*एसपी रायसेन पर गिरेगी गृह विभाग की गाज!*
रायसेन जिले के पुलिस अधीक्षक विकास कुमार सहवाल से मप्र का गृह विभाग खासा नाराज है और उन्हें लूप लाईन भेजने की तैयारी है। दरअसल गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रायसेन एसपी सहवाल को फोन करके गृह विभाग के एक कर्मचारी की वैधानिक पुलिसिया मदद के लिए कहा था। सहवाल ने कर्मचारी की मदद तो की, लेकिन अगले तीन चार घंटे तक गृह विभाग के जिम्मेदार अफसर का फोन रिसीव नहीं किया। लगभग चार घंटे बाद सहवाल ने अफसर का फोन रिसीव करके दो टूक जबाव दे दिया कि वह लाॅ एंड आर्डर की ड्यूटी पर थे। अफसर ने फोन न उठाने की बात की तो सहवाल ने साफ बोल दिया कि – वह गृह विभाग के अफसर की नौकरी नहीं करते, आप यह गलत फहमी दूर कर लीजिए। वरिष्ठ अफसर के प्रति सहवाल के इस व्यवहार को गृह विभाग के अफसरों ने गंभीरता से लिया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि सहवाल को लूप लाईन करके उनके इस आपत्तिजनक व्यवहार का उल्लेख उनकी गोपनीय चरित्रावली रिपोर्ट में किया जाएगा।
*मप्र में शशि थरूर को मिल सकते हैं 50-100 वोट!*
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर के साथ फिलहाल मप्र का कोई भी बड़ा नेता दिखाई नहीं दे रहा है, फिर भी कांग्रेस नेताओं का आंकलन है कि शशि थरूर को मप्र से 50 से 100 वोट मिल सकते हैं। 8 अक्टूबर को नाम वापसी की तारीख के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के दोनों दावेदार मल्लिकार्जुन खडगे और शशि थरूर प्रचार करने भोपाल आ सकते हैं।
मप्र में कुल 502 प्रदेश प्रतिनिधि हैं जो मतदान करेंगे। यदि थरूर ने नाम वापस नहीं किया तो 17 अक्टूबर को भोपाल के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मतदान कराया जाएगा। मप्र के दो वरिष्ठ नेता वरिष्ठ कांग्रेस के ग्रुप-23 के सदस्य रहे हैं। इन दोनों नेताओं ने फिलहाल अध्यक्ष चुनाव को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। थरूर जिस दिन प्रचार करने भोपाल आएंगे उस दिन पता चलेगा कि उनके साथ कौन कौन नेता हैं? कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने मल्लिकार्जुन खडगे को समर्थन देने की बात कही है। मुखबिर का कहना है कि कमलनाथ यह मानकर चल रहे हैं कि मप्र से थरूर को अधिकतम 50 से 100 वोट मिल सकते हैं।
*रिश्वत में पिल्ला दिया फिर भी हो गए सस्पेंड!*
मप्र के सबसे कमाऊ पुलिस थाने के प्रभारी ने अपने आईजी को रिश्वत में लगभग डेढ लाख कीमत का विदेशी नस्ल का पिल्ला भेंट किया। इसके बाद भी आईजी ने एसपी से कहकर थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है। दरअसल पिल्ला देने के बाद थाना प्रभारी की हिम्मत खुल गई।
थाने में खुलेआम वसूली होने लगी। वसूली की शिकायत और वसूली के कुछ ऑडियो पुलिस मुख्यालय पहुंच गए। पुलिस मुख्यालय के एक फोन ने आईजी से लेकर एसपी तक को हिलाकर रख दिया। थाना प्रभारी सहित पांच पुलिस वालों पर सस्पेंड की गाज गिरने की सूचना है।
*कोर ग्रुप ने मंत्रियों को तनाव दे दिया*
मप्र भाजपा कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक में मात्र आठ मंत्रियों नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह, मोहन यादव, विश्वास सारंग, अरविन्द भदौरिया, इन्दरपाल सिंह परमार, राजवर्धन सिंह, जगदीश देवडा को बुलाकर गोपाल भार्गव, यशोधरा राजे सिंधिया, कमल पटेल, विजय शाह जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को तनाव दे दिया है। चर्चा है कि इन मंत्रियों की स्थिति अपने समर्थकों और मतदाताओं की नजर में अचानक कमजोर हो गई है।
जिन मंत्रियों को नहीं बुलाया गया उनके बारे में अटकलें शुरू हो गई हैं। क्या संगठन इनसे नाराज हैं? क्या इनका अगला टिकट कटना तय है? सिंधिया खेमे के मंत्री स्वयं के न बुलाने से ज्यादा परेशान राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को बुलाने से हैं। क्योंकि सिंधिया खेमे की पतवार वरिष्ठ मंत्री तुलसी सिलावट व गोविन्द राजपूत सम्हालते हैं। इन दोनों को नहीं बुलाया गया। बहरहाल अब मंत्री इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि कोर कमेटी की बैठक में मंत्रियों को बुलाने का क्या मापदंड रखा गया है?
*कमलनाथ-शिवराज दोस्ती में दरार!*
मप्र की राजनीति में लंबे समय बाद यह महसूस किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की दोस्ती में दरार बढ़ती जा रही है। कांग्रेस और भाजपा में इन दोनों नेताओं की दोस्ती और एक दूसरे की मदद के अनेक किस्से सुनाये जाते रहे हैं।
मुखबिर का कहना है कि भाजपा संगठन ने इसे गंभीरता से लेते हुए गृह विभाग की गाज! कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में हुए 6 नगरीय निकाय संस्थाओं के चुनाव में पूरी ताकत झोंककर 6 निकायों पर कब्जा कर लिया है। शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह छिंदवाड़ा नगर निगम आयुक्त हिमांशु सिंह को हटाकर भोपाल अटैच किया है, उससे भी इन नेताओं के बीच दरार की अटकलें लगने लगी हैं। हिमांशु सिंह पर मात्र इतना आरोप था कि उन्होंने आवास हितग्राहियों को छिंदवाड़ा में कमलनाथ के बंगले पर पहुंचकर चैक वितरित किये थे।
*41 साल बाद भी यहां लगती है मासूम बच्चियों की मंडी*
आज से 41 साल पहले अप्रेल 1981 को इंडियन एक्सप्रेस के दो पत्रकारों अरूण शौरी और अश्विनी सरीन ने ग्वालियर मुरैना रोड के बदनापुरा में महिलाओं और बच्चियों की खरीद फरोख्त को साबित करने 2300 रुपये में कमला नाम की महिला को खरीदा था और उसे दिल्ली तक ले गए थे। तब इंडियन एक्सप्रेस ने इन खबरों को सीरीज में छापा था। पूरे देश में मप्र व बदनापुरा की बदनामी हुई थी। 41 वर्ष बाद भी हालात बदले नहीं है। अब ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने इस क्षेत्र में चल रही महिलाओं व बच्चियों की मंडी को बेनकाब कर तीन मासूम बच्चियों को आजाद करा लिया है। इन बच्चियों की उम्र 15 वर्ष से कम है। इन बच्चियों को अपने माता पिता और अपने शहर का नाम तक नहीं पता है। नवरात्रि पर्व के बीच मासूम कन्याओं को मुक्त कराने की पुलिस कार्यवाई की तारीफ हो रही है। फिलहाल पुलिस ने इस मंडी को हमेशा के लिए खत्म करने एसआईटी का गठन किया है।
*और अंत में…!*
मप्र के अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट पर अनेक विधायक पूर्व विधायक व रिटायर अफसर उतर सकते हैं। खबर आ रही है कि कांग्रेस और भाजपा अगले चुनाव में बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकते हैं। अभी तक टिकट कटने वाले विधायक बसपा या सपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ते थे। फिलहाल इन दोनों दलों की स्थिति मप्र में कमजोर है। आप आदमी पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में एक महापौर और अनेक पार्षद जीतकर प्रदेश में शानदार आमद दे दी है। इस बार कांग्रेस भाजपा के बाद पहली पसंद आम आदमी पार्टी बनती जा रही है। यह भी खबर है कि मप्र के कुछ रिटायर अफसर जिनकी राजनीति में रूचि है, उनकी पहली पसंद भी अब आम आदमी पार्टी ही है। खास बात यह है कि इसकी भनक कांग्रेस और भाजपा दोनों को है। दोनों पार्टी आम आदमी पार्टी के संभावित खतरे को ध्यान में रखकर ही रणनीति बनाने में जुट गई हैं।
*