नव वर्ष पर दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की लगी लम्बी कतारें,3 हजार श्रद्धालुओं ने माता चामुण्डा के चरणों में शीश नवाया

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नव वर्ष पर दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की लगी लम्बी कतारें,3 हजार श्रद्धालुओं ने माता चामुण्डा के चरणों में शीश नवाया

रतलाम: नव वर्ष 2023 की शुरुआत रविवार से हो गई हैं।इसको लेकर जिले सहित शहर के सभी मंदिरों और देवालयों पर सुबह से ही भक्तों की कतारें देखने को मिलीं।सभी ने मंदिरों में पहुंचकर भगवान के दर्शन कर नए वर्ष में नया संकल्प लिया।

शहर के श्री कालिका माता मंदिर में सुबह से ही भक्तों की कतारें देखने को मिलीं।और जिले के अधिकांश मंदिरों में सुंदरकांड, बाबा खाटू श्याम भजन संध्या, भजन संध्या सहित कई धार्मिक कार्यक्रम हुएं।

जिले के रुनीजा से लगे गजनीखेडी गांव में स्थित मां महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर जो सिद्ध स्थल के रुप में माना जाता है। जहां श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती हैं और मंदिर परिसर में अपनी मान मुराद पुरी होने पर उसे पूर्ण करने हेतु भी भक्त यहां दिखाई देते हैं।

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नव वर्ष पर 3 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माता चामुंडा के चरणों में शीश झुका कर मांगा सुख,सम्रद्धि का आशीष।इस अवसर पर मन्दिर के पुजारी पवन गिरी गोस्वामी व उनकी पत्नी रीना गोस्वामी ने गर्भगृह को आकर्षक रूप से सजाया।

अंग्रेजी कैलेंडर के नव वर्ष 2023 का स्वागत लोगों ने उत्साह व उमंग से किया।नव वर्ष की पावन बेला पर देशवासियों के साथ-साथ रुनीजा तथा आसपास के क्षेत्र वासियों ने भी ऐतिहासिक व पौराणिक महिषासुर मर्दिनी माता चामुंडा के धाम गजनी खेड़ी में पहुंचकर उनके चरणों में शीश झुका कर सुख समृद्धि का आशीष मांगा।वैसे तो मन्दिर के पुजारी पवन गोस्वामी व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रीना गोस्वामी प्रतिदिन माता रानी का आकर्षक का श्रंगार करते हैं।

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लेकिन नव वर्ष की पावन बेला पर मंदिर के पुजारी पवन व उनकी पत्नी रीना द्वारा ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे के पूर्व ही माता चामुंडा का अभिषेक व आकर्षक श्रंगार कर गर्भग्रह को फूलों से सजाया और आरती उतारी।
आरती के पूर्व से ही सुबह 5 बजे से माता के दरबार में मां के भक्तों का आने का सिलसिला प्रारंभ हुआ जो देर रात तक चलता रहा। मंदिर के पुजारी पवन गोस्वामी ने बताया की शाम को 6 बजे तक माता के दरबार में 3 हजार से अधिक माता भक्तों ने पहुंचकर माता चामुंडा का आशीर्वाद लिया।

शाम की आरती के पूर्व तक भी मंदिर में माता भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी था।