CM in Indore : लंदन से वाग्देवी की प्रतिमा वापस लाने के गंभीर प्रयास होंगे!

प्रदेश के 69 सीएम राइज स्कूलों का वर्चुअल भूमिपूजन किया गया!

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CM in Indore : लंदन से वाग्देवी की प्रतिमा वापस लाने के गंभीर प्रयास होंगे!

Indore : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अहिल्याश्रम में आयोजित कार्यक्रम में रिमोट बटन दबाकर प्रदेश के 69 सीएम राइज स्कूलों का वर्चुअल भूमिपूजन किया। इस योजना में इंदौर जिले के पांच स्कूल भी शामिल है। इससे पहले मुख्यमंत्री डेली कॉलेज में युवा के चिंतन शिविर में शरीर के अंदर का सुख और बाहर के सुख को युवाओं के सामने प्रस्तुत किया था। इस दौरान यंग थिंकर कॉन्क्लेव में सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार धार की सुप्रसिद्ध वाग्देवी प्रतिमा को वापस स्वदेश लाने के लिए गंभीरता से प्रयास करेगी।

भूमिपूजन कार्यक्रम इंदौर के अहिल्या आश्रम क्र.1 में रखा गया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम राइज स्कूल का भूमिपूजन किया। साथ ही बाकी स्कूलों में भूमिपूजन का कार्यक्रम वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह ने नवीन शिक्षा कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

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मुख्यमंत्री ने कन्याओं का पूजन भी किया और उन्हें तिलक लगाकर उपहार दिए। अतिथियों को तुलसी का पौधा भेंट किया गया। इंदौर जिले में पांच स्कूलों का प्रस्ताव आ चुका है, निर्माण पर 350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

कई सुविधाएं होंगी इन स्कूलों में

सीएम राइज स्कूल विद्याथियों के लिए कई तरह की सुविधाओं से लैस रहेंगे। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कम्प्यूटर लैब, संगीत कक्ष, आर्ट एंड क्राफ्ट कक्ष, जिम और एनसीसी भी होंगे। इनमें जिला स्तरीय स्कूलों में स्वीमिंग पूल, डिजिटल स्टूडियो, ट्रेक एंड फील्ड की सुविधा होगी। विद्यार्थियों को घर से लाने ले जाने के लिए वाहन की सुविधा भी दिलाई जाएगी। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में सरकारी स्कूलों के छात्र मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने छात्रों पर गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा की।

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इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा करते हुए कहा कि, राज्य में अब तक मेडिकल की पढ़ाई इंग्लिश में होती थी। जिसे अब हिंदी में पढ़ाया जाएगा। इसी प्रकार प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी अब हिंदी में इंजीनियरिंग करने की सुविधा होगी। इसके लिए जल्दी सेटअप तैयार किया जाएगा। जिससे पढ़ाई और डिग्रियों में भाषा का बंधन किसी के भी कैरियर में रुकावट ना बन सके।