Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक बार फिर से यह चर्चा जोरों से चल रही है कि क्या इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

कई आईएएस अधिकारियों का मानना है कि जिस तरह मुख्यमंत्री से उनकी ट्यूनिंग है उसे देखकर ऐसा लगता है कि वे बैंस को लगातार मुख्य सचिव बनाए रखना चाहते हैं और पता चला है कि शायद इस दिशा में वे गंभीरता के साथ प्रयास भी कर रहे हैं। हालांकि मीडियावाला के पास अभी भी जो खबर है उसके हिसाब से अनुराग जैन का नाम लगभग फाइनल बताया जा रहा है लेकिन अगर मुख्यमंत्री की बात को केंद्र में तवज्जो दे दी तो इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन मिल सकता है और वे अगले 1 साल और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बने रह सकते हैं यानी आगामी विधानसभा चुनाव तक। हालांकि यह अलग बात है कि स्वयं इकबाल सिंह नहीं चाहते कि उनका एक्सटेंशन हो, वे यह बात कई बार कई स्थानों पर कह भी चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इकबाल सिंह बैंस CS बने रहें।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इकबाल सिंह बैंस 30 नवंबर के बाद भी मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बने रहेंगे?

राहुल की यात्रा में किसका रास्ता जुड़ेगा, इंतजार कीजिए!

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाली है, लेकिन उसके साथ ही पूरे रास्ते के कांग्रेस नेताओं में भी खींचतान शुरू हो गई। हर नेता चाहता है कि राहुल गांधी उनके क्षेत्र से होकर निकलें, ताकि उनकी झांकी बन जाए और उनके पक्ष में माहौल भी बन जाए! ये स्वाभाविक है और उनके राजनीतिक भविष्य के लिए जरूरी भी। क्योंकि, इस यात्रा से जो माहौल बना है, वो अपना असर दिखा रहा है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

मध्यप्रदेश के करीब 300 किमी के रास्ते के लिए विस्तार से कार्यक्रम बनाया गया है, जिसमें रास्ते की सारी गतिविधियों का विस्तार उल्लेख है। राहुल गांधी कब, कहां से गुजरेंगे, कहां रुकेंगे और उनके साथ कौन होगा। लेकिन, कस्बों और शहरों के रास्ते को लेकर अभी भी जोर आजमाइश चल रही है। हर नेता चाहता है कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ उनका इलाका भी जोड़ा जाए!

इंदौर जैसे बड़े शहर को लेकर ज्यादा परेशानी आती दिखाई दे रही है। क्योंकि, राहुल गांधी को शहर से गुजरते हुए उज्जैन का रास्ता पकड़ना है। लेकिन, इंदौर में उनके मार्ग को लेकर काफी आग्रह है। राहुल एक रात इंदौर में भी रुकेंगे, इसलिए उनके कार्यक्रमों को नया विस्तार दिया जा रहा है। यहां का हर बड़ा नेता इसी कोशिश में लगा है कि राहुल उनके यहां जरूर आएं। अब देखना ये है कि किसकी कोशिश कामयाब होती है!

उमा भारती अपना घर छोड़ेंगी, इसमें शंका क्यों?

इन दिनों उमा भारती उहा-पोह में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें! क्योंकि, वे जो भी आवाज उठाने की कोशिश करती हैं, उसे किसी न किसी तरह दबा दिया जाता है या वे अपने आप ही दब जाती है। इसलिए नहीं कि उनकी बात गलत होती है। लेकिन, उसका समय गलत होने के साथ के साथ वे नॉन-प्रेक्टिकल होती हैं। शराबबंदी की उनकी मांग बहुत पुरानी है, पर सरकार उस पर कान नहीं धर रही, क्योंकि ये मामला प्रदेश के राजस्व से जुड़ा है। इसके अलावा भी वे जो बात करती हैं, सरकार उसमें उनका साथ नहीं देती। अब उमा भारती ने नया शिगूफा छोड़ा है कि वे अपना घर छोड़ेंगी। लेकिन, क्या वास्तव में वे ऐसा करेंगी, इसमें शक है। क्योंकि, अभी तक उमा भारती ने जो कहा वो नहीं किया!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव बने रहेंगे?

सरकार के गांधी जयंती से शुरू किए नशामुक्ति अभियान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा था कि वे 7 नवंबर से अपने इस अभियान की नर्मदा नदी के तट पर स्थित अमरकंटक से शुरुआत करेंगी। 7 नवंबर से वे तब तक वह घर में नहीं रहेंगी, जब तक कि लोग शराब के आतंक से मुक्त नहीं हो जाते। वे टेंट, झोपड़ी या पेड़ के नीचे रहेंगी। पर, क्या वे ऐसा करती हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी है। इसलिए भी कि उमा भारती के साथ अब समर्थकों की बड़ी फ़ौज भी नहीं बची और न कोई ऐसा सलाहकार है जो उन्हें ऐसे राजनीतिक प्रपंचों के बारे में सही सलाह दे।

आखिर संजय शुक्ला को उद्योग विभाग से क्यों रुखसत किया गया

मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि, अब जबकि अगले 2 महीने में उद्योग विभाग से जुड़े दो प्रतिष्ठा प्रसंग होने वाले हैं, ऐसे में प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग संजय शुक्ला को अचानक क्यों हटाया गया। बता दें कि जनवरी माह में इंदौर में प्रवासी सम्मेलन जिसमें प्रधानमंत्री शिरकत करने वाले हैं, के अलावा इन्वेस्टर्स समिट भी हो रही है। तो क्या यह माना जाए कि संजय शुक्ला राज्य शासन के इन दोनों प्रतिष्ठा प्रसंगों को व्यवस्थित रूप से करने में शायद सक्षम और सफल नजर नहीं आ रहे थे या मामला कुछ और है?

IPS गोयल को दिल्ली से बाहर भेजा जाएगा?

आरोप और प्रत्यारोप के बीच दिल्ली पुलिस के जेल महानिदेशक संदीप गोयल को आखिर हटा दिया गया। उनके स्थान पर संजय बेनीवाल को नियुक्त किया गया है। दोनों ही यूटी काडर के आई पी एस अधिकारी हैं । सूत्रों का कहना है कि गोयल को दिल्ली से बाहर भेजे जाने की संभावना अधिक है। अभी वे प्रतीक्षा सूची में हैं।


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प्रसार भारती का नया प्रशासनिक मुखिया ढूंढने की सरकार को कोई जल्दी नहीं!

प्रसार भारती का नया प्रशासनिक मुखिया ढूंढने की लगता है सरकार को कोई जल्दी नहीं है। इस वर्ष जून से मयंक अग्रवाल को प्रसार भारती बोर्ड के सीईओ का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है जिनका रिटायर्मेंट अगले साल फरवरी में है। बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी दो साल से खाली है। इस बीच चर्चा यह है कि किसी रिटायर्ड आई ए एस अधिकारी को इस बार सीईओ बनाया जा सकता है।

ED निदेशक को लेकर इसी सप्ताह हो सकता है फैसला!

इसी हफ्ते सरकार ईडी के निदेशक के बारे में भी फैसला ले सकती है। एस के मिश्रा, वर्तमान में निदेशक है। हालांकि सरकार ने पिछले साल निदेशक की अवधि दो से बढा कर पांच साल कर दी है लेकिन दो साल के बाद हर साल काम की समीक्षा के बाद कार्यकाल बढ़ाने की शर्त भी रखी है। इसलिए सरकार को 14 नवंबर तक फैसला लेना है।

दिल्ली नगर निगम और गुजरात के चुनाव किस पार्टी के लिए घाटे का सौदा सबित होंगे?

दिल्ली नगर निगम के चुनाव गुजरात विधानसभा के साथ होने के पीछे की मंशा पता लगाना इतना जरूरी नहीं है जितना कि यह जानना कि दोनों चुनाव किस पार्टी के लिए घाटे का सौदा सबित होंगे। सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार इन दोनों चुनावों में भाजपा और आप की ही साख दांव पर है। कांग्रेस तो अभी चुनावी मोड में आती नहीं दिखती।

अशोक शाह के खिलाफ कार्यवाही करने में हिचक क्यों?

मध्य प्रदेश के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा है कि महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह 1990 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक शाह के खिलाफ सरकार आखिर कार्रवाई करने में क्यों हिचक रही है। यूं तो इन दिनों मुख्यमंत्री छोटी मोटी बात को लेकर ही छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों को बख्श नहीं रहे है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में देर नहीं करते। यह उन्होंने पिछले कई मौकों पर साबित भी किया है लेकिन अशोक शाह के मामले में आखिर मुख्यमंत्री क्यों रुके हुए हैं यह बात समझ से परे है।

IAS अफसर ने मांओं को कटघरे में खड़ा किया!

उनकी पार्टी की महिला नेत्री रंजना बघेल, कुसुम मेहदेले से लेकर उमा भारती तक और पार्टी के कई फोरम पर कई नेता अशोक शाह द्वारा महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर नाराजगी भरी टिप्पणियां कर चुके हैं। ये सभी शाह के बयान को सरकार के खिलाफ, सरकार की छबि बिगाड़ने का बयान मान रहे हैं। विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम भी इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से अशोक शाह के खिलाफ तंज कस चुके हैं लेकिन हाल ही में हुए IAS रिशफल में अशोक शाह को महिला और बाल विकास विभाग में ही रखा गया है हालांकि उनसे एक विभाग संचालक आदिम जाति अनुसंधान संस्थान से हटा दिया गया है।
यह माना जा सकता है कि सरकार इस मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहती क्योंकि शाह पौने तीन महीने बाद रिटायर ही हो रहे है।

मीडियावाला की खबर पर लगी मुहर

मीडियावाला ने अपने इसी कॉलम में पिछली बार लिखा था कि दिवाली के बाद आईएएस अधिकारियों में फेरबदल होगा और आज प्रदेश मंत्रालय में जिस पैमाने पर वरिष्ठ स्तर पर आईएएस अधिकारियों का फेरबदल हुआ है उससे मीडियावाला की खबर पर मुहर लग गई है।
इसी कॉलम में हमने कई अधिकारियों के के बदलाव के बारे में हिंट भी किया था और वह बात भी सही निकली। भोपाल संभाग के आयुक्त गुलशन बामरा को हटाकर मंत्रालय में प्रमुख सचिव बनाया गया है।यह बात हमने अपने कॉलम में कही थी।

आखिर संजय शुक्ला को उद्योग विभाग से क्यों रुखसत किया गया

मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि, अब जबकि अगले 2 महीने में उद्योग विभाग से जुड़े दो प्रतिष्ठा प्रसंग होने वाले हैं, ऐसे में प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग संजय शुक्ला को अचानक क्यों हटाया गया। बता दें कि जनवरी माह में इंदौर में प्रवासी सम्मेलन जिसमें प्रधानमंत्री शिरकत करने वाले हैं, के अलावा इन्वेस्टर्स समिट भी हो रही है। तो क्या यह माना जाए कि संजय शुक्ला राज्य शासन के इन दोनों प्रतिष्ठा प्रसंगों को व्यवस्थित रूप से करने में शायद सक्षम और सफल नजर नहीं आ रहे थे या मामला कुछ और है?

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।