एक खास मुलाकात…फलों के राजा से!!

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एक खास मुलाकात…फलों के राजा से!!

संजीव शर्मा की खास रिपोर्ट 

आइए, आपको मिलवाते हैं फलों के राजा हिमाचल से…जहाँ फल केवल उत्पाद नहीं बल्कि गर्व हैं। शिमला की पहाड़ियों पर लाल-गुलाबी सेब किसी राजकुमार से कम नहीं हैं। किन्नौर का अखरोट इतना चटकदार जैसे फलों का सेनापति। कुल्लू की चेरी महारानी सी लजाती है तो आड़ू गालों पर लाली लिए किसी राजकुमारी सा लगता है। नाशपाती, खुबानी, आलू बुखारा, केला, जापानी फल, मशरूम और कीवी राजा के नवरत्नों में शामिल हैं।

यहाँ की मिट्टी में हिमालय का गौरव घुला मिला है…हवा में बर्फ की शान है तो धूप इतनी नफ़ासत से पड़ती है कि हर फल ‘रॉयल’ और ‘डिलिशियस’ बन जाता है। इसलिए आप जब भी कोई फल खाओ और मुँह से वाह निकले, तो समझ जाइए कि वह फलों के राजा के दरबार से आया है।

हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने शिद्दत से संवारा और अपनी पूरी उदारता से नवाजा है। हिमालय की गोद में बसा यह प्रदेश केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही विख्यात नहीं है, बल्कि अपने विविध,लज़ीज़,रसीले और सेहत से भरपूर फलों के कारण भी प्रसिद्ध है इसलिए इसे भारत का फलों का टोकरा (Fruit Basket of India) भी कहा जाता है।

यहाँ देश के सबसे स्वादिष्ट, रसीले और उच्च गुणवत्ता वाले फलों का उत्पादन होता है।

यहाँ पैदा होने वाले फल स्वाद, रंग, सुगंध आकार और गुणवत्ता में देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तम ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम हैं। हिमाचल में सर्वश्रेष्ठ फलों के उत्पादन और स्वाद का सबसे बड़ा कारण यहाँ की विविध भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिस्थितियां हैं। मैदानी क्षेत्रों से लेकर हिमालय की बुलंद चोटियों तक फैली विविधता के कारण यह राज्य फल उत्पादन के लिए आदर्श है।

समुद्र तल से 350 मीटर से लेकर करीब 4000 मीटर से अधिक ऊँचाई तक फैले हिमाचल प्रदेश में हर ऊँचाई पर अलग-अलग जलवायु मिलती है। यहां की ठंडी-शीतोष्ण जलवायु सेब के लिए बिल्कुल आदर्श है। यहाँ गर्मियों में हल्की धूप और सर्दियों में भरपूर ठंडक मिलती है, जो सेब में मिठास, रंग और क्रंच लाती है। यही कारण है कि जब आप यहां सेब खाते हैं तो उसका कड़कपन और रस से भरा स्वाद अलग ही मज़ा देता है। में

हिमाचल प्रदेश को सेब की राजधानी भी कहा जाता है। देश में उत्पादित होने वाले कुल सेबों का लगभग 40-50 फीसदी हिस्सा अकेले हिमाचल से आता है। राज्य के शिमला, कुल्लू, मनाली, किन्नौर, रोहड़ू और ठियोग जैसे इलाके सेब के उत्पादन के लिए मशहूर हैं। यहाँ के रॉयल और गोल्डन डिलिशियस सेब पूरे देश में सबसे स्वादिष्ट माने जाते हैं।के

राज्य के निचले क्षेत्रों में उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु है और इस दायरे में आने वाले इलाके मसलन कांगड़ा, ऊना जिले आम, लीची, अमरूद, केले,नींबू और संतरा जैसे फलों का गढ़ हैं। मध्य क्षेत्रों में 1000-2000 मीटर की ऊंचाई पर शीतोष्ण जलवायु के कारण आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी, चेरी और नाशपाती खूब होती है। लेकिन हिमाचल का असली जादू ऊपरी हिमाचल में 2000-3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर देखने को मिलता है, जहाँ ठंडी जलवायु और भरपूर धूप में विश्वस्तरीय सेब तैयार होते हैं। सेब हिमाचल की पहचान है।

हिमाचल में केवल सेब ही नहीं, कीवी, अखरोट, बादाम, काजू, अनार, नाशपाती, केला,अंगूर भी खूब होते हैं। किन्नौर का अखरोट और खुबानी, कुल्लू-मनाली की चेरी, रामपुर का अनार और सोलन के मशरूम भी बहुत प्रसिद्ध हैं। आर्थिक दृष्टि से बागवानी हिमाचल की रीढ़ है। राज्य के लगभग ढाई लाख से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्र में फल बागान हैं और 20 लाख से अधिक लोग इससे जुड़े हैं। यहां सालाना 6 से 7 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हो रहा है। सिर्फ 2025 में ही फलों से होने वाली कुल आय लगभग 3,500-4,000 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्षों से 10-15 प्रतिशत अधिक है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15 प्रतिशत योगदान के बराबर है।

हिमाचल प्रदेश से स्वादिष्ट फल न केवल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई,कोलकाता जैसे बड़े शहरों में पहुँचते हैं, बल्कि बांग्लादेश, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब से लेकर अमेरिका एवं ब्रिटेन जैसे देशों में भी निर्यात होते हैं। हिमाचल को फलों का राजा बनाने में यहां के किसानों की मेहनत के साथ वैज्ञानिक शोध और सरकारों की नीतियाँ भी शामिल हैं। सिंचाई योजनाएँ, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग हाउस, मार्केटिंग और सहकारी समितियों ने भी किसानों को सशक्त बनाया है एवं किसानों ने हिमाचल को फलों का राजा।