Action After High Court’s Decision : FIR निरस्ती की याचिका ख़ारिज पर डॉ राय की गिरफ़्तारी

दायित्वों में लापरवाही और सरकारी योजनाओं की आलोचना पर निलंबन की कार्रवाई

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Anand Roy Arrest : व्हिसिल ब्लोअर आनंद रॉय दिल्ली में गिरफ्तार, CM के OSD की शिकायत पर कार्रवाई

Bhopal : व्हिसल ब्लोअर डॉ आनंद राय को भोपाल क्राइम ब्रांच ने गुरुवार देर रात दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया। उन पर ये कार्रवाई हाईकोर्ट में उनकी FIR निरस्त करने की याचिका ख़ारिज होने के बाद की गई। कोर्ट ने कहा कि आप व्हिसल ब्लोअर हैं, तो क्या कुछ भी कहेंगे! किसी भी निर्दोष पर आरोप लगाएंगे! किसी भी आदिवासी का जातिसूचक अपमान करेंगे! कोर्ट का फैसला आने के बाद ही आनंद राय की गिरफ्तारी हुई! उन्हें इंदौर के हुकुमचंद चिकित्सालय में पदस्थ डॉ आनंद राय को गुरुवार को निलंबित भी कर दिया गया। उन पर शासकीय सेवक रहते हुए सरकारी योजनाओं और नीतियों की सोशल मीडिया पर आलोचना करने के तहत सिविल सेवा आचरण नियम के तहत कार्रवाई की गई।

डॉ आनंद राय पर एक आदिवासी अधिकारी का जातिसूचक अपमान करने और झूठा आरोप लगाने पर FIR हुई है। डॉ राय की याचिका पर कपिल सिब्बल और विवेक तनखा जैसे 9 बड़े वकील खड़े हुए, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा गलत है तो कार्यवाई होगी। 9 माह पहले प्रतिनियुक्ति पर मध्यप्रदेश आए CM के OSD लक्ष्मण सिंह मरकाम पर डॉ आनंद राय और अन्य कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाए थे।

क्राइम ब्रांच आज दोपहर में उन्हें लेकर भोपाल पहुंचेगी, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। गुरुवार को ही कोर्ट ने राय की उनके खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त करने की याचिका खारिज की थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनकी पोस्ट से किसी का अपमान नहीं किया गया। डॉ आनंद राय ने टीईटी परीक्षा के पेपर का स्क्रीन शॉट वायरल होने पर पोस्ट की थी, जिसमें लिखा था कि यह लक्ष्मण सिंह कौन है! इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उप सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम ने उनको बदनाम करने को लेकर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। इस मामले की जांच भोपाल क्राइम ब्रांच कर रही है।

निलंबित करने का आदेश जारी
डॉ आनंद राय को स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। उन पर अपने दायित्वों में गंभीर लापरवाही बरतने और शासकीय सेवक रहते सरकारी योजना और नीतियों की सोशल मीडिया पर आलोचना के चलते सिविल सेवा आचरण नियम के तहत कार्रवाई की गई। संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं की अपर संचालक सपना एम लोवंशी ने डॉ आनंद राय को निलंबित करने संबंधी आदेश जारी किए।

आदेश के अनुसार इंदौर के हुकुमचंद चिकित्सालय में पदस्थ डॉ राय का निलंबन के बाद मुख्यालय क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग रहेगा। निलंबन काल में डॉ. राय को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। आदेश में लिखा है कि डॉ राय वरिष्ठ अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान 29 मार्च को अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं थे, जबकि रजिस्टर में उनकी उपस्थिति दर्ज थी। वहीं, राय के 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच सिर्फ 18 दिन ही कार्यालय में उपस्थित रहे। बाकी दिन उनके द्वारा अवकाश के लिए भी आवेदन नहीं दिया गया।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जांच में यह भी सामने आया कि डॉ राय के 29 मार्च को लघुकृत अवकाश आवेदन सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक इंदौर को प्रस्तुत किया गया था। जिस पर उनको मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए! लेकिन, डॉ राय मेडिकल बोर्ड के सामने भी प्रस्तुत नहीं हुए।

सोशल मीडिया पर टिप्पणी
निलंबन आदेश में डॉ राय की 29 मार्च को की सोशल मीडिया पोस्ट का भी जिक्र किया गया। जिसमें डॉ राय ने लिखा कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मुकेश सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विशेष तौर पर सिर्फ मेरी वाइफ डॉ गौरी राय के कर्तव्य स्थल सिविल डिस्पेंसरी रेडियो कॉलोनी भेजा। इतनी दूर से यह भैया जी इंदौर में कार्यरत 400 डॉक्टर्स में से मात्र हम दो लोगों की जांच की। इसे कहते है खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे। इन अधिकारियों को अगर यह लग रहा है कि भाजपा आजीवन मध्य प्रदेश में सत्ता में रहेगी तो यह गलतफहमी में हैं। इन जैसे अधिकारियों का क्या होगा जब प्रदेश का निजाम बदल जाएगा, हुकूमत बदल जाएगी कम से कम अपना जमीर जिंदा रखो।

सरकारी योजनाओं का विरोध
निलंबन आदेश में डॉ आनंद राय पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चलाई जा रही ‘सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के बारे में भी टिप्पणी की गई है। कहा गया कि ‘बढ़ाया दिव्यांगों का आत्मविश्वास’ पर अमर्यादित टिप्पणी की गई। 22 मार्च को डॉ राय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की, कि योजना की जमीनी हकीकत आपके सामने लेकर आऊंगा। विभाग ने शासन/प्रशासन एवं वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिकूल एवं अमर्यादित टिप्पणी करने का भी डॉ राय को दोषी बताया है। इसके अलावा राय पर थानों में दर्ज प्रकरण की जानकारी विभागीय कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराने का भी दोषी बताया गया।