
FIR Registered for Fake Unfit and Fitness Certificate:रीवा में पदस्थ एक महिला शिक्षक 20 साल तक नौकरी से गायब रहीं,अनफिट और फिटनेस का प्रमाण पत्र भी पेश किया,अब FIR दर्ज!
रीवा में पदस्थ एक महिला शिक्षक 20 साल तक नौकरी से गायब रहीं। इस बीच उसने अनफिट और फिटनेस का प्रमाण पत्र भी पेश किया। जब विभाग ने नौकरी पर वापस लेने से इनकार कर दिया तो वह हाई कोर्ट चली गईं। यहां भी उसकी दाल नहीं लगी और उल्टे फटकार लगी। कोर्ट से साबित हुआ कि उसने फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे।
बीस साल नौकरी से गायब रही महिला शिक्षक, विभाग ने नौकरी पर नहीं रखा तो चली गई हाईकोर्ट, कोर्ट ने उल्टे का पर ही कर दिए एफआईआर के आदेश
रीवा। जिले में पदस्थ एक महिला शिक्षक 20 साल तक नौकरी से गायब रहीं। इस बीच उसने अनफिट और फिटनेस का प्रमाण पत्र भी पेश किया। जब विभाग ने नौकरी पर वापस लेने से इनकार कर दिया तो वह हाई कोर्ट चली गईं। यहां भी उसकी दाल नहीं लगी और उल्टे फटकार लगी। कोर्ट से साबित हुआ कि उसने फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे। कोर्ट के आदेश के बाद रीवा पुलिस ने गुरुवार रात उस पर एफआईआर दर्ज कर ली है।
20 साल नौकरी से गायब रहीं
रीवा निवासी अर्चना आर्या 2001 में शिक्षा कर्मी वर्ग-तीन के पद पर नियुक्त हुई थी। बीमारी के कारण वह 2002 से 2018 तक सेवा से अनुपस्थित रही। इस बीच 2006 में विभाग में अनफिट (बीमारी) प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया। 2017 में उसने फिटनेस प्रमाण पत्र पेश किया और मांग की कि इन दस्तावेजों के आधार पर उसका मेडिकल अवकाश स्वीकृत कर सेवा में पुनः लिया जाए। विभाग ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद अर्चना हाई कोर्ट पहुंच गई।
दो फर्जी प्रमाण पत्र पेश किए
जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि 2006 का अनफिट प्रमाणपत्र और 2017 का फिटनेस प्रमाणपत्र दोनों पर ही रीवा मेडिकल कालेज के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार के हस्ताक्षर हैं। कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या एक व्यक्ति 11 साल तक एचओडी बना रह सकता है? कोर्ट ने रीवा मेडिकल कालेज के डीन डा. सुनील अग्रवाल से जवाब मांगा तो उन्होंने बताया कि कालेज में मनोरोग विभाग का गठन वर्ष 2009 में हुआ, जबकि 2006 में यह विभाग अस्तित्व में ही नहीं था।





