SDM Powers Curtailed: अब करप्ट सरपंचों पर एक्शन लेने का अधिकार CEO को
भोपाल: प्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने एसडीएम को पंचायतों पर कार्यवाही के मामले में पॉवरलेस कर दिया है। इसको लेकर जारी आदेश में सरकार ने ग्राम पंचायतों में सरपंच, सचिव पर कार्यवाही या अन्य मामलों में एक्शन के लिए एसडीएम (राजस्व अनुविभागीय अधिकारी) के पॉवर कट करते हुए यह अधिकार सीईओ जिला पंचायत को सौंप दिए हैं। इसके बाद अब सीईओ जिला पंचायत ग्राम पंचायतों पर पूरी तरह निगरानी रखने का काम करेंगे और यहां होने वाले करप्शन और गबन के मामलों में पद से पृथक करने और वसूली करने के मामले में सरपंच पर कार्यवाही कर सकेंगे।
अब तक ग्राम पंचायतों में होने वाली अनियमितता पर सरपंचों को पद से हटाने के लिए धारा 40 में राजस्व अनुविभागीय अधिकारियों को पॉवर थे कि वे सरपंच को सुनवाई का मौका देने के बाद पद से हटा सकेंगे और पद रिक्त घोषित कर सकेंगे। साथ ही जिन पंचायतों में सरपंचों ने शासकीय धन का दुरुपयोग और गबन किया है, ऐसे मामलों में धारा 92 में केस दर्ज कर सुनवाई के बाद वसूली का अधिकार भी एसडीएम को था। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने गजट नोटिफिकेशन कर अब यह अधिकार राजस्व अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) से छीन लिया है। अब सीईओ जिला पंचायत इस तरह के मामलों में सुनवाई के बाद कार्यवाही कर सकेंगे। साथ ही इनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के मामले में भी सीईओ ही कार्यवाही कर सकेंगे।
इसको लेकर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 30 नवम्बर को किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ग्राम पंचायत के मामले में अब सीईओ जिला पंचायत कार्यवाही के लिए अधिकृत होंगे। इसमें राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को विलोपित कर दिया गया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि जनपद पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पदों के मामले में कलेक्टर या अपर कलेक्टर को इसका अधिकार होगा। इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष से संबंधित मामलों में कार्यवाही के लिए संभागीय आयुक्त या अपर संभागायुक्त कार्यवाही कर सकेंगे। सूत्रों ने बताया कि कलेक्टर और संभागायुक्तों को दिए गए अधिकारों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गौरतलब है कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के रिकार्ड में प्रदेश में धारा 40 के कुल पेंडिंग केस की संख्या 456 और धारा 92 में पेंडिंग मामलों की संख्या 2668 है। अब इन मामलों के साथ नए केस दर्ज होने पर सीईओ जिला पंचायत कार्यवाही करेंगे।