‘नायक’ बने शिवराज का ये अंदाज चौंकाने वाला!
– हेमंत पाल की खास रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में इन दिनों बीजेपी पूरी तरह चुनावी रंग में है। पिछले विधानसभा चुनाव में मात खा चुकी पार्टी अब येन-केन-प्रकारेण अगला चुनाव जीतने की जुगत में है। पार्टी भले ही अभी चुनावी मुहिम पर नहीं लगी हो, पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जरूर मोर्चा संभाल लिया। तीन महीने में जनता को उनका रूप बदला हुआ नजर आ रहा है। वे अब पहले वाले शिवराज नहीं रहे! वे मंच पर भी कुर्सी पर नहीं बैठते, बल्कि माइक हाथ में लेकर अफसरों को चमकाते दिखते हैं। जनता इनके इस बदले रूप से चमत्कृत है। क्योंकि, पहली बार वे उस शिवराज से मुखातिब हैं, जो सीधे कोड़ा फटकारते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस रौद्र रूप से अफसरों में घबराहट हैं, पर जनता खुश हैं।
उन्होंने सरकार के सिस्टम को सुधारने की जैसे मुहिम छेड़ दी। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने दस-बारह अधिकारियों और कर्मचारियों को मंच से ही सस्पेंड कर दिया। शनिवार को शिवराज सिंह औचक निरीक्षण के लिए डिंडौरी पहुंच गए। वहां बांध निर्माण के काम में भ्रष्टाचार के आरोप में तीन बड़े अफसरों को सस्पेंड किया। इसके पहले बड़वानी और बैतूल जिले में कई को मंच से ही निलंबित करने का आदेश जारी किया। मुख्यमंत्री सीधे जनता के बीच जा रहे हैं। वे किसानों, ग्रामीणों की समस्या सीधे सुन रहे हैं। मंच से ही मौजूद जनता से सवाल करते हैं, जवाब लेते हैं और कार्रवाई के निर्देश देते हैं। लोगों ने ऐसा कभी पहले नहीं देखा! वे जनता के मुख्यमंत्री बनकर अफसरों को सुधरने की नसीहत देने के साथ लापरवाह अफसरों की क्लास भी लेते हैं।
अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में जरूरी था कि जनता और सरकार के बीच की दूरी को पाटा जाए। यही कारण है कि शिवराज पूरी तरह एक्शन मोड में आ गए। क्योंकि, कुछ तो ऐसा करना ही था कि लोगों को कुछ नया लगे। शिवराज सिंह बहुत सारी घोषणाएं करते रहते हैं। कुछ पूरी होती है, कुछ लोग भी भूल जाते हैं और सरकार भी! ऐसे में जनता को आकर्षित करने का सबसे आसान तरीका था कि उन्हें मंच से ही सरकार के एक्शन दिखाए जाएं! अफसरों और कर्मचारियों को बिना किसी जांच-पड़ताल के सस्पेंड करने के आदेशों से गांव की जनता तालियां पीटने लगती है। उन्हें लगता है कि मुख्यमंत्री ने सही किया।
मुख्यमंत्री की घोषणा के तत्काल बाद संबंधित अधिकारी और कर्मचारी के निलंबन आदेश भी उसी दिन जारी हो रहे हैं। लेकिन, बाद में कोई शायद ही पता करता होगा कि सस्पेंड हुए अधिकारियों और कर्मचारियों का हुआ क्या!
मुख्यमंत्री अपने भाषणों में सिर्फ अधिकारियों और कर्मचारियों को ही नहीं धमकाते, बल्कि गुंडे-माफियाओं को भी चेतावनी देते हैं। शिवराज सिंह आजकल नया मध्य प्रदेश बनाने की भी घोषणा कर रहे हैं। अपने खास अंदाज में ये भी कहते हैं कि ‘प्रदेश में अब कमाने वाला खाएगा, लूटने वाला जेल जाएगा।’ शिवराज के इस बदले रूप से प्रशासनिक महकमों में हड़कंप के हालात हैं। अधिकारियों के खिलाफ एक्शन के फैसलों पर लोग जितना खुश होते हैं, उससे मुख्यमंत्री का उत्साह बढ़ रहा है। हर मंच से मुख्यमंत्री एक ही बात दोहराते हैं कि अगर जनता को कोई दिक्कत हुई तो मामा उसको छोड़ेगा नहीं। वे सीधे उन्हें शिकायत करते हुए जनता का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं। ये गलत नहीं है, पर वास्तव में ये शिवराज का बदला रूप है।
शिवराज सिंह चौहान इन दिनों सरकारी योजनाओं समेत जनता से सभी समस्याओं को देखने के लिए हेलीकॉप्टर से औचक दौरा कर रहे हैं। कहा जा रहा कि स्थानीय प्रशासन को भी अंतिम समय में मुख्यमंत्री के आने की जानकारी दी जाती है। उनकी इस एक्शन वाली भूमिका से सरकारी अमले को समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए! क्योंकि, अब मुख्यमंत्री किसी भी शिकायत पर कार्रवाई कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों एक मंच से साफ घोषणा भी की कि जनता को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, अगर जनता को कोई दिक्कत हुई तो मामा दिक्कत देने वाले को छोड़ेगा नहीं।
मुख्यमंत्री का ये अंदाज पूरी तरह चुनावी है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि, ये मुख्यमंत्री का पहला कार्यकाल नहीं है। वे 18 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। क्या कारण है कि अभी तक उनका ये अंदाज कभी नजर नहीं आया! उनके इतने लम्बे कार्यकाल के बाद भी यदि अफसर-कर्मचारी लापरवाह हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन है! निश्चित रूप से इसके लिए सरकार के अलावा कोई नहीं है। आज जो शिवराज का अंदाज लोग देख रहे हैं, वो वास्तव में ओरिजनल है नहीं, इस पर शंका करने वाले भी कम नहीं है।
मुख्यमंत्री का ये अंदाज पहली बार सितम्बर में लोगों ने देखा था। उन्होंने आदिवासी छात्रों से फोन पर दुर्व्यवहार करने वाले झाबुआ के एसपी को तत्काल हटाया था। बताते हैं कि सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें एसपी अरविंद तिवारी छात्रों से अशोभनीय व्यवहार करते सुनाई दे रहे थे। मामला संज्ञान में आते ही मुख्यमंत्री ने मामले की रिपोर्ट मांगी और उन्हें निलंबित कर दिया। इन छात्रों ने अपनी सुरक्षा को लेकर एसपी से गुहार लगाई थी। लेकिन, एसपी ने उन्हें सुरक्षा देने के बजाए उन्हें फटकार दिया था। इस घटना के अगले दिन कलेक्टर सोमेश मिश्रा को भी हटा दिया गया। लेकिन, इसके बाद मुख्यमंत्री के एक्शन की जो तारीफ हुई उसने उन्हें उत्साहित कर दिया। उन्हें लगा कि जनता का दिल जीतने का ये सबसे सबसे अच्छा तरीका है।
शिवराज सिंह की तुलना अनिल कपूर की फिल्म नायक से की जा रही है। इस फिल्म में अनिल कपूर को एक दिन का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलता है और वो सब कुछ बदल देता है। उसका अंदाज वैसा ही होता है, जो आज कल शिवराज का है। वे भी मंच से अधिकारियों को निलंबित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गांव के लोगों और किसानों से सीधे मिलते हैं, उनकी शिकायत सीधे सुनते हैं और अफसरों को सस्पेंड करने में देर नहीं करते! शिवराज इन दिनों अपनी जननेता की छवि बनाना चाहते हैं। वे पूरी तरह चुनाव के मूड में आ गए और चुनाव जीतने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते! लेकिन, कहीं ऐसा न हो कि छोटे अफसरों और कर्मचारियों को चमकाने का उनका अंदाज उनके गले न पड़ जाए! क्योंकि, चुनाव में इन्हीं लोगों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।