विपक्ष के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भले ही अछूत रहा हो, लेकिन सत्तारूढ पार्टी तो इसे चुनाव में जीत का सबसे महत्वपूर्ण घटक मानती है। यही कारण है कि भाजपा शासन में आरएसएस खूब फलफूल रहा है। भाजपा भी इसे चर्चित और लोकप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। इन दिनों सियासी और सिनेमाई गलियारों में फिर एक बार आरएसएस के चर्चे आम हो रहे। कारण यह कि भाजपा आगामी लोकसभा के लिए अपनी पकड़ मजबूत करने की गरज से आरएसएस पर एक भव्य फिल्म बनाने जा रही है जो अगले साल के अंत तक प्रदर्शित होकर 2024 में भाजपा को विजयपथ पर ले जाने का प्रयास करेगी। यह भी कहा जा रहा है कि फिल्म में अक्षय कुमार प्रमुख भूमिका में लिए जा सकते हैं।
आरएसएस पर फिर बनाने का फैसला आसान नहीं था। इस संगठन पर यदि मामूली फैसला भी लेना हो, तो पहले नागपुर की अनुमति जरूरी माना जाता है। इसके बिना पत्ता भी नहीं खड़कता। लगता है भाजपा ने पत्ते को खडकाने की तैयारी भी पूरी कर फिल्म निर्माण के मार्ग में आने वाली सभी संभावित बाधाओं को दूर करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत को साध लिया है। बताया जाता है कि भागवत ने आरएसएस पर बनने वाली फिल्म की पटकथा पढकर इस पर फिल्म बनाने के लिए अघोषित एनओसी जारी कर दी। फिल्म बनाने का आइडिया कन्नड़ सिने ऑडियो टाइकून लहरी वेलु को आया। वेलु की संगीत कंपनी ने ही सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ और ‘बाहुबली-2’ के ऑडियो राइट्स लिए थे।
‘बाहुबली’ की सफलता देखकर वेलु को लगा कि जब वह इतनी हिट हो सकती है तो संघ पर फिल्म बनाई जानी चाहिए। वेलु ने पिछले साल ही भाजपा की सदस्यता ली है और माना जा रहा है कि वह आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी की तरफ से मैदान में उतर सकते हैं। आरएसएस पर फिल्म बनाने के अपने विचार को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने इसकी चर्चा ‘बाहुबली’ के दोनों भागों की पटकथा लिखने वाले चर्चित लेखक विजयेंद्र प्रसाद से की।
वेलु का आइडिया प्रसाद को भी पसंद आया। इसके बाद 27 लोगों की टीम ने 7 महीने तक रिसर्च की और फिर उस आधार पर विजयेंद्र प्रसाद ने आरएसएस पर बनने जा रही फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी। यह फिल्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली, उसके इतिहास एवं वर्तमान भारत के नीति निर्माण में उसके योगदान पर आधारित होगी। इसमें आरएसएस की विचारधारा, उनके बलिदान और संघर्ष के बारे में भी बताया जाएगा। आरएसएस पर अपनी बदली राय के बारे में विजयेंद्र प्रसाद ने कहा है कि आरएसएस को लेकर पहले उनकी सोच सकारात्मक नहीं थी। लेकिन, अब वे इस संगठन के प्रति नतमस्तक हैं।
4 साल पहले मुझे उन्हें आरएसएस पर फिल्म लिखने को कहा गया था। चूंकि, इसके लिए उन्हें रुपए मिले थे, इसलिए उन्होंने नागपुर जाकर मोहन भागवत से मुलाकात भी की। विजयेन्द्र प्रसाद नागपुर में एक दिन रुके और उन्होंने पहली बार देखा-समझा कि आरएसएस क्या है और कैसे काम करता है। वहां से लौटने के बाद उन्होने बताया कि उन्हें काफी पश्चाताप हुआ कि वह इतने महान संगठन से अब तक परिचित नहीं थे। उनका यह भी मानना है कि यदि आरएसएस नहीं होता तो आज कश्मीर भी नहीं होता। पाकिस्तान की वजह से लाखों हिन्दू मारे जाते।
यानी जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इतिहास से मिटाने का प्रयास किया गया, जिनके योगदानों को अनदेखा किया गया, उन्हें अब वी विजयेंद्र प्रसाद अपनी कलम की शक्ति से पुनः जागृत करेंगे। यह फिल्म 180 करोड़ रुपए के बजट में बनाई जाएगी। फिल्म को बनाने के पीछे केवल यह मकसद है कि लोग आरएसएस के सही स्वरूप को जान सके। बताया जा रहा है कि इस फिल्म को अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले रिलीज किया जा सकता है। फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि यह फिल्म कोई फिक्शन फिल्म या डॉक्यूमेंट्री फिल्म नहीं बल्कि पूरी तरह तथ्यों पर आधारित है।
फिल्म का मकसद लोगों को संघ की असली पहचान, उनकी विचारधारा, भारत के लिए उनके बलिदान और उनके संघर्ष के बारे में बताना है। इस काम में उन्हें अब संघ प्रमुख का आशीर्वाद मिल गया है। फिल्म के लिए ‘संघ’ और ‘भगवाध्वज’ नाम रजिस्टर्ड भी करवा लिए हैं। फिल्म के लिए स्टार कास्ट तय किया जा रहा है। जिसमें साउथ इंडियन फिल्मों से लेकर बॉलिवुड फिल्मों के स्टार से संपर्क किया जा रहा है। जल्द ही डायरेक्टर फाइनल हो जाएगा। यह पूछने पर कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले यह फिल्म आ जाएगी वेलु ने कहा कि इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है। लेकिन, हमारी कोशिश है कि एक साल के भीतर यह फिल्म आ जाए। यह फिल्म हिंदी और तेलुगु में होगी। चर्चा तो यह भी है कि भाजपा इसके लिए फंडिंग करने के लिए तैयार हो गई है। यदि ऐसा होता है तो भारत के राजनीतिक इतिहास में एक नई दिशा तैयार होगी और इसकी देखा-देखी करते हुए कांग्रेस सहित अन्य दल भी अपने अपने दलों की महिमा मंडित करने के लिए बड़े परदे की और मुखातिब होने लगेंगे।