
उदयगढ़ का गमगीन मंगलवार: दो अपनों को खोने का दर्द- भाजपा के जग्गू भाई और चाय किंग सोनू भावसार का अवसान
राजेश जयंत
Udaigarh: 28 अक्टूबर की सुबह उदयगढ़ ने एक साथ दो अपनों को खो दिया। जनजातीय क्षेत्र के लोकप्रिय भाजपा नेता और पूर्व मंडल अध्यक्ष जग्गू भाई भूरिया तथा हर दिल अजीज युवा सोनू उर्फ विकास भावसार के निधन की खबर ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। सुबह-सुबह आई इन दो दुखद खबरों ने उदयगढ़ को सन्न कर दिया। मोहल्लों में सन्नाटा पसरा गया, अनेक प्रतिष्ठान खुद-ब-खुद बंद रह गए और लोगों की आंखों में आंसू छलक उठे।

*जग्गू भाई भूरिया : सादगी, साफगोई और जनसेवा की मिसाल*
उदयगढ़ की राजनीति में एक बड़ा नाम, एक सच्चा जनसेवक- “जग्गू भाई भूरिया” (पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष) और वर्तमान के मंडल उपाध्यक्ष रखब भूरिया के बड़े भाई जग्गू भाई भूरिया अपनी साफगोई और सादगी के लिए जाने जाते थे। राजनीति में वे न तो समझौता करते थे, न झुकते थे। गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना उनकी पहचान थी। गांव से उठकर क्षेत्रीय राजनीति में एक प्रभावशाली स्थान बनाने वाले जग्गू भाई ने यह साबित किया कि शिक्षा से अधिक जरूरी है नीयत और निष्ठा। लगभग 65 वर्ष की आयु में उनका इस तरह अचानक जाना सभी के लिए गहरा सदमा बन गया। भाजपा परिवार से लेकर जनसामान्य तक हर कोई कह रहा है- “हमने एक सच्चा, दबंग और निष्कपट सिपाही खो दिया।” उनके निधन पर कैबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान, सांसद अनीता चौहान, पूर्व विधायक माधोसिंह डावर, विधानसभा नेता विशाल रावत, जिला पंचायत सदस्य मांगीलाल चौहान, जिला महामंत्री राजू मुवेल, मंडलअध्यक्ष जितेंद्र गुजराती सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने गहरा दुख व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके व्यक्तित्व की सादगी, नेतृत्व की दृढ़ता और दिल से निकली मुस्कान को क्षेत्र कभी नहीं भूल पाएगा।

*सोनू उर्फ विकास भावसार : मेहनत, मुस्कान और माटी की खुशबू*
दूसरी ओर, उसी दिन उदयगढ़ का एक और चहेता चेहरा भी हमेशा के लिए विदा हो गया- “सोनू उर्फ विकास भावसार।” चाय की प्याली में मुस्कान घोलने वाला यह युवा अब सिर्फ यादों में है। गरीब परिवार में जन्मा सोनू अपनी मेहनत और लगन से “उदयगढ़ का चाय किंग” बन गया था। उसकी चाय सिर्फ स्वाद नहीं, अपनापन भी देती थी। जो एक बार सोनू की चाय पी लेता, वह दोबारा खुद मांगकर उसी के टी स्टॉल पर आता। अपनी मस्ती में मस्त रहने वाला यह हरफनमौला युवा पेट की बीमारी से लंबे समय से जूझ रहा था। बीते कुछ से टी स्टॉल भी बंद हो गया था। दाहोद में ऑपरेशन के दौरान तबीयत बिगड़ी और फिर बड़ौदा में लगातार दो सर्जरी के बावजूद उसकी ज़िंदगी की डोर न बच सकी। स्थानीय भाजपा नेताओं के संज्ञान में आने पर मंत्री नागरसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री से मदद दिलाई और ₹2 लाख की सहायता भी मिली, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सोमवार रात को सोनू की सांसें थम गईं। मंगलवार सुबह जब उसकी मौत की खबर व्हाट्सएप पर फैली, तो उदयगढ़ में शोक की लहर दौड़ गई। बाजार के अनेक प्रतिष्ठान बंद रहे, सैकड़ों लोग अंतिम यात्रा में उमड़े और तेज बारिश के बीच जैसे प्रकृति भी रो पड़ी। लोगों के दिल में दुख के साथ-साथ अस्पताल की लापरवाही पर गुस्सा भी था, जिसने एक उजला चेहरा छीन लिया। सोनू के मुस्कुराते चेहरे और मीठी चाय की याद अब हर किसी के होंठों पर बस “आह” बनकर रह गई है।

दो अलग जीवन… एक ही दिन की विदाई।
जग्गू भाई भूरिया की सादगी और सोनू भावसार की मुस्कान- दोनों ने उदयगढ़ के दिल में अमिट जगह बनाई थी। मंगलवार का यह दिन उदयगढ़ के इतिहास में हमेशा “गमगीन मंगलवार” के नाम से याद रहेगा। परमात्मा से यही प्रार्थना- हे प्रभु, अपने दोनों प्यारे पुत्रों को अपने चरणों में स्थान दो, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करो।





