MEDIAWALA.IN
इस न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। उन्हें मध्यप्रदेश में पी आर/ लाइजनिंग का मास्टर माइंड माना जाता है । जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। मीडिया वाला डॉट इन वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ओपी रावत के मुख्य आतिथ्य में प्रारम्भ मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।
सुरेश तिवारी
प्रधान संपादक, मालिकमध्यप्रदेश शासन के पूर्व जनसम्पर्क संचालक एवं मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश तिवारी एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी, प्रखर मीडिया पर्सन और नवोन्मेषी जनसंपर्क कर्मी है। आपका पत्रकारिता के साथ ही जनसम्पर्क और राज्य शासन के प्रचार उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम में प्रतिष्ठापूर्ण वरिष्ठ पदों पर कार्य करने का 35 वर्षों का सुदीर्घ अनुभव रहा है। आप अनेक जिलों में जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में कार्य करने के बाद प्रदेश की औद्योगिकी राजधानी और प्रमुख मीडिया सेन्टर, इंदौर में संयुक्त संचालक, देश की राजधानी नई दिल्ली में मध्यप्रदेश के सूचना केन्द्र के प्रभारी और सेवा निवृति से पूर्व 8 वर्षों तक प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपर संचालक व संचालक जनसम्पर्क के रूप में और राज्य शासन के प्रचार उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में कुशल मीडिया अधिकारी रहे है। मीडिया वाला डॉट इन इस समय मध्य प्रदेश मे अग्रणी न्यूज़ पोर्टल के रूप में स्थापित हो चुका है।
डॉ. स्वाति तिवारी
एसोसिएट एडीटरनयी शताब्दी में संवेदना, सोच और शिल्प की बहुआयामिता से उल्लेखनीय रचनात्मक हस्तक्षेप करने वाली महत्वपूर्ण रचनाकार स्वाति तिवारी ने पाठकों व आलोचकों के मध्य पर्याप्त प्रतिष्ठा अर्जित की है। सामाजिक सरोकारों से सक्रिय प्रतिबद्धता, नवीन वैचारिक संरचनाओं के प्रति उत्सुकता और नैतिक निजता की ललक उन्हें विशिष्ट बनाती है। देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानी, लेख, कविता, व्यंग्य, रिपोर्ताज व आलोचना का प्रकाशन। विविध विधाओं की चौदह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। ‘बैंगनी फूलों वाला पेड़‘, ‘अकेले होते लोग‘ व ‘स्वाति तिवारी की चुनिंदा कहानियां‘ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। भोपाल गैस त्रासदी पर केन्द्रित ‘सवाल आज भी जिन्दा है‘ प्रामाणिक दस्तावेजी लेखन के लिए बहुचर्चित। एक कहानीकार के रूप में सकारात्मक रचनाशीलता के अनेक आयामों की पक्षधर। हंस, नया ज्ञानोदय, लमही, पाखी, परिकथा, कथा बिम्ब सहित देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियां चर्चित व प्रशंसित। ‘ब्रह्मकमल - एक प्रेमकथा‘ उपन्यास शीघ्र प्रकाश्य। स्वाति तिवारी मानव अधिकारों की सशक्त पैरोकार, कुशल संगठनकर्ता व प्रभावी वक्ता के रूप में सुपरिचित हैं। अनेक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन। फिल्म निर्माण व निर्देशन में भी निपुण। कलागुरु विष्णु चिंचालकर एवं ‘परिवार परामर्श केन्द्रों‘ पर फिल्मों का निर्माण। इंदौर लेखिका संघ की संस्थापक अध्यक्ष। दिल्ली लेखिका संघ की सचिव रहीं। अंग्रेजी पत्रिका ‘संडे इंडियन‘ द्वारा 21वीं सदी की 111 लेखिकाओं में शामिल। अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से विभूषित। ‘अकेले होते लोग‘ पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, दिल्ली द्वारा सम्मानित व मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘वागीश्वरी सम्मान‘ से अलंकृत। देश व देशान्तर में हिन्दी भाषा एवं साहित्य की सेवा हेतु प्रतिबद्ध। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन (2012) में मध्यप्रदेश शासन का प्रतिनिधित्व। विभिन्न रचनाएं अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में अनूदित। अनेक विश्वविद्यालयों में कहानियों पर शोध कार्य जारी। साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘दूसरी परम्परा‘ के सम्पादन में सक्रिय सहयोग। संवेदना, सोच और शिल्प की बहुआयामिता से उल्लेखनीय रचनात्मक हस्तक्षेप करने वाली महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर स्वाति तिवारी ने पाठकों व आलोचकों के मध्य पार्यप्त प्रतिष्ठा अर्जित की है| सामाजिक सरोकारों से सक्रिय प्रतिबद्धता, नवीन वैचारिक संरचनाओं के प्रति उत्सुकता और नैतिक निजता की ललक उन्हें विशिष्ट बनाती है| देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानी, लेख, कविता, व्यंग्य, रिपोर्ताज व आलोचना का प्रकाशन| विविध विधाओं की पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित| विशेष उल्लेखनीय-उपन्यास ब्रह्मकमल-एक प्रेम कथा, सवाल आज भी ज़िन्दा हैं', 'अकेले होते लोग' व 'स्वाति तिवारी की चुनिन्दा कहानियाँ|' भोपाल गैस त्रासदी पर केन्द्रित 'सवाल आज भी ज़िन्दा हैं' प्रामाणिक दस्तावेजी लेखन के लिए बहुचर्चित| जिसके लिए पापुलेशन फर्स्ट संस्था द्वारा राष्ट्रीय लाड़ली मीडिया पुरस्कार, वांग्मय सम्मान, शोध केन्द्रित पत्रकारिता सम्मान प्राप्त| एक कहानीकार के रूप में सकारात्मक रचनाशीलता के अनेक आयामों की पक्षधर| हंस, अहा ज़िंदगी, नया ज्ञानोदय, लमही, पाखी, परिकथा, कथा बिम्ब सहित देश की सभी साहित्यिक पत्रिकाओं और प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित कहानियाँ चर्चित व प्रशंसित| उपन्यास 'ब्रह्मकमल- एक प्रेमकथा'| वर्ष 2015 में ज्ञानपीठ पाठक सर्वेक्षण में श्रेष्ठ पुस्तकों के लिए नामांकित| स्वाति तिवारी मानव अधिकारों की सशक्त पैरोकार, कुशल संगठनकर्ता व प्रभावी वक्ता के रूप में सुपरिचित हैं| अनेक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का संपादन| फिल्म निर्माण व निर्देशन में भी निपुण| कलागुरु विष्णु चिंचालकर एवं 'परिवार परामर्श केंद्र' पर फिल्मों का निर्माण| इंदौर लेखिका संघ की संस्थापक| 'दिल्ली लेखिका संघ' की सचिव| अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से विभूषित| प्रमुख हैं- भारत सरकार द्वारा चयनित भारत की 100 महिला अचीवर्स में शामिल और राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित| अंग्रेजी पत्रिका 'संडे इंडियन' द्वारा 21वीं सदी की 111 लेखिकाओं में शामिल, 'अकेले होते लोग' पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, दिल्ली द्वारा सम्मानित व मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 'वागीश्वरी सम्मान' से अलंकृत| देश व देशांतर में हिंदी भाषा एवं साहित्य की सेवा हेतु प्रतिबद्ध| नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन (2012), दक्षिण अफ्रीका में मध्यप्रदेश शासन का प्रतिनिधित्व| 'हिंदी रोजगार की भाषा कैसे बने' भाषण वहाँ प्रशंसित हुआ| विश्व की अनेक देशों की यात्राएँ| पर्यावरणविद एवं पक्षी छायाकार|
डॉ रूचि बागड़देव
प्रबंध संपादक, मालिकहिन्दी पत्रकारिता ओर साहित्य जगत की चिरपरिचित हस्ताक्षर रुचि बागड़देव इस न्यूज़ पोर्टल की प्रबंध संपादक हैं। उन्हें लेखन के प्रति रुचि अपनी मां से और पत्रकारिता अपने पिता से विरासत में मिली. बेचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के बाद रुचि का रुझान एक्यूप्रेशर थेरेपी में बढ़ने लगा। यहीं से पत्रकारिता और लेखन की शुरुआत हुई ओर संवेदना चिकित्सा पर लिखने लगी । सामाजिक सरोकारों पर उनके कई लेख देश और प्रदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगे।समाज की विभिन्न धाराओ में सतत सक्रियता ओर चिंतन ने उनकी आंतरिक शक्तियों को संवेदनात्म्क रूप से सशक्त किया ओर वे स्वतंत्र रूप से दृढ़तापूर्पक अपनी बात लिखने -कहने लगी । उन्होने मीडियावाला की शुरुआत से ही महत्वपूर्ण दायित्व संभाले और अब प्रबंध संचालक का कार्य देख रही हैं।