Flashback: मैं और कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय जी को मैंने सबसे पहले 1994 के शीतकाल में तब देखा जब मेरी पुलिस फ़ोर्स उनके ऊपर डंडे बरसा रही थी। मैंने पुलिस बल को रोका और SP रूस्तम सिंह ने उन्हें पुलिस हिरासत में घटनास्थल से दूर भिजवा दिया। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के हैंडलूम एवं खादी वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंदौर के राजवाड़ा के पास कृष्ण पुरा छत्री पर एक फ़ैशन शो का आयोजन किया गया था। इसमें फ़ैशन शो के लिए कैटवॉक बनाया गया जो छत्री के बरामदे से जुड़ा था। इसे छत्री और शहर का सांस्कृतिक अपमान मानते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने इस फ़ैशन शो को आयोजित नहीं होने देने की धमकी दी।
मैं कुछ दिनों पूर्व ही गृह विभाग, मंत्रालय से अपर सचिव के पद से स्थानान्तरित होकर DIG इंदौर के पद पर पदस्थ हुआ था। मेरे पूर्व अधिकारी गृह सचिव श्री विजय सिंह ने फ़ोन पर मुझसे फ़ैशन शो कहीं और आयोजित करने के लिये कहा। इस आयोजन के लिए कमिश्नर श्री ए के सिंह द्वारा IG, DIG, SP तथा कलेक्टर की बैठक बुलायी गई। इसमें मैंने श्री विजय सिंह का नाम लिए बिना उनकी सलाह को मीटिंग में रखा। मीटिंग में कार्यक्रम यथावत रखा गया जो संभवतः मुख्यमंत्री की मंशा थी।
मीटिंग में एक बार निर्णय हो जाने के बाद इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मैंने SP श्री रुस्तम सिंह के साथ पुख़्ता प्रबंध करने की योजना बनायी।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध चित्रकार एम एफ हुसैन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम निर्विघ्न प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम प्रारंभ होने के लगभग आधे घंटे बाद कोट पेंट पहने एक युवक कैटवॉक पर चढ़कर नृत्य करता हुआ दिखाई दिया जिसे लोगों ने कार्यक्रम का ही भाग समझा। लेकिन जब फ़ैशन शो की कलाकार भाग कर छत्री की तरफ़ जाने लगी तब पता चला कि वह युवक भेष बदले कैलाश विजयवर्गीय है। निकट तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें उतार कर मारना प्रारंभ कर दिया। मैंने तत्काल इसको रुकवाया और आदेश देकर उन्हें हिरासत में लेकर घटना स्थल से दूर पहुँचवा दिया। फ़ैशन शो पुन: यथावत जारी हो गया।
इस घटना के समय कैलाश विजयवर्गीय इन्दौर क्रमांक दो से दूसरी बार विधायक बन चुके थे। इसके पूर्व वे नगर निगम में पार्षद और स्थायी समिति के सदस्य भी रह चुके थे। संगठन में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा और विद्यार्थी परिषद के प्रादेशिक पदाधिकारी रह चुके थे।
उपरोक्त घटना के कुछ महीनों बाद ही कैलाश विजयवर्गीय ने उनके विधानसभा के श्रमिक क्षेत्र में नगर निगम का पानी कई दिनों से न आने के कारण AB रोड पर चक्काजाम किया। तत्कालीन एडिशनल SP श्री प्रमोद फलणीकर ने नगर निगम कमिशनर श्री तिवारी से बात करके चक्का जाम स्थल पर जाकर कैलाश विजयवर्गीय को दो दिन के अंदर पानी आ जाने का आश्वासन दिया। उनके इस आश्वासन पर चक्का जाम हट गया। इसके पाँच दिन बाद भी पानी न आने पर ही कैलाश विजयवर्गीय अपने समर्थकों के साथ MG रोड के निकट स्थित नगर निगम कमिश्नर श्री तिवारी के बंगले के सामने प्रदर्शन करने पहुँच गए। एडिशनल SP फलणीकर घटना स्थल पर पहुँचे। उन्हें स्वयं इस बात का दुख था कि उनका आश्वासन पूरा नहीं हुआ। लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चले जाने के लिए कहा। इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने एक जूता उठाकर उनसे कहा कि मैं नगर निगम के लोगों को जूते की माला पहनाऊँगा। एक सांध्य कालीन समाचार पत्र के फोटोग्राफर ने इसकी फ़ोटो लेकर ऐसा आभास दिया जैसे यह जूता एडिशनल SP को दिखाया जा रहा है।
यह घटना केवल इसी कारण से बहुचर्चित भी रही। बाद में एडिशनल SP और कैलाश विजयवर्गीय दोनों ने इसका खंडन किया जो वास्तविकता थी।
एक दिन कैलाश विजयवर्गीय मेरे कार्यालय में आए और उन्होंने मुझसे एक आरक्षक को थाना सागौर, जिला धार से इंदौर पुलिस लाइन स्थानांतरित करने का निवेदन किया और कहा कि यह बहुत आवश्यक है। मैं उस समय कोई स्थानांतर नहीं कर रहा था इसलिए मैंने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कई बर मुझे दूरभाष पर उसका स्थानांतरण करने का निवेदन किया। कुछ दिनों बाद वह पुनः मेरे कार्यालय में आए और उन्होंने स्थानांतर का वास्तविक कारण बताते हुए कहा कि वह आरक्षक उनकी भजन मंडली का विशेष कलाकार है। मैंने आरक्षक का स्थानांतरण कर दिया। उल्लेखनीय है कि कैलाश विजयवर्गीय भजन गायक भी है।
1997 में DIG इंदौर से मेरा स्थानांतरण हो गया। 2001 नवंबर में मैं IG ग्वालियर के पद से पुनः इंदौर APTC में आ गया। उस समय कैलाश विजयवर्गीय इन्दौर के महापौर थे और राज्य सरकार दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में चल रही थी। इस कारण पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा महापौर की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर महापौर के रूप में विदेश के अनेक देशों में बुलाया जाता रहा। 2002 में इंदौर को ग्रीन सिटी का भी पुरस्कार मिला।
2004 के सिंहस्थ में मुझे राज्य शासन द्वारा समस्त व्यवस्था का सुरक्षा प्रभारी नियुक्त किया गया था। उस समय कैलाश विजयवर्गीय राज्य सरकार में मंत्री बन चुके थे तथा मुख्यमंत्री उमा भारती ने उन्हें सिंहस्थ की व्यवस्थाओं को देखने के लिए कहा। उज्जैन सर्किट हाउस में उनके साथ कई बार सिंहस्थ की व्यवस्थाओं पर चर्चा हुई। उनके द्वारा कई बार महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए। धीरे धीरे उनसे अनौपचारिक संबंध स्थापित हो गए।
मैं राजनेताओं से तब तक नहीं मिलता था जब तक प्रशासनिक रूप से यह आवश्यक न हो। फिर भी एक बार जब वे पीडब्ल्यूडी मंत्री थे तब मैं उनके सचिव मोहम्मद सुलेमान के साथ उनसे मिला। यह भेंट बहुत आत्मीय रही।
2008 के चुनाव में उन्होंने 18 वर्ष तक इंदौर क्रमांक दो से विधायक रहने के बाद अपनी सीट अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी रमेश मेंदोला को सौंप दी और स्वयं महू की कठिन सीट से उम्मीदवार हो गए।उस समय मैं ग्वालियर में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर था। एक रात अचानक उनका मोबाइल पर फ़ोन आया। उन्होंने पूछा कि महू में मेरी स्थिति कैसी है और मुझे क्या ध्यान रखना चाहिए। जब मैंने उनसे कहा कि मैं इस संबंध में उनको क्या बता सकता तो उन्होंने कहा, नहीं, आपको इंदौर क्षेत्र की बहुत बारीक जानकारी है। उनके फ़ोन आते रहे और एक मर्यादा में मैं उन्हें जो बता सकता था, बताता रहा।
2014 में जब मुझे सेवानिवृत्त हुए दो वर्ष हो चुके थे, तब मेरे एक परिचित संबंधी मेरे पास आए और मुझसे तीव्र आग्रह किया कि उनको उद्यान विभाग से मंडी में डेपुटेशन पर भेजने के लिए कैलाश विजयवर्गीय जी से बोलूँ। उनके बहुत आग्रह पर मैंने कैलाश विजयवर्गीय जी को फ़ोन पर निवेदन किया। उस समय वे कार में लाल परेड ग्राउंड किसी कार्यक्रम की तैयारियों का पर्यवेक्षण करने जा रहे थे। उन्होंने मुझे उनके साथ चल रहे PA को पूरा विवरण लिखवाने के लिए कहा और अपना फोन उसे दे दिया। अगले ही दिन आदेश जारी हो गया।
फ़रवरी 2020 में कैलाश विजयवर्गीय जी का फ़ोन मुझे आया और उन्होंने अपने छोटे पुत्र कल्पेश के विवाह में आने का आमंत्रण दिया। इंदौर बायपास पर स्थित भगवती ग्रैंड में विवाह का आयोजन था। कार्यक्रम में बहुत भारी भीड़ उमड़ कर आयी थी। बहुत कठिनाई से मैं और लक्ष्मी मंच तक पहुँचे। बड़े मंच पर भी बहुत भीड़ थी। सौभाग्यवश कैलाश विजयवर्गीय जी की निगाह मुझ पर पड़ गई और वे लोगों को हटाते हुए मेरे पास आए और हमे ले जाकर वर और वधू को शुभकामनाएँ दिलवाई। अभी कुछ ही दिनों पहले इंदौर में स्वर्गीय विष्णु प्रसाद शुक्ला, बड़े भैया की मृत्यु की शोक सभा में उनसे भेंट हो गई और उस अवसर पर उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरी सोशल मीडिया पर लिखी हुई चीज़ों को ध्यान से पढ़ते हैं। उनके चेहरे के भाव से स्पष्ट था कि वे जो कह रहे थे वह वास्तविकता में सही था।