हाउसिंग बोर्ड ने किया विवादित भूमि का अधिग्रहण, पांच करोड़ का खर्च हुआ बेकार

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हाउसिंग बोर्ड ने किया विवादित भूमि का अधिग्रहण, पांच करोड़ का खर्च हुआ बेकार

भोपाल: मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल द्वारा एमपी में विवादित भूमि के अधिग्रहण का मामला सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस भूमि के अधिग्रहण पर मंडल ने चार करोड़ 94 लाख रुपए खर्च कर दिए लेकिन जमीन पर विवाद होने के कारण यह अधिग्रहण आज तक नहीं हो पाया और गृह निर्माण मंडल के करोड़ों रुपए बेकार चले गए।

 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल अपनी योजनाआेंं को चलाने के लिए सरकार से जमीन लेता है या फिर आमजन, किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करता है। लेकिन विवादित जमीन का अधिग्रहण करने के कारण गृह निर्माण मंडल को जमकर घाटा उठाना पड़ा है। महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने इस पर आपत्ति जताते हुए गृह निर्माण मंडल से इस व्यर्थ हुए खर्च को लेकर जवाब मांगा है।

रीवा में गृह निर्माण मंडल ने कुल 18.101 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की थी। इसमें से 2.214 हेक्टेयर जमीन विवादित थी। इस जमीन को लेने पर मंडल ने अस्सी लाख खर्च किए थे। इस पूरी जमीन पर लंबे समय से अतिक्रमण चल रहा है। अतिक्रमण हटाने के लिए मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसके कारण मंडल इस जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाया।

सिंगरौली में विभाग ने 11.99 एकड़ जमीन ली थी। इस जमीन के अधिग्रहण पर 3 करोड़ 2 लाख रुपए खर्च किए गए थे। नॉदर्न कोलफील्ड लिमिटेड द्वारा कोयला खदानों के विस्तार के कारण यह जमीन नहीं मिल पा रही है। सिंगरौली में मंडल ने 10.80 एकड़ जमीन के अधिग्रहण पर अस्सी लाख रुपए खर्च कर दिए। कलेक्टर ने इस जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है। उज्जैन में 21.61 एकड़ जमीन अधिग्रहण पर मंडल ने 32 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। लेकिन भूमि स्वामी द्वारा इस मामले में प्रकरण दर्ज करा दिया गया है। संभाग क्रमांक एक भोपाल के अंतर्गत गृह निर्माण मंडल ने दस एकड़ जमीन के अधिग्रहण पर एक करोड़ रुपए खर्च कर दिए लेकिन इस जमीन पर अतिक्रमण के कारण योजना ही प्रारंभ नहीं हो पाई। इसके चलते यह अधिग्रहण बेकार गया।

 

*अधिग्रहण के पहले पर्याप्त खोजबीन न होंने के कारण विवादित जमीन ले ली-*

इस मामले में महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने आपत्ति जताते हुए गृह निर्माण मंडल से जवाब मांगा तो उन्होंने बताया कि अतिक्रमण या न्यायालयीन मामले होने के कारण जमीनों का आधिपत्य नहीं लिया जा सका। इसके अलावा सिंगरौली योजना में बोर्ड ने विकास कार्य भी किए थे। लेकिन शासन ने आवंटन निरस्त कर दिया इसके चलते काम बंद करना पड़ा। विकास पर किये गये खर्च की वसूली की जाएगी तथ इस संबंध में कलेक्टर से पत्र व्यवहार किया जाएगा।संभाग क्रमांक एक भोपाल के प्लाट के प्रकरण में अतिक्रमण होंने के मामले में जिम्मेदारी तय की जाएगी। लेखा परीक्षक ने बताया कि बोर्ड ने भूखंडों को खरीदने से पहले यथोचित परिश्रम नहीं किया। इन जमीनों के संबंध में पर्याप्त जानकारियां नहीं ली। इसके कारण इन के अधिग्रहण पर किया गया खर्च बेकार गया।