पीथमपुर से महू फोरलेन मार्ग पर 12 साल बाद चले चौड़ीकरण के हथौड़े,2012 के बाद धार नाका तक आकर रुक गया था चौड़ीकरण

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पीथमपुर से महू फोरलेन मार्ग पर 12 साल बाद चले चौड़ीकरण के हथौड़े,2012 के बाद धार नाका तक आकर रुक गया था चौड़ीकरण

दिनेश सोलंकी की खास रिपोर्ट 

महू (इंदौर): तीन दिन की आखिरी मोहलत के बाद भी जब कुछ सम्पन्न परिवारों ने सड़क से 25 फीट के चौड़ीकरण में बाधक अपने अतिक्रमण नहीं तोड़े तो प्रशासन ने आज भारी पुलिस बल और बड़ी जेसीबी लगाकर पक्के मकानों को धूल में मिलाने का काम शुरु कर दिया। 25 फीट की जद में आ रहे पक्के मकानों की शक्ल ही बदल गई वे आधे अधूरे नजर आने लगे। संबंधित मकानों के रहवासियों ने प्रशासन से विवाद शुरु किया मगर किसी की भी नहीं चल पाई और तोड़ने का क्रम जारी रहा जबकि गायकवाड़ तक 500 मीटर की दूरी तक 52 फीट चौड़ा होने से वहां भी अतिक्रमण का बाजार पूरा ध्वस्त होने वाला है। मुहिम अभी जारी रहेगी।

 *12 साल से क्यों नहीं हुआ चौड़ीकरण !* 

आवश्यक सड़क चौड़ीकरण के मामले में सरकारी कामों में राजनीति और आम चुनाव की आड़ में चालू काम कैसे रोक दिये जाते हैं उसकी बानगी है- महू -धारनाका मार्ग, महू-किसनगंज मार्ग और महू- गूजरखेड़ा मार्ग..ये सभी मार्ग सालों पहले ही चौड़े हो जाने थे, लेकिन स्वार्थी राजनीति और आम चुनावों के अड़गों से चौड़ीकरण कार्य लगातार अटकाया जाता रहा। अब महू में स्थानीय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव होने के बाद प्रशासन ने महू से धारनाका तक 25 फुट और धारनाका से गायकवाड़ चौराहे तक 52 फुट रोड चौड़ा करने का बीड़ा उठाया, वो भी इसलिये कि प्रशासनिक संकुल तक पहुंचने में ही छोटे से रोड पर बार बार आवागमन बाधित हो रहा था और खुद प्रशासनिक अधिकारी ही अतिक्रमणों के बीच निकलने को परेशान और मजबूर हो रहे थे। जबकि यह महत्वपूर्ण मार्ग महू से शुरु होकर पीथमपुर, धार, रतलाम और नीमच तक के शहरों को जोड़ता है।

*_चंद परिवारों के कारण चौड़ीकरण अटका था_* 

यह उल्लेखनीय है कि २०१२ में घाटा बिल्लौद से पीथमपुर तक के मार्ग को फोरलेन की शक्ल देने का कार्य शुरु किया गया था, तब पीथमपुर में रोड के दोनों ओर बसा व्यापार और रहवासी मकानों को ५२ फुट की जद में लाया गया था। इस तरह पीथमपुर की शहरी शक्ल को ही बिगाड़ दिया गया थी और जिनके भी मकान टूटे और व्यावसाय प्रभावित हुआ उनको करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन हद तब हो गई जब महू आते आते मात्र पौन किमी पहले ही मार्ग का चौड़ीकरण रुकवा दिया गया। इसके पीछे चंद वे प्रभावी लोग थे जिनके कहने पर तत्कालीन नेता लोग झुक जाते थे और हर बार कभी स्थानीय चुनाव, तो कभी विधानसभा और कभी लोकसभा चुनाव आड़े आ जाते थे। नेता चंद प्रभावी लोगों के वोट पाने के लिये महत्वपूर्ण रोड के पूरा करने में खुद ही अवरोध बन गए थे। नतीजन रोड संकरा होने के बावजूद अतिक्रमण से लगातार बेजार होने लगा और हालात ये हो गए कि हर दूसरे तीसरे दिन रोड जाम होने लगा।

 

प्रशासनिक संकुल को लेकर भी

चौड़ीकरण पर बेसुध रहे अधिकारी

क्षेत्र की राजनीति इतनी हावी रही कि महूगांव नगर विकास परिषद क्षेत्र में 5 साल पहले जब पुरानी तहसील के स्थान पर प्रशासनिक संकुल का प्रस्ताव हुआ तब भी यह नहीं सोचा गया कि महू को भविष्य में जिला बनाए जाने के उद्देश्य से बनाए जा रहे। प्रशासनिक संकुल के निर्माण के बाद महू के 176 गांव और महू शहर के लोगों का जब आना जाना बढ़ जाएगा तब महू से धारनाका और गायकवाड़ से प्रशासनिक संकुल तक का पहुँच मार्ग कितना कष्टप्रद हो जाएगा, जो इकहरा मार्ग होकर अतिक्रमण से लबरैज हैं। लेकिन फिर भी अधिकारी मौन रहे और जब प्रशासनिक संकुल भी बनकर तैयार हो गया और चालू भी हो गया। तब उक्त दोनों मार्ग पर आवागमन पहले से दुगना तिगुना हो गया। ऐसे में रोजाना ही जाम लगने लगा। अब खुद प्रशासिनक अधिकारी ही जाम के शिकार होने लगे तो तय किया गया कि अब महू तक अधूरा चौड़ीकरण पूरा कर लिया जाए। पहले चेतावनी दी गई, अतिक्रमणकारी नहीं माने, खासकर वे जो अपने पक्के मकानों को बार बार विरोध दर्ज करवाकर रोकते आए थे। लेकिन इस बार उनकी एक नहीं चली।

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प्रशासन यह मुहिम पिछले सप्ताह से ही शुरु करने वाला था लेकिन विरोध के बाद जब प्रशासन ने इसे आवश्यक बताया तो लोगों ने स्वयं के अतिक्रमण तोड़ने की बात की जिस पर प्रशासन ने मंगलवार 24 जून तक सांस रोक ली। लेकिन 25 जून को जब फिर प्रशासन सक्रिय हुआ तो लोगों ने हलके रुप से अपना अतिक्रमण हटाना शुरु कर दिया और 25 फीट तक का अतिक्रमण हटाने के लिये फिर मोहलत मांग ली। प्रशासन फिर ठहर गया लेकिन आज दिनांक तक उन्हीं प्रभावी लोगों ने पक्के मकानों का अतिक्रमण जब साफ़ नहीं किया तब प्रशासन ने पूरी कमर कस मुहिम की शुरुआत कर दी।

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*आम लोगों में मुहीम से ख़ुशी* 

लगभग 100 से ज्यादा मकान और दुकानें 25 और 52 फुट की जद में आ रहे हैं। आम लोगों में बहुत खुशी है कि ये काम तो बरसों पहले हो जाना था।

आज मुहिम में महू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्विवेदी, एसडीएम हुड्डा, तहसीलदार सोनी सहित पांच थानों का फोर्स और बीएसएफ सहित महूगांव नगर विकास के कर्मचारी इस मुहिम में शामिल हैं। मुहिम अगले तीन दिन तक चल सकती है।

मुहिम के दौरान क्षेत्र की बीजेपी पार्षद डॉ दुबे को विरोध करने पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर थाने भेज दिया।

 *गूजरखेड़ा और किशनगंज पर भी ध्यान जरुरी* 

महू मंडलेश्वर याने पुराने मुम्बई आगरा राजमार्ग के हिस्से में मात्र एक किलो मीटर का मार्ग और चौड़ा होना है लेकिन यहाँ भी दस साल पहले नेतागिरी के कारण काम रोक दिया गया था, यहाँ भी प्रभावी कुछ ही लोगों के मकान जद में आ रहे हैं । लेकिन इस मार्ग पर दिनों दिन यातायात बढ़ता ही जा रहा है कई दुर्घटनाएं बीते सालों में हो गई, इसे देखते हुए प्राथमिकता महू किशनगंज मार्ग को चौड़ा करने की भी होनी चाहिये। इसके अलावा महत्वपूर्ण इच्छापुर- सिमरोल- महू मार्ग भी गूजरखेड़ा के आधे किली क्षेत्र में अतिक्रमण से बेजार है, इसे भी चौड़ा करने की कोशिशों पर प्रहार हो चुके हैं। इसलिये अब प्रशासन को सख्ती से यहाँ भी अतिक्रमण हटाने चाहिये।