इस दिन का हिसाब
इस दिन का क्या करूंँ
छप्पन बरसों पहले के
इसी तासीर के एक दिन से जिसका
इश्क़ है
बस इसी संबंध के भरोसे
ये उछल कूद करता है
जबकि उसने सारे रिश्ते खत्म कर लिए हैं
मुझसे भी
एक कच्चा घर तब्दील हो चुका है
खंडहर में
नदी पोखर खेतों को
भरने योग्य बारिश को भी
नहीं कुछ याद रहा मैं
सितारों में बदल चुके
मुझे सबसे पहले देखने वाले रिश्ते
बस माँ को याद होगा
ठीक इस शक्लो सूरत का वह दिन
उसे ही दिखाई देती है
इतने बरसों के एक एक दिन से
बनी एक मीनार
मेरे जन्मदिनों का
पूरा का पूरा हिसाब
बस माँ को पता है
मुझे भी इस दिन
बहुतेरी गुमी चीज़ें याद आतीं हैं
देखते हुए इतने ताज़ा रिश्ते
ब्रज श्रीवास्तव