एलन मस्क फ्री स्पीच को बढ़ाएंगे या हेट स्पीच को?

एलन मस्क फ्री स्पीच को बढ़ाएंगे या हेट स्पीच को?

मेटा इंडिया में टेक स्कॉलर रहे जेड लिंगदोह का मानना है कि एलन मस्क का प्लेटफॉर्म टि्वटर अब फ्री स्पीच के बजाय हेट स्पीच को बढ़ावा देने का काम ज्यादा करेगा। एलन मस्क जिस फ्री स्पीच की बात करते हैं, वह एक तरह से हेट स्पीच के लिए ही फायदेमंद होगा। एलन मस्क ने स्पष्ट किया है कि टि्वटर फ्री फॉर ऑल मीडिया होगा, तो क्या इसका मतलब यह नहीं कि यह घृणा फैलाने वालों के लिए पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन जाएगा। टि्वटर को लेकर एलन मस्क भले ही बार-बार यह बात कहें कि हम फ्री स्पीच को बढ़ावा देना चाहते हैं, लेकिन टि्वटर अब लॉ ऑफ लैंड को ठीक से फॉलो नहीं कर रहा। मस्क ने एक ट्वीट किया था कि कॉमेडी अब टि्वटर पर जायज हैं। जवाब में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने ट्वीट किया था- पक्का? नहीं भाई रहने दो तुम नहीं आओगे, जमानत कराने।

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एलन मस्क की योजना है कि ब्लू टिक धारियों से हर महीने 8 डॉलर वसूले जाएं। इस विवादास्पद योजना को लागू करने के लिए टि्वटर को भारत में कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। भारतीय कानून स्पष्ट रूप से सत्यापन शुल्क को नकारता हैं। भारतीय कानून के अनुसार कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म हो, वह अपने उपयोगकर्ता की पहचान को सत्यापित करने के लिए बाध्य हैं और उसके लिए शुल्क लेना दायित्व से बचने की कोशिश हैं। क्या हो अगर भारत सरकार आधार के लिए हर महीने 100-200 रूपये वसूलना शुरू कर दें? किसी भी नागरिक की नागरिकता को सत्यापित करना सरकार का दायित्व है और सरकार ऐसा करके बच नहीं सकती। कोई सोशल मीडिया प्लेटफार्म अगर सत्यापन के लिए शुल्क लेता हैं, तो क्या उसका मतलब यह नहीं कि वह असत्यापित खातों को पूरी आजादी देता हैं, मनमानी संदेशों को प्रचारित करने के लिए।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत के नियम और कानून सभी के लिए समान हैं। प्लेटफॉर्म का मालिक कितना भी बड़ा या ताकतवर हो, उसे भारतीय कानून कायदों का पालन करना ही होगा। दो वर्षों से टि्वटर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ गलत सूचना देने वाले लाखों ट्वीट प्रकाशित हुए हैं। भारत सरकार ने उस तरह के खातों को बंद करने के लिए कहा है और कहा है कि यह गलत सूचना फैलाने के लिए महामारी की तरह कार्य कर रहे हैं। अत: इन्हें हटाना चाहिए। टि्वटर ने भारत सरकार के निर्देशों के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की हैं। लगातार ऐसे आरोप लगते रहे है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लोग टि्वटर का उपयोग मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं और वे इसके लिए तथ्यों को हेरफेर करके भी दिखाते हैं।

एलन मस्क के बहुत से व्यापारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत सरकार बाधक बनी हुई हैं। इसलिए इस तरह की संभावना भी व्यक्त की जाती हैं कि एलन मस्क टि्वटर का उपयोग अपने राजनैतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए करेंगे। एलन स्पेसएक्स कंपनी के माध्यम से अपने स्टार लिंक उपग्रहों को ब्रॉडबैंड से लांच करने के लिए लायसेंस मांग चुके हैं। वे चाहते हैं कि अंतरिक्ष से ब्रांडबैंड सेवा प्रदान की जा सकें। मस्क के इस सपने में भारत सरकार के बहुत से कायदे कानून बाधा बने हुए हैं। मस्क की इलेक्ट्रिक कार टेस्ला भी भारत के बाजार में उतरने के लिए तैयार हैं, लेकिन जिस तरह की छूट मस्क को चाहिए भारत सरकार वह नहीं दे रही। क्योंकि उससे भारतीय कार उद्योग को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

विज्ञापनदाताओं को एलन मस्क ने लिखा था कि टि्वटर खरीदने की जरूरत इसलिए पड़ी कि सभ्यता के भविष्य के लिए एक सामान्य डिजिटल स्पेस बहुत जरूरी हैं, जहां अलग-अलग विचारधाराओं और मान्यताओं के लोग स्वस्थ तरीके से खुलकर अपनी बात कह सकें। वर्तमान में यह बहुत बड़ा खतरा है कि सोशल मीडिया खुद दो धड़ों में बंट गया हैं और ये दोनों धड़ें अतिवादी विचार व्यक्त करते हैं। ये विचार इतने अतिवादी हैं कि इन्हें विचार के बजाए घृणा फैलाने का कारोबार कहा जा सकता हैं। एलन मस्क ने अपने जिन अधिकारियों को काम से हटाया, उनके खिलाफ भी टि्वटर पर हेट स्पीच के आरोप लगातार बढ़ने लगे हैं।

एक तरफ एलन मस्क कहते हैं कि टि्वटर एक फ्री स्पेस हैं, जहां समानता हैं। हर कोई अपने विचार व्यक्त कर सकता हैं। वहीं टि्वटर उपभोक्ता को ब्लू टिक देने और उससे पैसा बनाने जैसी बातें भी करता हैं। दुनिया के कई देशों में टि्वटर प्रतिबंधित हैं। भारत में जहां फ्री स्पीच की आजादी हैं, लोग फ्री स्पीच का उपयोग दूसरे वर्ग के लिए घृणा फैलाने में करते हैं। कई बार यह राज्य द्वारा आयोजित भी होता हैं। टि्वटर की क्रिटिकल कंटेंट पॉलिसी इस बारे में कुछ और कहती हैं और करती कुछ और हैं। क्रिटिकल कंटेंट पॉलिसी पर अमल करने वाले लोग ही इसका दुरूपयोग करने लगे हैं यानी टि्वटर जो नियम बनाता हैं, उस पर खुद ही अमल नहीं करता।

टि्वटर पहले से ही भारत सरकार के साथ अपने संबंधों को लेकर विवादों में रहा हैं। टि्वटर के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे वर्तमान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने में मदद कर रहे हैं, वहीं एक वर्ग ऐसा है, जो लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि टि्वटर खुद हेट स्पीच को बढ़ावा देता हैं, ताकि उसके यूज़र्स की संख्या बढ़ती रहें। अब भारतीय कानून कहता हैं कि हर मंच स्वेच्छा से अपने यूज़र्स के खातों को सत्यापित करें। भारतीय कानून में ऐसे किसी सत्यापन शुल्क की मनाही नहीं हैं, लेकिन कानून के अनुसार समान नजरिया होना यही है कि टि्वटर अपने हर उपभोक्ता को सत्यापित करें। कानूनविदों का कहना है कि इससे बचने के लिए अब टि्वटर यह बात कह सकता हैं कि ब्लू टिक का अर्थ हमारे यूज़र्स की पहचान नहीं, बल्कि उसकी विशिष्ठता को दर्शाता हैं। अगर ऐसा हैं कि टि्वटर पर हजारों मृतक लोगों के अकाउंट कैसे संचालित हो रहे हैं। टि्वटर के पौने दो करोड़ यूज़र्स में से कई लाख यूज़र्स फेक होने की बात कही जाती हैं। टि्वटर का पुराना प्रबंधन ऐसे खातों को बंद करने के लिए लगातार कोशिश करता रहा हैं, लेकिन मस्क के मालिक बनने के बाद टि्वटर में ऐसी कोई गतिविधि नजर नहीं आ रहीं।

यह बात तय है कि मस्क ने टि्वटर को खरीदने के लिए अरबों डॉलर इसलिए खर्च किए हैं कि उनका राजनैतिक प्रभाव बढ़ें और वे उसका उपयोग अपने दूसरे धंधों में कर सकें। घाटे में संचालित होने वाला टि्वटर खुद जब तक मुनाफे का सौदा नहीं बन जाता, तब तक एलन मस्क चाहे जो बातें कहें, वे वहीं करेंगे, जिसमें उनका राजनैतिक और आर्थिक लाभ हों। मस्क की दुकान फ्री स्पीच से ज्यादा तेज नहीं बढ़ेंगी, वह बढ़ेगी हेट स्पीच से। यह बात मस्क भी जानते हैं, इसीलिए उनकी कहनी और करनी में फर्क हैं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।