Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ और डॉ गोविंद सिंह के बीच कुछ तो समस्या है

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ और डॉ गोविंद सिंह के बीच कुछ तो समस्या है

इन दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के बीच कुछ तो समस्या नजर आ रही है। क्योंकि, जिस मुद्दे पर कमलनाथ या उनका संगठन जो बात कहते हैं, दूसरे दिन डॉ गोविंद सिंह उसके अलग बयानबाजी करते हैं। हाल ही में 3 ऐसे मामले सामने आए जब कांग्रेस (या कमलनाथ) और गोविंद सिंह की बातों में मतभेद दिखाई दिया या पार्टी की रीति-नीति से वो मेल खाता नहीं लगा।

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पहला मामला राजा पटेरिया मुद्दे पर था। उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ गलत बयानी की, पार्टी ने उनके बयान से पल्ला झाड़ा और उन्हें तीन दिन में जवाब देने का नोटिस जारी किया। लेकिन, दूसरे दिन गोविंद सिंह ने इस मामले पर राजा पटेरिया का समर्थन किया और पार्टी से यह सवाल किया कि जब राजा पटेरिया जेल में हैं, उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, तो वे 3 दिन में अपना पक्ष कैसे रखेंगे। दूसरा मामला शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ के एक गीत को लेकर उठे बवाल पर था। सरकार मंत्री, सांसद और भाजपा के नेताओं ने इस फिल्म के एक गाने का विरोध किया। कांग्रेस ने इस पर अपना कोई पक्ष नहीं रखा, लेकिन गोविंद सिंह ने भाजपा के समर्थन में हाथ खड़ा करके इस फिल्म के गाने को अश्लील बताया, जिसकी कोई जरुरत नहीं थी।

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तीसरा मामला भाजपा के एक मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को लेकर था। एक कथित महिला पत्रकार ने उनके क्षेत्र की एक होटल में जाकर उनके बारे में अनर्गल बातें की, जिसका वीडियो वायरल हुआ। कांग्रेस ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजवर्धन सिंह को घेरने की कोशिश की। लेकिन, उससे पहले गोविंद सिंह ने राजवर्धन सिंह का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले की जांच होना चाहिए। एक मंत्री पर इस तरह के आरोप लगाए जाना गलत है। उन्होंने ऐसा क्यों किया। इसका एक कारण तो यह समझ आया कि उस महिला के साथ होटल में आया युवक एक कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री का पुत्र है। हो सकता है यही कारण हो कि डॉ गोविंद सिंह ने उसे बचाने की गरज से कांग्रेस के विपरीत बयानबाजी की।

IPS कैलाश मकवाना का दार्शनिक नजरिया

1988 बैच के IPS अधिकारी कैलाश मकवाना पिछले कुछ दिनों काफी चर्चा में रहे। उनकी ईमानदारी और सजगता की हर कोई तारीफ करता है। लेकिन, लोकायुक्त में डीजी की कुर्सी से उन्हें 6 महीने में बिदा होना पड़ा। इसलिए कि उनके हाथ कई बड़े अधिकारियों की गर्दन तक पहुँचने लगे थे। इससे सरकार बेचैन हो गई और मकवाना को हटा दिया गया। बताते हैं कि उन्होंने पुरानी फाइलों की धूल झाड़ने के साथ एक ड्रीम प्रोजेक्ट में हुई कथित गड़बड़ी में हाथ डाल दिया था।
अब कैलाश मकवाना लोकायुक्त में नहीं है। सरकारी भाषा में कहें तो उन्हें लूपलाइन में भेज दिया गया। लेकिन, जब काम से उन्हें ज्यादा समय मिलने लगा तो वे दार्शनिक या यूं कहें आध्यात्मिक हो गए। सोशल मीडिया पर उनके जो कमेंट दिखाई दे रहे हैं, वे जीवन दर्शन और आध्यात्म से जुड़े हैं।

– प्रभु जी सभी को रोटी, कपड़ा और मकान जरूर देवें … इच्छाओं और भौतिक वस्तुओं का कोई अंत नहीं है!
– दिसंबर की ठंडक … गुनगुनी धूप..सिके हुए हरे चने और सुकून के पल! (इसके साथ उन्होंने पत्नी के साथ सिके चने खाते फोटो भी डाला है)
– Sometimes the right path is not the easiest one
– Do what is right : Not what is easy, Nor what is popular
सोशल मीडिया पर उन्हें उनका पसंदीदा गीत गाते हुए भी सुना जा सकता है। गाना है ‘कल की हंसी मुलाकात के लिए, आज रात के लिए हम तुम जुदा हो जाते हैं, अच्छा चलो सो जाते हैं)

देखिए कैलाश मकवाना के आध्यात्मिक और दार्शनिक ट्वीट

 

IAS राजीव शर्मा क्या नई पारी खेलेंगे !

वरिष्ठ IAS अधिकारी शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा बाकी अफसरों से अलग हैं। क्योंकि, वे काफी प्रयोगधर्मी हैं और नवाचार करने में कोताही नहीं बरतते। उन्होंने अपने प्रशासकीय कार्यकाल में बहुत कुछ ऐसा किया जिसकी जनता और सरकार दोनों ने सराहना की। उनके कई प्रयोगों को सरकार ने भी अपनाया। उन्होंने एक संवेदना अभियान चलाया, जिसके सुखद परिणाम सामने आए थे। कोरोना काल के बाद मां-बाप खोने वाले बच्चों के साथ उन्होंने होली मनाकर भी एक नया संदेश दिया था। इसके अलावा वे एक बेस्ट सेलर लेखक भी हैं। आध्यात्मिक सहित अन्य विषयों पर लिखी उनकी कई किताबें लोकप्रिय हुई हैं। आशय यह कि राजीव शर्मा कुछ अलग हैं।

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लेकिन, बताते हैं कि इन दिनों राजीव शर्मा का मन कुछ अलग दिशा में सोच रहा है। हाल ही में भिंड जिले में उन्होंने अपने गृह ग्राम में बड़े पैमाने पर भगवत गीता का पाठ करवाया और पूरे इलाके में वे अपने पुराने दोस्तों, परिचितों और वेल विशर्स से अनौपचारिक रूप से मिले। इससे प्रदेश के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में यह चर्चा चल पड़ी है कि कहीं वे प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति में जाने, पूर्णकालिक रूप से किताबें लिखने और समाजसेवा का मन तो नहीं बना रहें है। और, इसलिए कि वे प्रशासनिक सेवा से ऊब गए हैं और कुछ नया करना चाहते हैं। लेकिन वे ये कब करेंगे और करेंगे भी या नहीं, अभी ये कुछ भी तय नहीं है।उनकी नई पारी को लेकर फिलहाल कयास ही लगाए जा सकते हैं!

एक ही जिले के कांग्रेस और भाजपा के दो बड़े नेताओं पर एक जैसी मुसीबत!

धार जिले के कांग्रेस और भाजपा के दो बड़े नेता इन दिनों एक जैसी मुसीबत में हैं। इनमें से एक विधायक मंत्री है और एक पूर्व मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं। पूर्व मंत्री गंधवानी के कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार पर उन्हीं की पत्नी ने कई तरह के आरोप लगाए। इसके अलावा उनके यहां काम करने वाली एक महिला ने भी यौन शोषण की शिकायत दर्ज की। जबकि, बदनावर से भाजपा के विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी एक ऐसी ही मुसीबत में हैं। उन पर भोपाल की एक कथित महिला पत्रकार ने कई ऐसे आरोप लगाए जो उनका चरित्र हनन करते हैं। दिलचस्प बात ये कि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पहले कांग्रेस में थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए। जबकि, विधायक उमंग सिंगार कांग्रेस में रह गए वे भी सिंधिया गुट के माने जाते रहे हैं, लेकिन वे कांग्रेस से नहीं गए। एक ही जिले के दो विधायकों पर एक जैसे आरोप वास्तव में चिंता का विषय तो हैं।

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ताजा मामला राजवर्धन का है और वे मंत्री हैं इसलिए गरमाया भी ज्यादा। कांग्रेस ने इसे झेल लिया और बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कई सवाल दाग दिये। पर, अभी राजवर्धन की तरफ से सवालों का कोई प्रॉपर जवाब नहीं आया। जो आया वो उन्हें सवालों के घेरे से बाहर भी नहीं निकालता। भाजपा और सरकार दोनों ही इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक नहीं हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की चर्चा

देश की राजधानी दिल्ली के सत्ता के गलियारों में इन दिनों मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। सुना जा रहा है कि तीन केंद्रीय मंत्रियों – अश्विनी वैष्णव, पियूष गोयल और जी किशन रेड्डी – के तीन – तीन मंत्रालयों के भार में कटौती की जा सकती है । यह भी बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल अब चल रहे संसद सत्र के बाद ही किया जा सकता है।

गलियारों में संभावित नये चेहरों के नामों को लेकर भी अटकलबाजी जारी है। फिलहाल जिस नाम की चर्चा जोरों पर है उनमें सबसे आगे बिप्लव देव हैं। वे त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनके अलावा राजस्थान और तेलंगाना से भी एक – एक नेता शामिल किया जा सकता है। लेकिन फेरबदल और विस्तार की चाबी प्रधानमंत्री के पास है और वो कब इस पिटारे को खोलते हैं, इस पर सबकी नजर है।

आखिर अगनानी को VRS लेना पड़ा

आखिरकार मध्य प्रदेश काडर के IAS अधिकारी मनोहर अगनानी ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला कर ही लिया। उनका VRS 6 जनवरी 2023 से प्रभावी होगा। वे पिछले करीब एक साल से अपने होम केडर मध्यप्रदेश में वापसी की कोशिश कर रहे थे जब सफल नहीं हो पाए तो अंततः उन्हें VRS लेना पड़ा। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी अगनानी केन्द्र ने स्वास्थ्य मंत्रालय मे अपर सचिव हैं।