
20वीं सदी में एडॉल्फ हिटलर और अब 21वीं सदी में डोनाल्ड ट्रंप…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
20वीं सदी में जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने पूरी दुनिया को द्वितीय विश्व युद्ध की आग में धकेल दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 को मानी जाती है, जब एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया था। हिटलर ने अपने राष्ट्र को उत्कर्ष पर पहुंचाने और अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने की ललक में पूरी दुनिया को तहस नहस करने का घृणित कार्य किया था। और अब 21वीं सदी में वही स्थितियां अमेरिकी तानाशाह डोनाल्ड ट्रंप बनते नजर आ रहे हैं। तब पृष्ठभूमि में राजतंत्र और उनके षड्यंत्र थे तो अब लोकतांत्रिक विश्व में आर्थिक विध्वंस को पृष्ठभूमि बनाकर युद्ध का दृश्य सामने है। और द्वितीय विश्व युद्ध के 90 साल बाद एक बार फिर तृतीय विश्व युद्ध जैसी स्थितियां पूरी दुनिया को चिंता में डाल रही है। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आर्थिक समर की यह पृष्ठभूमि बहुत जल्दी ही पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में धकेल दे। और तब डोनाल्ड ट्रंप का यही तानाशाही वाला रवैया उनकी तुलना एडॉल्फ हिटलर से करने को मजबूर कर देगी।
1 सितंबर के चलते आज हम एडॉल्फ हिटलर और द्वितीय विश्व युद्ध की बात कर रहे हैं। एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण कर द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत की थी।
जिसके बाद यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी । मोलोटोव-रिबेंट्रॉप संधि के तहत पोलैंड जर्मनी और सोवियत संघ के बीच विभाजित हो गया। 1940 में, सोवियत संघ ने बाल्टिक राज्यों और फिनलैंड और रोमानिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। जून 1940 में फ़्रांस के पतन के बाद, युद्ध मुख्यतः जर्मनी और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच जारी रहा। इसमें बाल्कन, भूमध्य सागर और मध्य पूर्व में लड़ाई, ब्रिटेन और ब्लिट्ज़ का हवाई युद्ध और अटलांटिक का नौसैनिक युद्ध शामिल था। अभियानों और संधियों के माध्यम से, जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप के अधिकांश भाग पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया और इटली , जापान और अन्य देशों के साथ धुरी राष्ट्र गठबंधन का गठन किया। जून 1941 में, जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया, पूर्वी मोर्चे को खोल दिया और शुरुआत में बड़े क्षेत्रीय लाभ अर्जित किए।
दिसंबर 1941 में, जापान ने हवाई में पर्ल हार्बर सहित एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी और ब्रिटिश क्षेत्रों पर हमला किया, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका जापान और जर्मनी के खिलाफ युद्ध में प्रवेश कर गया। जापान ने तटीय चीन और दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्से पर विजय प्राप्त की,लेकिन प्रशांत क्षेत्र में इसकी प्रगति जून 1942 में मिडवे की लड़ाई में रुक गई। 1943 की शुरुआत में, धुरी सेनाएं उत्तरी अफ्रीका में और सोवियत संघ के स्टेलिनग्राद में हार गईं और उस वर्ष पूर्वी मोर्चे पर उनकी लगातार हार, इटली पर मित्र देशों का आक्रमण और प्रशांत क्षेत्र में मित्र देशों के आक्रमणों ने उन्हें सभी मोर्चों पर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। 1944 में, पश्चिमी मित्र राष्ट्रों ने नॉरमैंडी में फ्रांस पर आक्रमण किया, क्योंकि सोवियत संघ ने अपने युद्ध-पूर्व क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लिया और अमेरिका ने जापान की नौसेना को पंगु बना दिया। तब 8 मई 1945 को जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण किया था। 6 और 9 अगस्त को, अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। आसन्न मित्र देशों के आक्रमण, आगे परमाणु बमबारी की संभावना और सोवियत युद्ध की घोषणा और मंचूरिया पर आक्रमण के मद्देनजर, जापान ने 15 अगस्त को बिना शर्त आत्मसमर्पण की घोषणा की और 2 सितंबर 1945 को एक आत्मसमर्पण दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। तानाशाही का अंत बुरा होता है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय यह भी देखने को मिला था। तब अलग-थलग और निराशा में डूबे हुए हिटलर का अंत भी बहुत बुरा हुआ था। उसने आनन-फानन में अपनी प्रेमिका से विवाह किया था। 30 अप्रैल को,जब आगे बढ़ती सोवियत सेनाएँ उसके बंकर परिसर से आधे मील से भी कम दूरी पर थीं, उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। उनके शवों का आनन-फानन में बगीचे में अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं को बदल दिया था। और 20वीं सदी के शेष भाग और 21वीं सदी के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की नींव रखी थी। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य के संघर्षों को रोकने के लिए की गई थी, जिसमें विजयी महाशक्तियाँ—चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बने। सोवियत संघ और अमेरिका प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों के रूप में उभरे, जिसने आधी सदी के शीत युद्ध की नींव रखी। यूरोप की तबाही के बाद, उसकी महाशक्तियों का प्रभाव कम हो गया था, जिससे अफ्रीका और एशिया का उपनिवेशीकरण समाप्त हो गया था। कई देश जिनके उद्योग क्षतिग्रस्त हो गए थे,आर्थिक सुधार और विस्तार की ओर बढ़े थे।
पर अब वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ पतन की ओर है। और 90 साल बाद 21वीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की नींव पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है। जिसके कंधों पर व्यवस्था बनाए रखने की सबसे अहम जिम्मेदारी थी, उसी अमेरिका के कथित तानाशाह डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया पर दादागिरी कायम करने और अमेरिकी श्रेष्ठता स्थापित करने के बहाने पूरी दुनिया में आर्थिक संघर्ष का वातावरण पैदा कर दिया है। संघर्ष की यह राह आर्थिक से सामरिक में बदलने की तरफ बहुत तेज गति से बढ़ रही है। और तृतीय विश्व युद्ध होता है तो डोनाल्ड ट्रंप को 21वीं सदी में वही दर्जा मिलेगा जो 20वीं सदी में एडॉल्फ हिटलर को दिया गया था। और तब डोनाल्ड ट्रंप का अंत भी एडोल्फ हिटलर की तरह होगा या कुछ अलग होगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं। लेखक के रूप में पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें दो काव्य संग्रह ‘जीवन राग’ और ‘अष्टछाप के अर्वाचीन कवि’, दो राजनीतिक पुस्तकें ‘द बिगेस्ट अचीवर शिवराज’ और ‘सबका कमल’ एवं एक व्यंग्य संग्रह ‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ शामिल हैं।





