बिजली कम्पनी का फरमान, सालों पुराने स्क्रैप जमा नहीं तो सड़कों के एस्टीमेट नहीं करेंगे मंजूर

चुनावी साल में तेजी से काम करने की सरकार की कवायद में रोड़ा बनेगा आदेश

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बिजली कम्पनी का फरमान, सालों पुराने स्क्रैप जमा नहीं तो सड़कों के एस्टीमेट नहीं करेंगे मंजूर

भोपाल:प्रदेश में चुनावी साल में शहरी इलाकों की सड़कों को चकाचक करने के लिए नगरीय विकास और आवास विभाग के प्रयासों पर ऊर्जा विभाग के अफसरों ने रोड़ा अटकाना शुरू कर दिया है। प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने नगरीय विकास और आवास विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि पिछले पांच सालों में सड़कों के निर्माण के दौरान निकाले गए बिजली के खम्बों और अन्य स्क्रैप को बिजली कम्पनी में जमा कराया जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो आने वाले दिनों में बिजली खम्बों को हटाने से जुड़ी सड़कों के निर्माण संबंधी कोई भी एस्टीमेट बिजली कम्पनी मंजूर नहीं करेगी।

नगरीय विकास और आवास विभाग को भेजे गए पत्र में बिजली कम्पनी ने कहा है कि कम्पनी के संज्ञान में आया है कि नगरीय निकायों द्वारा शहरी क्षेत्रों की सड़कों के निर्माण के दौरान बनाई जाने वाली सड़कों के रास्ते में आने वाले बिजली पोल, ट्रांसफार्मर अन्य बिजली स्क्रैप को बिजली कम्पनी में जमा नहीं कराया जाता है। नियमानुसार यह बिजली कम्पनी की मिल्कियत है और यहां जमा होना चाहिए। इस स्थिति को देखते हुए कम्पनी ने तय किया है कि पहले पिछले सालों में निकाला गया स्क्रैप बिजली कम्पनी में जमा किया जाए। इसके बाद ही अब बिजली कम्पनी सड़कों के निर्माण के लिए अपनी ओर से दिए जाने वाले एस्टीमेट की एनओसी और मंजूरी देगी। अगर निकाय स्क्रैप जमा नहीं कर पाते हैं तो उसके बदले बिजली कम्पनी में स्क्रैप की कीमत का पैसा जमा किया जाए।

ठेकेदार और कम्पनी अफसरों की बदमाशी
बिजली कम्पनी के इस पत्र के बाद अब नगरीय विकास विभाग के अफसरों में इस बात को लेकर भी रोष है कि सुपरविजन चार्ज लेने और मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी के बाद अब सड़कों का काम रोकने के लिए बिजली अफसर ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं जिसका असर सड़कों के निर्माण पर पड़ना तय है। इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि किसी भी सड़क के निर्माण के दौरान बिजली सामग्री हटाने के लिए बिजली कम्पनी को राशि दी जाती है। इसके बाद कम्पनी के अफसरों द्वारा सुपरविजन भी किए जाने का प्रावधान है। इनकी मानीटरिंग के आधार पर ही काम करने वाले ठेकेदार को बिजली सामग्री का स्क्रैप उनके यहां जमा कराना होता है। ठेकेदार से अगर स्क्रैप जमा नहीं करा पा रहे तो यह बिजली अफसरों की मिलीभगत है जिसका ठीकरा नगरीय विकास पर फोड़ने की तैयारी है।

कायाकल्प में प्रदेश भर में शुरू हुए हैं 838 काम
प्रदेश की शहरी सड़कों को चकाचक करने के लिए कायाकल्प अभियान नगरीय विकास विभाग ने शुरू किया है। इसके लिए निकायों को 350 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं जिसमें से 838 काम सड़कों के उन्नयन और निर्माण संबंधी हैं। बिजली कम्पनी के मध्य क्षेत्र में आने वाले नगरीय निकायों की ऐसी सड़कों का काम अब बिजली कम्पनी के फरमान से अटक सकता है।
भोपाल में अवधपुरी बीडीए रोड तीन माह से खुदी पड़ी
इसका ताजा उदाहरण भोपाल के वार्ड क्रमांक 60 की अवधपुरी से बीडीए कालोनी को जाने वाली रोड है। कंचन नगर से बीडीए कालोनी तक 60 फीट का रोड बनाने के लिए नगर निगम में दो माह पहले सड़क के दोनों ओर जेसीबी से खुदाई कर दी है लेकिन निर्माणाधीन सड़क के बीचों बीच मौजूद बिजली खम्बों और ट्रांसफार्मर व बिजली लाइन को हटाने का काम अभी तक नहीं हो सका है। अब सड़क के दोनों ओर के गड्ढों के कारण लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं और यहां वाहनों का आवागमन भी प्रभावित हो रहा है।