हर हार पर रोने का मन करता ही है…
आखिर हम इंसान ही तो हैं, जिसके दिल में भावनाओं का ज्वार भरा पड़ा है। ज्यादा खुशी हो, तब भी आंसू छलक जाते हैं और ज्यादा दु:ख घेर ले, तब भी खुलकर रोने का मन करता ही है। लगता है फूट-फूटकर रो लिया जाए। टी-20 वर्ल्ड कप का 10 नवंबर 2022 का क्रिकेट मैच भी हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को रुलाकर ही विदा हुआ। मैच कुछ इस तरह एकतरफा रहा, जैसे एक नौसिखिया टीम किसी दूसरी सुपर टीम के सामने घुटनों पर आ गई हो। हार्दिक और विराट के अर्धशतक किसी काम के नहीं रहे और कप्तान रोहित शर्मा का कप्तानी कौशल क्रिकेट ग्राउंड में बिखरा-बिखरा नजर आया। रंज की बात यह है कि बल्लेबाजों की मेहनत पर जीत का सेहरा न बंधता, कोई बात नहीं।
पर एक-दो विकेट लेकर ही सही, राहत का मलहम तो लगा ही देते। सूर्य कुमार के अस्त होने के बाद हार्दिक ने विराट संग जो कदम आगे बढ़ाए थे, उसका थोड़ा सा मान तो रख लेते भारतीय गेंदबाज। मैच में पूरी तस्वीर ही एकतरफा थी। ऐसे लग रहा था कि इंग्लैंड का ही दिन था। टॉस जीतने से लेकर मैच जीतने तक भारत कहीं नजर ही नहीं आया सिवाय विराट के चौकों और हार्दिक पंड्या के छक्कों के। और यह चौके-छक्के भी किस्मत के मारे बेसहारे से दिखाई दिए। आखिर ऐसा क्या हो गया था रोहित शर्मा की इलेवन ब्रिगेड को, कि द्रविड़ का काम जैसे आंसू पौंछना ही रह गया। पहले ओवर से दस से ज्यादा रन का औसत बनाकर कायम रखने वाली सुपर स्टार टीम साबित हुई इंग्लैंड की, जिस पर ब्रेक लगाने में पूरी तरह लाचार नजर आई भारतीय क्रिकेट टीम। इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय खिलाड़ियों को एक क्षण भी चैन नहीं लेने दिया, तो इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय खिलाड़ियों को खुश होने का एक पल भी नहीं दिया।
हार्दिक की इंग्लैंड के गेंदबाजों की ताबड़तोड़ धुलाई के दृश्य भरोसा पैदा करने वाले थे। भारतीय बल्लेबाज 180 रन नहीं बना पाए यह बात और है, लेकिन 6 विकेट खोकर 168 रन बनाना भी एकदम निराशाजनक नहीं था। ऐसे लगा जैसे सुनक के प्रधानमंत्री बनने की खुशी मनाने उतरी हो इंग्लैंड की टीम और भारत की टीम ने भी यही सोचा हो कि चलो सुनक को पीएम बनाने का उपहार हमसे भी ले लो। याद रखना टी-20 वर्ल्ड कप तो हम पहले भी जीत चुके हैं और बाद में भी जीत लेंगे लेकिन सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार इंग्लैंड की टीम से मैदान में आमना-सामना होने पर जीत का यह तौहफा भेंट करने का अवसर जिंदगी में दोबारा कभी नहीं आएगा।
और यदि इंग्लैंड को गुरूवार की इस जीत से ज्यादा गुरूर पैदा हो जाएगा, तो फाइनल में हमारे पड़ोसी पाकिस्तानी खिलाड़ी गुरूर तोड़ने का काम पूरी जिम्मेदारी से पूरा कर देंगे। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे यहां ऋषि-मुनि और गीता में कृष्ण पहले ही बता चुके हैं कि चिंता चिता से बढ़कर है। सो न हम हार की चिंता कर रहे हैं और न तुम हार पर आंसू बहाना यदि पाकिस्तान के हाथों फाइनल में हार गए तो…। मानवीय स्वभाव है, इसलिए न चाहते हुए भी इस आइना दिखाने वाली हार पर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी भावुक हो गए। तुम भी इस बात की गांठ बांध लेना कि मानवीय स्वभाव के विपरीत आचरण कर हार पर आंसू बहाने की बजाय खेल भावना से हंसते-हंसते स्वीकारना और जीते तो उत्साहित भी कम ही होना। सुनक को सवा सौ करोड़ से ज्यादा भारतवासियों की तरफ से जीत स्वीकार हो। भारतवंशी हो, तो इतना लोकाचार तो निभाना ही पड़ेगा।
मिलन (1967) फिल्म, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत, आनंद बक्षी के बोल और मुकेश की आवाज का यह गीत याद आ रहा है।
मुबारक हो सबको समां ये सुहाना
मैं खुश हूँ मेरे आँसुओं पे न जाना
मैं तो दीवाना, दीवाना, दीवाना
हज़ारों तरह के ये होते हैं आँसू
अगर दिल में ग़म हो तो रोते हैं आँसू
खुशी में भी आँखें भिगोते हैं आँसू
इन्हें जान सकता नहीं ये ज़माना
मैं खुश हूँ…