‘Adipurush’ Reprimanded in HC: ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स को हाईकोर्ट ने फटकारा, मनोज मुंतशिर को नोटिस!
Allahabad : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ‘आदिपुरुष’ फिल्म को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया। हाईकोर्ट ने फिल्म मेकर्स से पूछा है कि क्या आप जनता को मूर्ख समझते हैं। इसके साथ ही मनोज मुंतशिर को कोर्ट ने नोटिस दिया गया। हाईकोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ पर अपना हथौड़ा चलाया। फिल्म पर रोक लगाने वाली याचिका को लेकर सुनवाई शुरू की और जमकर फिल्म के निर्माताओं और लेखक के साथ डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर को डांट लगाई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए सेंसर बोर्ड तक को फटकार सुनाते हुए पूछा है कि आखिर फिल्म के निर्माता इस फिल्म के जरिए कहना क्या चाहते हैं और दिखाना क्या चाहते हैं। हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं से कहा है कि आपने डिस्क्लेमर देकर ये समझ लिया कि देश की जनता बेवकूफ है, उसे कुछ समझ में नहीं आता? कोर्ट ने कहा न केवल रामायण बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने से बचना ही चाहिए। क्योंकि, इन धर्म पुस्तकों पर किसी एक समुदाय की नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था है।
मनोज मुंतशिर को नोटिस
इसके साथ ही लखनऊ बेंच ने आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला को नोटिस जारी करते हुए एक हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस फिल्म पर हुए विवाद में फिल्म के डायलॉग एक बड़ा मुद्दा है। असल में हिन्दुस्तान और सनातन धर्म में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों के लिए रामायण एक धर्म ग्रंथ है और वो एक मिसाल होने के साथ साथ पूजनीय है। ये भी देखा जाता है कि लोग अपने अपने घरों से राम चरित मानस या रामायण को पढ़कर उसे प्रणाम करके ही निकलते हैं, लिहाजा कुछ बातों को छूना और उन्हें अपने तौर तरीकों से परिभाषित करना ठीक नहीं है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
फिल्म के संवाद ही असल में हाईकोर्ट में जज के निशाने पर सबसे ज्यादा रहे। ‘आदिपुरुष’ में भगवान हनुमान, माता सीता को जिस तरह प्रस्तुत किया गया उसको लेकर हर एक दर्शक की धारणा और भावना अलग-अलग है। और तमाम लोगों को इन दोनों किरदारों का वर्णन फिल्म के भीतर किसी भी तरह से समझ में ही नहीं आ रहा।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये गनीमत है कि इस फिल्म को देखने के बाद भी लोग शांत रहे और कानून व्यवस्था का कोई संकट नहीं खड़ा हो सका, और किसी ने कोई सीमा भंग नहीं किया। वर्ना ये भी हो सकता था कि लोग आस्था पर चोट होते ही गुस्से से बौखला जाते और तोड़ फोड़ पर उतारू हो जाते।
फिल्म क्या सोचकर बनाई गई
इन तमाम बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए कि फिल्म क्या सोचकर बनाई गई। फिल्म मेकर्स के कुतर्कों पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि नोटिस के जवाब में सामने आकर समझाएं कि उन्होंने जो लिखा उसके पीछे उनकी क्या मंशा और उनका क्या रिसर्च है। इसके अलावा कोर्ट में आकर वो ये भी समझा सकते हैं कि ‘आदिपुरुष’ फिल्म बनाने वाले देश के तमाम लोगों से ज़्यादा कुशल और बुद्धिमान हैं और वो जो कुछ फिल्म में दिखा रहे हैं वो ही असल में रामायण की असली व्याख्या है।