A Major and Ambitious Reform is Proposed in Power Sector: खुदरा बिजली बाजार को खोलने का मसौदा तैयार 

निजी कंपनियों को व्यापार मैदान में लाने की दिशा में कदम

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A Major and Ambitious Reform is Proposed in Power Sector: खुदरा बिजली बाजार को खोलने का मसौदा तैयार 

विक्रम सेन 

नई दिल्ली। भारत सरकार ने देश के विद्युत क्षेत्र में एक बड़ा और महत्वाकांक्षी सुधार प्रस्तावित किया है — खुदरा बिजली बाजार (Retail Electricity Market) को पूरी तरह से खोलने का मसौदा कानून विद्युत मंत्रालय ने तैयार कर दिया है, जिसके ज़रिए सभी राज्यों में निजी कंपनियों को ग्राहक-स्तर पर (घर या व्यापारियों तक) बिजली बेचने का अधिकार मिलेगा।

वर्तमान व्यवस्था में अधिकांश बिजली वितरण (Distribution) राज्य सरकारों अथवा सार्वजनिक वितरण कंपनियों (DISCOMs) के अधीन है। इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत ये एकाधिकार खत्म किया जाएगा और एक ही ज़ोन में कई कंपनियां (पब्लिक या प्राइवेट) बिजली वितरण व बिक्री के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी।

प्रस्ताव के अनुसार, जिन राज्यों में पहले से ही बिजली वितरण में हिस्सा दिया गया है (जैसे कि दिल्ली, गुजरात आदि), वहाँ पहले से अस्तित्व में मॉडल लागू हैं, लेकिन नए मसौदे में इसे पूरे देश में विस्तार देने की योजना है।

इसके अलावा, इस कदम का एक उद्देश्य राज्य डिसकॉम्स की वित्तीय दबाव को कम करना है। जानकारी के अनुसार, जून 2025 तक राज्य बिजली वितरण कंपनियों पर करीब 6.78 अरब डॉलर का बकाया था, जो बिजली उत्पादकों को भुगतान करना बाक़ी है।

 *विश्लेषण: क्या चुनौतियाँ हैं, और क्या संभव है?* 

चुनौतियाँ एवं विवाद

1. राज्य विरोध और स्वायत्तता

कई राज्य सरकारें डिसकॉम्स पर नियंत्रण और राजस्व नीति में हस्तक्षेप को अपनी हिस्सेदारी मानती हैं। इसके कारण नए कानून को अपनाने में प्रतिरोध हो सकता है।

2. वित्तीय दबाव और बकाया

वितरण कंपनियों पर पहले से भारी बकाया और नकदी समस्या है। उन्हें सुधारने के बिना प्रतिस्पर्धात्मक माहौल देना कठिन होगा।

3. इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं तंत्र सुधार

इतनी व्यापक प्रतिस्पर्धा के लिए स्मार्ट मीटरिंग, ग्रिड सुधार, फीस संरचना आदि विषयों पर ठोस नीतियाँ बनाना आवश्यक है।

4. उपभोक्ता हित एवं कीमत नियंत्रण

जब निजी खिलाड़ी भी प्रवेश करेंगे, तो बिजली की दरों और सब्सिडी नीति में सार्वजनिक संतुलन बनाना आवश्यक होगा ताकि गरीब एवं ग्रामीण क्षेत्रों पर असर न हो।

 *संभावनाएँ और लाभ*

उत्तम सेवा और दक्षता: प्रतिस्पर्धा से वितरण कंपनियों को बेहतर सेवा देना पड़ेगा — कम ट्रांसमिशन क्षति, बेहतर रीडिंग-मापदंड, उपकरण निगरानी आदि।

निवेश आकर्षित करना: निजी कंपनियों को बिजली वितरण में निवेश करने की आज़ादी मिलने से संभावित पूँजी प्रवाह बढ़ेगा।

डिज़िटल बिजली बाजार: उपभोक्ताओं को बिजली प्रदाताओं (seller) बदलने की सुविधा, संवादणीय मीटर, समय-के अनुसार दर (time-of-day tariff) जैसी प्रणालियाँ सक्रिय हो सकती हैं।

राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्य संरेखण: अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट ग्रिड और स्वच्छ ऊर्जा हस्तांतरण को प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि निजी क्षेत्र इस क्षेत्र में नवाचार लाने में अधिक सक्षम हो सकता है

माना जा सकता हैं कि भारत का यह प्रस्तावित कदम विद्युत क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार का एक बड़ा प्रयास है। यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाए, तो यह न सिर्फ वितरण कंपनियों की वित्तीय मजबूती को बढ़ाएगा, बल्कि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएँ और विकल्प भी देगा।

हालाँकि, इसके लिए राज्यों, केंद्र और निजी क्षेत्र के बीच सामंजस्य, नियमों की स्पष्टता, इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन और उपभोक्ता हित संतुलन का ख्याल रखना अनिवार्य होगा।