मंडी बोर्ड में दो सौ करोड़ के अनुज्ञा पत्र घोटाले की जांच कछुआ चाल, सात साल बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं

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घोटाले

मंडी बोर्ड में दो सौ करोड़ के अनुज्ञा पत्र घोटाले की जांच कछुआ चाल, सात साल बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं

भोपाल
मंडी बोर्ड में हुए दो सौ करोड़ के फर्जी अनुज्ञा पत्र घोटाले में 21 आरोपी कर्मचारियों के विरुद्ध गड़बड़ी करने के प्रमाण मिले है लेकिन सात साल बाद भी इनके विरुद्ध कोई अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है और इस मामले में सात वर्ष बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
मंडी बोर्ड के फर्जी अनुज्ञा पत्र घोटाले में जिन 21 कर्मचारियों के विरुद्ध जांच चल रही है। उनमें कुछ के मामले न्यायालय में विचाराधीन होंने के कारण उनकी विभागीय जांच स्थगित रखी गई है। कई के जांच प्रतिवेदन अब तक नहीं मिलने के कारण उन पर सजा का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। इसके चलते सात साल बाद भी इन मामलों में दोषी अफसरों से वसूली करने और उन्हें दंडित करने का फैसला नहीं हो पाया है। इनमें से कई अधिकारी को जांच के चलते ही सेवानिवृत्त भी हो चुके है। कांग्रेस विधायक बाला बच्चन का कहना है कि इस मामले में सरकार लंबे समय से कार्यवाही न कर अफसरों को बचाने की कवायद में लगी हुई है। बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी सरकार इस मामले में क छुआ चाल से काम कर रही है।
न्यायालय में प्रकरण होंने के कारण विभागीय जांच रोकी-
कृषि उपज मंडी समिति डबरा में पदस्थ मंडी निरीक्षक सीताराम शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता प्रकरण कायम कर मामला ग्वालियर न्यायालय में पेश किया गया है। न्यायालय के निर्णय आने तक विभागीय जांच की कार्यवाही भी स्थगित रखी गई है। इसी तरह डबरा कृषि उपज मंडी के ही सहायक उप निरीक्षकखेमराज राजे, मंडी निरीक्षक निहाल सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच की कार्यवाही स्थगित रखी गई है।
एफआईआर बाद इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी-
कृषि उपज मंडी समिति भिंड के कर्मचारी तत्कालीन सचिव दुर्गाशंकर शर्मा, सहायक उप निरीक्षक उदयभान सिंह यादव।
कहीं जांच प्रतिवेदन नही मिला तो कहीं लेट मिली जानकारी-
महिदपुर कृषि उपज मंडी समिति की तत्कालीन सचिव सविता सैयाम के प्रकरण में हानि की जानकारी आंचलिक कार्यालय इंदौर ने मई 2022 में उपलब्ध कराई है इसपर आगे कार्यवाही होना है। मंदसौर कृषि उपज मंडी समिति के तत्कालीन सचिव संजीव श्रीवास्तव के मामले में जांच प्रतिवेदन नहीं मिला। तराना मंडी समिति के तत्कालीन सचिव अश्विन सिन्हा और ग्रेडर प्रभारी सचिव प्रवीण चौहान, सतना मंडी समिति के तत्कालीन सचिव (अब सेवानिवृत्त)अरविंद कुमार ताम्रकार के मामले में अब तक जांच प्रतिवेदन ही ंजारी नहीं हो पाए है। रन्नौद कृषि उपज मंडी समिति के रिटायर्ड सचिव अहिवरन सिंह भदौरिया, सेवानिवृत्त सचिव दरबार सिंह चौहान,शहडोल कृषि उपज मंडी समिति के तत्कालीन सचिव रामशरण सिंह के मामले में भी जांच प्रतिवेदन नहीं मिले है।
कहीं पीठासीन अधिकारी बदले तो आदेश जारी नहीं-
करही कृषि उपज मंडी समिति के सहायक उप निरीक्षक बलीराम गोहे के प्रकरण में पीठासीन अधिकारी बदल गए इसके चलते आदेश जारी नहीं हो पाया। अब पुन: व्यक्तिगत सुनवाई कर आदेश के लिए सुरक्षित रखा गया है।
जांच प्रतिवेदन में पूरी जानकारी नहीं, ईओडब्ल्यू में केस-
शहडोल मंडी समिति के तत्कालीन सचिव जीपी बांधव के जांच प्रतिवेदन में क्षति की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गइ्र। फिर से जांनकारी मांगी गई है। रन्नौद मंडी समिति के सेवानिवृत्त सचिव गजेन्द्र सिंह कुशवाह का मामला ईओडब्ल्यू में है इसके निराकरण तक प्रकरण लंबित रखा गया है।
नोटिस का जवाब नहीं-
डबरा मंडी समिति के तत्कालीन सचिव राकेश गौस्वामी के मामले में कारण बताओ नोटिस का जवाब अब तक नहीं आया है। भांडेर मंडी समिति में प्रतिनियुक्ति पर मंडी निरीक्षक, प्रभारी सचिव के पद पर तैनात हरेन्द्र सिंह राठौर के मामले में अनुज्ञा पत्र सत्यापन के बाद अफसरों ने जवाब नहीं दिया। रन्नौद मंडी समिति में सेवानिवृत्त सचिव लक्ष्मीनारायण शर्मा के मामले में अधिकारियों का अभिमत नहीं मिला है।
आगर मंडी समिति के तत्कालीन सचिव अब सेवानिवृत्त राजेश मिश्रा के मामले में नियम शाखा की जानकारी अपेक्षित होंने और रतलाम कृषि उपज मंडी समिति के तत्कालीन सचिव अब सेवानिवृत्त रुपनारायण कानूनगो के मामले में आंचलिक कार्यालय उज्जैन के अफसरों का अभिमत नहीं आने से कार्यवाही नहीं हो पा रही है।