Kissa-A-IAS: इस कलेक्टर के मुरीद हुए CM और मंच से की तारीफ!
मध्य प्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है जब एक सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री द्वारा एक कलेक्टर की आलोचना कर उसे तत्काल हटाया जाता है वही उसी समय उसी मंच पर दूसरे कलेक्टर की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की जाती है।
सामान्यतः मुख्यमंत्री और कलेक्टर के बीच दूरियां होती है। कलेक्टर के काम करने का तरीका और जनता के प्रति उसकी सजगता सामान्यतः मुख्यमंत्री की जानकारी में कम ही आती है। क्योंकि, लोग किसी अफसर की तारीफ कम और शिकायतें ज्यादा करते हैं। लेकिन, डिंडौरी कलेक्टर विकास मिश्रा इसके अपवाद हैं। उनके काम करने का तरीका, नए-नए प्रयोग और रिजल्ट ओरिएंटेड फैसलों ने उन्हें दो महीने में चर्चा में ला दिया। किसी कलेक्टर का कामकाज का तरीका इतना प्रभावशाली हो कि दो महीने में मुख्यमंत्री उनकी स्टेज से तारीफ करें, तो इसे स्वीकारा जाना चाहिए कि विकास मिश्रा कुछ तो ऐसा कर ही रहे हैं, जो अनोखा और दूसरों के लिए सबक है।
राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर IAS बने विकास मिश्रा 2013 बैच के अधिकारी हैं। वे प्रदेश सड़क विकास निगम के AMD थे, तभी उन्हें अचानक नवंबर में राज्य के आदिवासी बहुल जिले डिंडोरी का कलेक्टर बनाया गया। उनके पूर्ववर्ती कलेक्टर रत्नाकर झा को जिस स्थिति में हटाया गया था, उसे देखते हुए नए कलेक्टर के लिए जनता का विश्वास जीतना बड़ी चुनौती थी। लेकिन, सिर्फ दो महीने में विकास मिश्रा ने ऐसी स्थिति निर्मित कर दी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से उनकी तारीफ की।
डिंडोरी में पदस्थ होने के दूसरे सप्ताह से ही विकास मिश्रा ने लोगों से लगातार संवाद कर रहे हैं। कभी वे हितग्राही महिला की बात सुनकर उसके हाथ पर मोबाइल नंबर लिखकर कहते हैं कि यदि योजनाओं का लाभ नहीं मिले, तो मुझे कॉल करके बताना। मैं भी गांव में आकर सारी जानकारी लूंगा। कभी वे बैगा आदिवासी महिला के पैर पड़कर उसे मातातुल्य बताते हैं। 9वीं कक्षा के एक प्रतिभाशाली छात्र की बातें सुनकर उसे अपनी कलेक्टर वाली कुर्सी पर बैठा देते हैं। जबकि, सामान्य तौर पर ऐसा होता नहीं है। कलेक्टर का अहम् इतना होता है कि वो जनता की शिकायतें सुनकर उसके हल तक का दायित्व निभाते हैं। पर, डिंडोरी कलेक्टर ने वो सारी दूरियां ख़त्म करके इस पद का सबसे सही अर्थ साबित किया और यही कारण है कि उनके कामकाज को सार्वजनिक रूप से सराहा गया।
राज्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में विकास मिश्रा भोपाल के जिला पंचायत सीईओ थे। IAS अवार्ड होने के बाद उन्हें एमपी आरडीसी (सड़क विकास निगम) का AMD बनाया गया था। वे पहली बार कलेक्टर बने, पर चंद दिनों में उन्होंने अपने कामकाज से लोगों का दिल जीत लिया। उनकी कार्यशैली पूरी तरह जमीन से जुड़े लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की है। उनमें मानवीय संवेदनाओं की भी कमी नहीं।
हाल ही में उन्होंने डिंडोरी के पीडब्ल्यूडी इंजीनियर को निर्देशित किया कि जीर्ण-शीर्ण शासकीय भवनों का मरम्मत की कार्य योजना बनाए। सबसे पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के घरों के खिड़की, दरवाजे और अन्य चीजों का मरम्मत करवाई जाए।
*इसलिए उनके मुरीद हुए मुख्यमंत्री*
विकास मिश्रा सुबह 5 बजे तैयार होकर फील्ड में निकलते हैं। कभी वे जमीन पर बैठकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं। कभी रास्ते में उतरकर लोगों बातें सुनने लगते हैं। कभी वे बच्चों के बीच बैठकर उनसे बात करने लगते हैं। ख़ास बात ये कि ये सब छुपा नहीं रहता, बल्कि उनकी खासियत की तरह लोगों के सामने आते हैं। उन्होंने समनापुर जनपद मुख्यालय मैदान में सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राओं के बीच ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तर्ज पर माइंड खेल खेला। कलेक्टर ने बच्चों से सवाल किए। इस क्विज़ गेम में 12 छात्र-छात्राओं का चयन किया गया। दो बच्चों ने इस खेल में 1500-1500 रुपए जीते। मुख्यमंत्री ने मंच से इस बात का भी उल्लेख किया।
*काम की अनोखी शैली*
पदस्थ होने के दूसरे सप्ताह में वे सुबह निरीक्षण करने निकले। लकड़ी बेच रही गोपालपुर की ग्रामीण महिला श्यामकली बाई को रोका और उसकी समस्या सुनी। इसके बाद उसके हाथ पर अपना मोबाइल नंबर लिख दिया। श्यामकली बाई को कहा कि मैं आपकी समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देशित करता हूं। अगर काम नहीं होता है, तो इस नंबर पर मुझे बताना। एक दिन कलेक्टर पडरिया गांव पहुंचे। उन्होंने जमीन पर बैठकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। बैगा महिला बजरिया बाई ने अपनी समस्या बताते हुए पैर छुए, तो कलेक्टर ने भी उनके पैर छू लिए।
*छात्र को बनाया एक दिन का कलेक्टर*
एक दिन विकास मिश्रा मॉडल स्कूल पहुंचे। वहां 9वीं के छात्र रुद्रप्रताप झारिया से मिले, तो छात्र ने कलेक्टर बनने की इच्छा जाहिर की। इस पर विकास मिश्रा उसे एक दिन के लिए कलेक्टर की कुर्सी पर बिठाने का न्योता दिया। दूसरे दिन रुद्रप्रताप को अपनी कुर्सी पर बैठाया और कार्यप्रणाली के बारे में समझाया। उनकी इस संवेदनशीलता की तारीफ की गई। कलेक्टर की कुर्सी में बैठने के बाद जहां छात्र की खुशी का ठिकाना नहीं रहा तो वहीं उसके माता-पिता खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में शायद ही कोई ऐसा कलेक्टर होगा जो जनता के दुख दर्द को इतनी गहराई से समझता हो, और उसका तत्काल हल ढूंढता हो। इसीलिए तो मुख्यमंत्री ने पहली बार किसी कलेक्टर की सार्वजनिक मंच से जी भर के तारीफ की।
बधाई कलेक्टर साहब!