAS रैंक वाले एसडीएम नवजीवन पंवार के साथ मारपीट की गई। नायब तहसीलदार का तो अपहरण ही कर लिया गया। इसके बाद काफी बवाल मचा। इंदौर कमिश्नर खुद घटनास्थल पर पहुंचे और समझा कि आखिर मामला क्या था! एक IAS अधिकारी के साथ मारपीट होना आसान घटना नहीं है। लेकिन, फिर भी इसे सरकार और प्रशासनिक हलकों में उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया, जितना लिया जाना था। तीन दिन बाद धार कलेक्टर ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच की घोषणा की जो कि ऐसे मामलों में स्वाभाविक रूप से होती रहती है।

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दरअसल, इस घटना के पीछे ऐसा कुछ जरूर है, जिसकी वजह से IAS संगठन खामोश रहा। सरकार ने भी मामले को तूल नहीं दिया। अब सारा दारोमदार मजिस्ट्रेटी जांच पर टिका है, जो इस घटना की परतें खोल सकता है। मामला इसलिए गंभीर है कि मध्यप्रदेश के जो तीन सीमावर्ती जिले जो गुजरात जाने का रास्ता देते हैं, उसमें धार प्रमुख है और शराब तस्करों के लिए गुजरात स्वर्ग है। इस मामले में स्थानीय स्तर पर तो एसडीएम की एक्शन पर भी कुछ अलग तरह से चर्चाएं हो रही है। बहुत सारे किंतु, परंतु हैं, जिनके पीछे कई सवाल छुपे हैं।

‘नान घोटाले’ के चर्चित आरोपी IPS का निलंबन समाप्त

छत्तीसगढ़ में पदस्थ वरिष्ठ IPS मुकेश गुप्ता का निलंबन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिटायर होने से 14 दिन पहले समाप्त कर दिया। उन पर नान घोटाला मामले में फर्जीवाड़े और फोन टैपिंग के आरोप लगे थे। मुकेश गुप्ता इसी महीने 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। रिटायरमेंट से 14 दिन पहले निलंबन समाप्ति से पुलिस महकमे की बेचैनी है। अभी तय नहीं कि वे अब पीएचक्यू में जाएंगे या फिर कोई दूसरा रास्ता तलाशेंगे। इसको लेकर भी प्रशासनिक और राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।

'नान घोटाले' के चर्चित आरोपी IPS का निलंबन समाप्त

नान घोटाले का खुलासा होने और इसमें मुकेश गुप्ता की कथित संलिप्तता की बातें सामने आने के बाद सरकार ने 9 फरवरी 2019 को उन्हें निलंबित कर दिया था। उसके बाद उन पर एक के बाद एक करके तीन एफआईआर दर्ज की गई थी। मुकेश गुप्ता 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं। वे डीजीपी पद पर पदोन्नत थे। राज्य सरकार ने उन्हें डीजीपी से वापस रिवर्ट कर दिया था। अभी वे एडीजी रैंक के अधिकारी हैं। मुकेश गुप्ता को ‘कैट’ से राहत मिलने पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माना कि मुकेश गुप्ता को निलंबित रखा जाना उचित नहीं है।


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अनुराग जैन के MP के CS बनने की अटकलों को मिला वजन!

केंद्र में औद्योगिक संवर्धन विभाग के सचिव अनुराग जैन के मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव होकर वापस अपने काडर में जाने की संभावना बढ गई है। सूत्रों का मानना है कि शायद इसी संभावना के कारण ही उन्हें वाणिज्य मंत्रालय का सचिव नहीं बनाया गया।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: BJP does not like the actions of Scindia's ministers!

मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस इस वर्ष नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। वे 1985 बैच के और जैन 1989 बैच के आईएएस अधिकारी है। सेंट्रल विस्टा के गलियारों में इस बात की चर्चा थी कि अनुराग जैन को वाणिज्य मंत्रालय का प्रभार मिल सकता है लेकिन ऐसा नहीं होने पर अब इन अटकलों को वजन मिलता जा रहा है कि वे मध्य प्रदेश के अगले मुख्य सचिव हो सकते हैं।

रक्षा उत्पादन सचिव का पद अभी भी खाली!

केंद्र सरकार में खाली चल रहे सचिवों के पद 15 सितंबर को भर गये हैं। एक दर्जन सचिव की नियुक्ति के बावजूद अभी भी रक्षा उत्पादन सचिव के पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। इतने महत्वपूर्ण विभाग में सचिव की नियुक्ति नहीं होने को यह माना जा रहा है कि इस पद पर अभी भी किसी उपयुक्त अधिकारी की खोज पूरी नहीं हो पाई है।

दिल्ली पुलिस में बाहर से कुछ और IPS अधिकारी बुलाए जा सकते हैं!

दिल्ली पुलिस में बाहर से कुछ और IPS अधिकारी बुलाए जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है वर्तमान में अपर और विशेष आयुक्त के पद पर जमे कुछ आई पी एस अधिकारी दिल्ली पुलिस से बाहर भेजे जा सकते हैं। दिल्ली के वर्तमान पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा तमिलनाडु काडर के आई पी एस अधिकारी हैं । बाहर से आने वाले आई पी एस अधिकारी किस काडर के होंगे, इस पर मंथन जारी है। वैसे दिल्ली में यू टी काडर के आई पी एस अधिकारी ज्यादा नियुक्त होते हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में महिलाओं का वर्चस्व

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में इन दिनों महिलाओं का वर्चस्व है। बोर्ड में महिला सदस्य पचास प्रतिशत से अधिक हैं। छह सदस्यों वाले बोर्ड में चार महिला सदस्यों के नाम है – अनुजा सारंगी, संगीता सिंह, सुश्री अनंतकृष्णन और प्रग्या सहाय सक्सेना।

सही निकली मीडियावाला की खबर!

देश में सबसे पहले मीडियावाला ने अपने कॉलम में बताया था कि केंद्रीय वाणिज्य सचिव बी वी वी सुब्रमण्यम को रिटायरमेंट के बाद इंडियन ट्रेड फेयर ऑर्गेनाइजेशन आईटीपीओ का अध्यक्ष बनाया जाएगा। मीडिया वाला ने अपने कॉलम में 5 सितंबर को ही यह बात कह दी थी और 15 सितंबर को केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए। छत्तीसगढ़ कैडर के 1987 बैच के अधिकारी वाणिज्य सचिव सुब्रमण्यम, जिन्हें केंद्र सरकार ने केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एलसी गोयल के रिटायरमेंट के बाद आईटीपीओ के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था, अब 1 अक्टूबर से 2 साल के लिए देश के इस महत्वपूर्ण ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष बनाए गए हैं।