Flashback: प्राचीन सभ्यताओं का विदेश भ्रमण

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Flashback : प्राचीन सभ्यताओं का विदेश भ्रमण

जीवन की प्रात: के बड़े सपने यदि उसके अपराह्न में भी पूरे होते हैं तो यह एक चरम संतोष की बात है। 2018 की शरद ऋतु में मैंने अपनी बहुत समय से संजोई हुई इच्छा से प्रेरित होकर एक विशेष विदेश यात्रा की योजना बनाई। स्कूल के दिनों से जब मैंने मिस्र (इजिप्ट) के पिरामिडों के बारे में संसार के प्राचीन सात आश्चर्यों में एकमात्र बचे हुए आश्चर्य के रूप में सुना तबसे मैं उन्हें देखने के लिए उत्सुक था। विश्वविद्यालय में इतिहास और साहित्य के छात्र होने से मैं तुर्की (टर्की) और यूनान (ग्रीस) की ओर आकर्षित हुआ। इसी प्रेरणा से मैं इन तीन देशों के भ्रमण पर निकला।

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सबसे पहले, मैं और लक्ष्मी 27 सितंबर, 2018 को काहिरा पहुंचे। हमने गीज़ा के महान पिरामिडों का अवलोकन किया। यह और अन्य पिरामिड मानव द्वारा निर्मित सबसे प्राचीनतम संरचनाएं हैं जो आज भी अस्तित्व में हैं। मिस्र के फ़ैरो ( सम्राट) खुफू ने लगभग 4,600 साल पहले गीज़ा के पिरामिड को एक स्मारक के रूप में बनाया था। इसमें खुफु और रानी के दो कक्ष तथा एक अन्य कक्ष है। खुफ़ु के मंत्री हेमियुनु को इस विशाल पिरामिड का वास्तुकार माना जाता है। यह ग्रेनाइट से बना है तथा बाहरी आवरण चूना पत्थर से ढका है, परंतु यह बाहरी आवरण अब लगभग लुप्तप्राय हो चुका है। इसके वर्गाकार आधार की प्रत्येक भुजा (230.34 मी) बिल्कुल समान हैं। इसकी ऊँचाई ( 138.8 मी) है। इसके शीर्ष से चारों तरफ एक समान ढलान है। उस काल में निर्माताओं को कोणों और मापों का अच्छा ज्ञान था।पिरामिड के आधार की सभी भुजाएं तथा कोण आश्चर्यजनक रूप से समान हैं। पत्थरों को दूर स्थित खदानों में काटा जाता था और नील नदी से नावों द्वारा लाया जाता था। पुली, पहियों और लोहे के औजारों के बिना सटीक योजना और डिजाइन से बने पिरामिड एक चमत्कार तथा संसार के वास्तविक आश्चर्य है। मुझे इसका साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। स्फिंक्स पिरामिड की पृष्ठभूमि में बनाया गया है। प्राचीन फ़ैरो शक्ति और स्वास्थ्य के लिए इसका दर्शन करते थे। स्फिंक्स एक पौराणिक प्राणी है जिसका सिर मनुष्य का और शरीर शेर का है। ग्रीक परंपरा में भी इससे मिलती जुलती परिकल्पना की गई है। गीज़ा का यह महान पौराणिक स्फिंक्स, जिसे आमतौर पर सिर्फ स्फिंक्स के रूप में जाना जाता है, चूना पत्थर की बना एक विशाल मूर्ति है। पिरामिड के निकट पश्चिम से सीधे पूर्व की ओर मुख किये यह मिस्र के नील नदी के पश्चिमी तट पर गीज़ा के पठार पर स्थित है।

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काहिरा अफ़्रीका में होते हुए भी एक एशियाई शहर लगता है। यहाँ का ख़ान अल खलीली बाज़ार बहुत आकर्षक है मिश्र का एक बहुत बड़ा आकर्षण तहरीर चौक के पास स्थित सुन्दर इजिप्शियन म्यूज़ियम है। इस चार मंज़िल के म्यूज़ियम में अति प्राचीन मूर्तियां क्रमबद्ध तरीक़े से रखी है तथा इसमें पेंटिंग और पुराने नक्षे भी है। यहाँ का विशेष आकर्षण पृथक ममी कक्ष है जिसमें पुराने राज परिवार के सदस्यों के पार्थिव शरीर को रसायनों द्वारा सुरक्षित करके बनी ममी बनाकर रखा गया है।

हम मिस्र से तुर्की के सुंदर महानगर इस्तांबुल पहुंचे जो यूरोप और एशिया के बीच एक सेतु के समान है।हमने इस्तांबुल के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया। इस्तांबुल, जो इतिहास में बैजे़न्टियम और कॉन्स्टेंटिनोपल के रूप में जाना जाता था, तुर्की में सबसे अधिक आबादी वाला शहर और देश का आर्थिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र है। इस्तांबुल एक अंतरमहाद्वीपीय शहर है, जो मरमारा सागर और काला सागर के बीच बोस्पोरस जलडमरूमध्य (जो यूरोप और एशिया को अलग करता है) में फैला हुआ है। इसका दो तिहाई भाग यूरोप में स्थित है तथा शहर का वाणिज्यिक और ऐतिहासिक केन्द्र है जबकि इसकी एक तिहाई आबादी एशियाई क्षेत्र में रहती है। इस्तांबुल को पूर्व और पश्चिम के बीच इसी लिए एक पुल के रूप में देखा जाता है। हमने यहाँ के किले, मस्जिदों और हाइया सोफिया के प्रसिद्ध संग्रहालय का भ्रमण किया। हमने एक शाम इस्तांबुल को दो भागों में बाँटने वाले और दो समुद्र को जोड़ने वाले बोस्पोरस में क्रूज से सैर की। क्रूज़ बहुत आरामदायक था तथा अच्छे डिनर के साथ वहाँ से झिलमिलाते किनारो के अनेक चित्र मैंने लिये।

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इस्तांबुल (कॉन्स्टेंटिनोपल) पूर्वी रोमन साम्राज्य अर्थात बैजे़न्टियम साम्राज्य का प्राचीन काल से लेकर मध्य युग के अंत तक केंद्र बिन्दु था। अंततः उस्मान प्रथम ने 1453 ई. में कॉन्स्टेंटिनोपल (इस्तांबुल) पर आधिपत्य कर लिया और ओटोमन साम्राज्य की स्थापना की। आटोमन साम्राज्य को ऐतिहासिक रूप से तुर्की साम्राज्य या केवल तुर्की के रूप में भी जाना जाता है। तुर्की ने 14 वीं से लेकर 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक दक्षिण पूर्वी यूरोप, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के अधिकांश भूभाग को अपने नियंत्रण में कर लिया था।

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मेरा अंतिम गंतव्य ग्रीस था जिसे भारत में यूनान के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन काल में दर्शन , साहित्य और संस्कृति के सभी पहलुओं का स्रोत होने के कारण एक उल्लेखनीय स्थान था। हम ग्रीस की राजधानी एथेंस के विश्व विख्यात एक्रोपोलिस गये जो पुरातत्व महत्व की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। यद्यपि तेरहवीं शताब्दी ईसा पूर्व के कुछ अवशेष यहाँ मौजूद हैं, परन्तु सबसे भव्य अवशेष 427 ईसा पूर्व के शांति और विजय की देवी एथेना और ज़ीउस के भाई पोसीडॉन के मंदिर के हैं। दोनों ने एथेंस के वर्चस्व के लिए लड़ाई लड़ी थी। देवी एथेना जीती और उसने ऑलिव पत्तों के चिन्ह के साथ शांति की स्थापना की।फिलोपापोस का स्मारक एक दर्शनीय स्थल है। प्लाका क्षेत्र के फ़ाइनल घूमने के लिए बहुत अच्छा है जहाँ अनेक प्रकार के विरासत के भवन बने हुए।

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ग्रीस को पश्चिमी सभ्यता का पालना माना जाता है।लोकतंत्र, पश्चिमी दर्शन, पश्चिमी साहित्य, इतिहास लेखन, राजनीति विज्ञान, प्रमुख वैज्ञानिक और गणितीय सिद्धांत, और पश्चिमी नाटक तथा ओलंपिक खेलों की जन्म स्थली होने का गौरव ग्रीस को प्राप्त है। आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से, यूनानियों को विभिन्न स्वतंत्र नगर-राज्यों में संगठित किया गया था, जिन्हें पोलिस के नाम से जाना जाता था। ग्रीस पूरे भूमध्य क्षेत्र और काला सागर में फैला हुआ था। मैसेडेनिया के फिलिप ने चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में अधिकांश ग्रीक मुख्य भूमि को एकजुट किया। उसके बेटे सिकंदर महान ने बहुत तीव्र गति से प्राचीन दुनिया पर विजय प्राप्त की और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र से ग्रीक संस्कृति और विज्ञान को भारत तक फैलाया। ग्रीस पर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रोम द्वारा कब्जा कर लिया गया और वह रोमन साम्राज्य और उसके बाद बैजे़न्टियम साम्राज्य का एक अभिन्न अंग बन गया। ग्रीस कुछ समय के लिए ओटोमन साम्राज्य का भाग बन गया।आज ग्रीस स्वतंत्र प्रजातांत्रिक देश है।ग्रीस के प्राचीन दर्शन के कारण मुझे देश के प्रति बहुत श्रद्धा उत्पन्न हुई।

ग्रीस से भारत लौटते समय हम यूक्रेन की राजधानी कीव के एयरपोर्ट में जहाज़ बदलने के लिए रात भर रूके। तब मुझे ये पता नहीं था कि कुछ वर्षों बाद रूस यूक्रेन युद्ध में यह स्थान खंडहर के रूप में परिवर्तित हो जाएगा।
इन तीन प्राचीन सभ्यताओं की यह यात्रा मेरी सर्वाधिक संतोषजनक विदेश यात्राओं में से एक है।