2 हजार सहकारी समितियों के चुनाव आपत्तियों के निराकरण में उलझे

379

2 हजार सहकारी समितियों के चुनाव आपत्तियों के निराकरण में उलझे

भोपाल: प्रदेश में हाउसिंग समेत विभिन्न सेक्टर के समितियों के चुनाव कराए जाने के मामले में राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने सहकारिता विभाग के चुनाव समन्वयक अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। निर्वाचन प्राधिकारी ने कहा है कि परीक्षण किए बगैर जिलों, संभागों और राज्य स्तरीय कार्यालय से भेजे जाने वाले सहकारी समितियों के चुनाव संबंधी प्रस्तावों में मूल तथ्यों तक की जांच नहीं की जाती है। इस कारण मध्यप्रदेश राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी कार्यालय में दो हजार से अधिक सहकारी समितियों के चुनाव की प्रक्रिया आपत्तियों के निराकरण के नाम पर पेंडिंग है और इनके चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हो पा रहे हैं।

राज्य शासन ने सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 49 सी (1)में विधिवत निर्वाचन प्रस्ताव भेजने के लिए बाकायदा नियमों का उल्लेख अधिनियम में कर रखा है। निर्वाचन प्राधिकारी द्वारा निर्वाचन समन्वयकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि जिला स्तर से निर्वाचन प्रस्तावों का परीक्षण ठीक से नहीं किया जा रहा है। गलतियों के पुलिंदे वाले प्रस्ताव भेजने के कारण आपत्तियों का निराकरण करने में प्राधिकारी कार्यालय को विलंब होता है। इन हालातों में सहकारी समितियों के सदस्यों द्वारा समय पर चुनाव न हो पाने पर चुनावी व्यवस्था पर असंतोष भी जताया जा रहा है। इन हालातों के चलते 2 हजार से अधिक सहकारी समितियों का चुनाव पेंडिंग है। निर्वाचन प्राधिकारी ने ऐसी स्थिति दूर करने के लिए सोसायटी स्तर पर की जाने वाली कार्यवाही और जिला स्तर पर परीक्षण की कार्यवाही के लिए अलग-अलग तरह की चेकलिस्ट दोनों को जारी की गई है और उसके परीक्षण के आधार पर ही चुनाव के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा है ताकि निर्वाचन प्राधिकारी कार्यालय में लंबे समय तक चुनाव के लिए समितियों के प्रस्ताव पेंडिंग न रहें।

हाउसिंग सोसायटी को लेकर सबसे अधिक विवाद
सहकारी समितियों के चुनाव में सबसे अधिक विवाद की स्थिति गृह निर्माण सहकारी समितियों के चुनाव में बनती है। सूत्रों का कहना है कि ऐसी समितियों में पदों पर कब्जा जमाए लोग अपनों को लाभ दिलाने के लिए समिति की सदस्यता सूची में हेरफेर करते हैं और औने-पौने दामों पर प्लाट, भूखंड बेचते हैं और मुंहमांगी रकम मिलने पर मूल सदस्यों को भूखंड, भवन देने में आनाकानी करते हैं। इसलिए इन समितियों में वे अपनी गलती पकड़ में आने से बचने के लिए सदस्यता सूची में भी हेरफेर करते हैं।