महाकाल मंदिर परिसर में स्थापित होगा रजत जल स्तंभ, संघ प्रमुख डॉ. भागवत करेंगे अनावरण

सुजलाम जल महोत्सव के अंतर्गत देश की 314 नदियों के पवित्र जल से होगा बाबा महाकाल का अभिषेक

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Mahakal Temple

महाकाल मंदिर परिसर में स्थापित होगा रजत जल स्तंभ, संघ प्रमुख डॉ. भागवत करेंगे अनावरण

उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट

उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चल रहे सुजलाम जल महोत्सव के अंतर्गत देश की 314 पवित्र नदियों के जल से भगवान महाकाल का महाअभिषेक किया जाएगा। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के वृहद स्तर पर आयोजित इस कार्यक्रम में 27 से 29 दिसंबर तक देशभर के 800 जलविद् जल संरक्षण को लेकर उज्जैन के इंदौर रोड स्थित मालगुडी डेज परिसर में मंथन करेंगे । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत 28 दिसंबर को इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे । संघ प्रमुख इस सम्मेलन में जल की पवित्रता पर भारतीय विमर्श तैयार करने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ने पर व्याख्यान देंगे ।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान एवं मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में सुजलाम जल महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है ।भगवान शिव को जल प्रिय है इसलिए सुजलाम जल महोत्सव का आयोजन पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में हो रहा है। देश में पांच स्थानों पर पंचतत्व पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश व वायु पर केंद्रीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इनमें से जल तत्व पर आधारित कार्यक्रम उज्जैन के महाकाल मंदिर में किया जा रहा है। 5 दिसंबर से शुरू हुए इस आयोजन का समापन 29 दिसंबर को होगा । इसके अंतर्गत ही महाकाल मंदिर में चतुर्वेद पारायण किया जा रहा है। देश के प्रकाण्ड वेदाचार्य प्रतिदिन दो सत्रों में वेदपाठ कर रहे हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत मंदिर परिसर स्थिति मार्बल के चबूतरे पर विशेष रूप से बनवाया गया रजत मंडित जल स्तंभ स्थापित किया जाएगा । जल स्तंभ का अनावरण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत, के कर कमलों द्वारा किया जायेगा ।

मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री विभाष उपाध्याय ने बताया सुजलाम जल महोत्सव के श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों में संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के साथ कई मंत्रिगण, संतगण एवं विशिष्ठ अतिथिगण शामिल होंगे ।

उज्जैन में होने वाले इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रकृति के पांच बुनियादी तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश की शुद्धता को सुरक्षित करने की अनूठी भारतीय अवधारणा को प्रस्तुत करना है । आकाश और वायु पर पहले दो सम्मेलन क्रमश: देहरादून और भुवनेश्वर में आयोजित किए जा चुके हैं तथा काशी में 8 और 9 जनवरी को कृषि पर केंद्रित पृथ्वी पर सम्मेलन होना प्रस्तावित है, जबकि अग्नि पर एक कार्यक्रम का आयोजन 28 और 29 जनवरी को बिजली मंत्रालय द्वारा विज्ञान भारती के सहयोग से बेंगलुरु में किया जाना प्रस्तावित है।

उज्जैन में सुजलाम जल महोत्सव मनाया जा रहा है। सुजलाम जल महोत्सव के अर्न्‍तगत ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति व महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान एवं सहयोगी संस्था मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के सयुक्त तत्वावधान में दिनांक 5 दिसम्‍बर 2022 से 29 दिसम्‍बर 2022 तक मंदिर प्रांगण में चर्तुर्वेद पारायण का आयोजन किया जा रहा हैं। समिति का इस आयोजन के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्‍वर को वेद मंत्रों की आदरांजलि दी जा रही हैं।

 

*वेदोशिव: शिवोवेद: वेदो नारायण: स्वयं* वेद ही शिव हैं, शिव ही वेद हैं, वेद नारायण के स्‍वरूप हैं, इसी भावना से चारों वेदों का पारायण लोक कल्‍याण की कामना से किया जा रहा हैं।

दिनांक 5 दिसम्‍बर से 11 दिसम्‍बर *ऋगवेद शाकल शाखा* का पारायण किया गया था । ऋगवेद से संस्‍कारों की शिक्षा की कामना के साथ यज्ञों, दान की महत्‍ता मन, बुद्धि, चित्‍त, अहंकार आदि पर नियंत्रण, गौ माता एवं कन्‍याओं की रक्षा, सृष्टि की उत्‍पत्ति एवं स्थिति का सुचार वर्णन प्राप्‍त होता है। जिससे यह कामना की गई है कि, हम संस्‍कारवान होकर लोक कल्‍याण के लिए यज्ञ-हवन आदि कार्य में लगे रहें।

दिनांक 12 दिसम्‍बर से 17 दिसम्‍बर तक *शुक्‍ल यजुर्वेद माध्‍यदिनीय शाखा* का पारायण किया गया था। यजुर्वेद कर्मकाण्‍ड का प्रमुख वेद है, इन्‍ही मंत्रों से देवी-देवताओं की पूजा सम्‍पन्‍न की जाती हैं। ज्ञान मार्ग से ईश्‍वर प्राप्ति तथा यज्ञों का वृहद वर्णन प्राप्‍त होता है। ईशावास्‍योपनिषद् जैसे महान उपनिष्‍द का उल्‍लेख मिलता यहीं प्राप्‍त होता है। दिनांक 18 दिसंबर 2022 से 22 दिसम्बर तक प्रतिदिन सामवेद की कौथुम शाखा का पारायण वेदमूर्ति ब्राह्मणों द्वारा प्रारंभ किया जा रहा हैं। इसमें संगीतमय यज्ञ अनुष्‍ठान, हवन के मंत्रों का गायन पद्धति तथा सोमयज्ञ के माध्‍यम से उपासना की गयी है। संगीत शास्‍त्र का जन्‍म ही सामवेद से हुआ हैं। आगामी दिनांक 23 से 27 दिसम्‍बर तक *अथर्ववेद की शौनक शाखा* का पारायण किया जावेगा। अथर्ववेद के पारायण से विविध रोगों से निवृत्ति की कामना की जावेगी। अथर्ववेद के मंत्रों से दीर्घ आयु व अस्‍त्र-शस्‍त्र आयुध निर्माण एवं संचालन की कामना की जाती है।